पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किया गया कार्य हमेशा हीं लाभदायक होता है। और हो भी क्यूं ना आखिर पर्यावरण से हीं तो हमारा अस्तित्व है। जैसा कि सभी जानते हैं कि एक वृक्ष लगाने और पोषित करने में मेहनत लगती है। सरकार द्वारा सङक व भवन निर्माण हेतु निर्ममता से वृक्षों को काट दिया जाता है जिससे जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन इसी बीच हाल हीं में दिल्ली सरकार की एक पहल बेहद सराहनीय रही है जिसके अंतर्गत 3,800 पेड़ों को द्वारका एक्सप्रेस-वे का रास्ता बनाने के लिए ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर दबाव को कम करने के लिए 10,000 से अधिक पेड़ों का प्रत्यारोपण होगा।
द्वारका एक्सप्रेस-वे परियोजना जो दिल्ली में महिपालपुर को गुड़गांव में खेरकी दौला टोल प्लाजा से जोड़ेगी जो लंबे समय से विलंबित है। एक्सप्रेस-वे जो गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर दबाव को कम करेगा, इसके लिए ट्रांसप्लांट किए जा रहे 10,000 से अधिक पेड़ों का निरीक्षण हो रहा है। द्वारका के विभिन्न क्षेत्रों में पहले चरण में 3,800 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जा चुका है। इससे पहले विभिन्न सरकारी विभागों ने पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें प्रत्यारोपण करने की कोशिश की है।हालांकि द्वारका एक्सप्रेस-वे पहला है जहां इस पैमाने पर वृक्षारोपण अभ्यास किया गया है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पारित की जहां प्रत्यारोपण का पालन किया जाएगा।
वहां निर्माण एजेंसियों को अपने द्वारा हटाए गए 80 प्रतिशत पेड़ों को प्रत्यारोपण करना होगा। लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि जहां पेड़ है वहां रखने की संभावना तलाशने के बाद ही प्रत्यारोपण पर विचार किया जाएगा। द्वारका में भूमि का मार्ग बताता है कि प्रत्यारोपण की प्रक्रिया कितनी कठिन है। छोटे पौधों ने तो किसी भी तरह पकड़ बना ली है लेकिन ज्यादातर पुराने पेड़ सूखे और मृत पड़े हैं। एक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए, प्रत्येक प्रत्यारोपित पेड़ को एक नंबर सौंपा गया है और इसे ट्रैक करने के लिए चित्रित भी किया गया है।
सूखे पेड़ पर एक सीरियल नंबर है। प्रत्यारोपित वृक्षों में चांदी के ओक, शीशम, नीम, फिकस और अल्स्टोनिया शामिल हैं। डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ओमेन्द्र सिंह सिरोही ने कहा कि 9,135 में से 4,425 पेड़ों को पैकेज 1 के तहत प्रत्यारोपित किया जाएगा। दूसरे पैकेज के तहत 9,417 पेड़ों में से 5,717 पेड़ों का होगा।
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इनमें से सेक्टर-24 में बड़ी संख्या में पेड़ लगाए गए थे। हालाँकि यह साइट डीडीए से संबंधित है। पहले तीन महीनों के लिए एक एजेंसी को पेड़ों के प्रत्यारोपण के लिए काम पर रखा गया और इसके रखरखाव के लिए वही जिम्मेदार है। अब पेड़ों की देखभाल के लिए जिम्मेदार एजेंसी NHAI है। प्रत्यारोपित किए गए पेड़ों की कुल संख्या 3,800 पेड़ हैं और उनमें से ऐसे कई पौधें हैं जो जीवित नहीं हैं।
प्रत्यारोपण के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है मानसून और मानसून के बाद आने वाला मौसम। कोविड -19 के कारण कई महीनों तक पेड़ों को नहीं लगाया गया क्योंकि इस क्षेत्र में टैंकर भेजने की अनुमति नहीं मिली थी। इस दौरान गार्ड ने जो देखा वह बताया कि कई लोगों ने जलाऊ लकड़ी के लिए मृत पेड़ों को चुराना शुरू कर दिया था।
अमूमन तो यही देखा गया है कि सरकारी कार्य में अवरोध बनने वाले वृक्षों को प्राय: काट दिया जाता है ऐसे में वृक्ष संरक्षण हेतु दिल्ली सरकार द्वारा वृक्ष प्रत्यारोपण की पहल बेहद सराहनीय है। The Logically इस कार्य के लिए दिल्ली सरकार की प्रशंसा करता है।