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DRDO और आर्मी ने मिलकर देश का पहला स्वदेशी मशीन पिस्टल बना लिया है, जानिए क्या है इसकी खासियत

सेना में मजबूती और दुश्मनों पर विजय के नेक इरादों को साकार रुप देने के लिए भारतीय सेना ऩित नए प्रयास करती रहती है। हाल ही में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation, DRDO) की पुणे स्थित विंग और भारतीय आर्मी के महु स्थित इंफेंट्री स्कूल (Infantry School) नें मिलकर भारत की 9mm की पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल तैयार की है। इस मशीन पिस्टल को ‘अस्मि’ (ASMI) नाम दिया गया है । बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही भारतीय सेना ने सीमा सुरक्षा की दृष्टि से स्वदेशी फाइटर विमानों की खरीद भी की थी।

भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक – सेना के महु स्थित इंफेंट्री स्कूल (Infantry School) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पुणें स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान(Combat Vehicles Research and Development Establishment ) नें मिलकर इस हथियार ‘अस्मि’(ASMI) का डिज़ायन तैयार किया है।

सेना में व्यक्तिगत हथियार के रुप में होगी लाभप्रद ‘अस्मि‘

रक्षा मंत्रालय के अनुसार – सशस्त्र बलों के विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर, इसके अलावा उग्रवाद और आतंकवाद रोधी अभियानों में यह मशीन पिस्टल बेहद उपयोगी साबित होगी।

DRDO develops India’s first indigenous pisto’ASMI’

वीआईपी सुरक्षा की दृष्टि से भी उपयोगी है ‘अस्मि’

‘अस्मि’ की उपयोगिता की बात करें तो इसका उपयोग केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में भी किया जा सकेगा।

आतंकवाद रोधी कार्रवाई में दमदार हथियार बनेगी ‘अस्मि’

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि – हेवी वेपन डिटैचमैंट, कंमाडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों, ड्राइवर- डिस्पैच राइडरों, रेडियो एवं राडार ऑपरेटरों, के बीच नज़दीकी लड़ाईयों, चरमपंथ विरोधी तथा आतंकवाद रोधी कार्रवाई में व्यक्तिगत हथियार के रुप ‘अस्मि’ की क्षमता बेशक ही सराहनीय है।

मशीन पिस्टल को ‘अस्मि’ क्यों नाम दिया गया

अस्मि का अर्थ होता है – गर्व, आत्मसम्मान तथा कठिन परिश्रम। जिस पर यह पिस्टल खरी उतरती है। यह मशीन पिस्टल केवल 4 महीनें के रिकार्ड समय में तैयार की गई है। इसके उत्पादन की लागत 50 हज़ार रुपये से भी कम है ऐसे में इसकी क्वालिटी को देखते हुए एक्सपोर्ट करने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।

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3 D टैक्नोलॉजी से की गई है तैयार

बता दें कि ‘अस्मि’ के कईं पार्टस् की डिज़ाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग 3 D टैक्नोलॉजी से तैयार की गईं हैं। इतना ही नही इसके ट्रिगर में भी मेटल 3 D प्रिंटिंग का इस्तेमाल हुआ है। बताया जा रहा है कि इस पिस्टल में लोअर रिसीवर तो कार्बन फाइबर का है जबकि अपर रिसीवर के लिए विमानों की क्वालिटी वाले एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया गया है।

‘अस्मि’(ASMI) के प्लस प्वाइंट्स

न्यूज़ प्लेटफ़ार्म Army Technology के मुताबिक – ‘अस्मि’ गैस संचालित सेमी बुल प्यूप कार्बाइन(semi bull-pup carbine) का वज़न तकरीबन 3 किग्रा है और ये 700 राउंड प्रति मिनट फायरिंग करने में सक्षम है। ये मशीन पिस्टल गन रक्षा बलों में 9 एमएम (9mm) वाली पिस्टल की जगह लेगी। इस पिस्टल से 100 मीटर की रेंज में फायर किया जा सकता है। इसमें 8 इंच बैरल (8 inch Barrel) और 33 राउंड वाली उच्च् क्षमता की मैगज़ीन (33rounds high capacity magazine) है। अपने तमाम प्लस प्वाइंट्स के चलते ASMI को इस्राइल की उजी श्रृखंला की तोपों की कक्षा में रखा गया है। ट्रायल के अंतिम चार महीनों में इसने 300 से ज़्यादा राउंड फायर किये हैं।

दूसरे देशों में ‘अस्मि’ के निर्यात पर भी रहेगी नज़र

इस पिस्टल की एक अहम बात यह भी होगी कि भारत इसे केवल अपनी सेना के लिए ही नही अपितु दूसरे देशों को निर्यात करने के बारे में भी सोच सकता है। The Logically भी भारतीय सेना को उनकी इस एचीवमेंट पर बधाई देता है।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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