भारतीय मसाला (Indian Spice) पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है क्योंकि एक साथ विभिन्न प्रकार के मसालों से मिलकर बनने के कारण इसका स्वाद सबसे अलग और जायकेदार होता है। उन्हीं में से एक मसाला इलायची है। इलायची एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा होने के साथ-साथ किचन का मुख्य मसाला भी है। भोजन में एक चुटकी इलायची डालने पर उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा इससे व्यंजनों का सुगंध भी बढ़िया आता है।
चूँकि, भारतीय मसाला विश्व प्रसिद्ध होने की वजह से यहां के किसान भाई अलग-अलग मसालों की खेती करके बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं, जिसमें इलायची का नाम भी शामिल है। बड़े स्तर पर इसकी डिमांड होने की वजह से इसकी खेती आय का बेहतर साधन है। ऐसे में यदि आप भी खेती में बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इलायची की खेती (Cardamom Farming) आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं इलायची की खेती करने के बारें में विस्तार से-
इलायची की खेती के लिए कैसी मिट्टी है उपयुक्त?
अलग-अलग प्रकार की फसलों के उत्पादन के लिए अलग-अलग मिट्टी होना आवश्यक होता है अन्यथा फसल की पैदावार लाख कोशिशों के बावजूद भी अच्छी नहीं होगी। उसी प्रकार इलायची के लिए बई काली दोमट मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी के साथ-साथ काली मिट्टी भी बेहतर माना जाता है। इसकी खेती करने वाले किसान भाइयों को इस बात का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए कि वे इसकी खेती के लिए रेतीली मिट्टी का उपयोग नहीं करें। क्योंकि इससे फसल का अच्छा उत्पादन नहीं होगा जिससे उन्हें भारी नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है।
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रोपाई से पहले नर्सरी में तैयार होता है पौधा
इलायची की खेती (Cardamom Farming) करने के लिए सबसे पहले नर्सरी में इसके पौधें को तैयार किया जाता है उसके बाद ही इसे खेतों में लगाया जाता है। यदि कोई एक हेक्टेयर में नर्सरी तैयार करता है तो उसे 1KG इलायची के बीज की जरुरत पड़ेगी। ऐसे में इसकी खेती करने वाले किसान नर्सरी से पौधें खरीदकर इसकी खेती कर सकते हैं।
10 से 35 डिग्री सेल्सियस में होता है पौधें का अच्छे से विकास
इलायची की खेती (Cardamom Farming) करने के लिए बरसात का मौसम सबसे बेहतर होता है क्योंकि यह समय उसकी खेती के लिए फायदेमंद साबित होता है। हालांकि, बारिश के मौसम में इलायची के पौधें को खेतों में लगाते समय ध्यान रहें कि पौधें की उँचाई एक फीट से कम न हो।बता दें कि, इसके पौधों का विकास 10 से 35 डिग्री सेल्सियस में अच्छी तरह होता है।
फल लगने के बाद 15-25 दिनों के अंतराल पर की जाती है तुड़ाई
रोपाई करने के 2 वर्ष बाद ही पौधों में फल आने शुरु हो जाते हैं। इसकी खेती की सबसे अच्छी बात यह होती है कि जब पौधों पर फल आने शुरु हो जाते हैं उसके हर 15-25 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई की जाती है। हालांकि, तुड़ाई करने के दौरान ध्यान रखना चाहिए कि पके हुए इलायची को पहले तोड़ा जाएं। Earn profit of lakhs of rupees from cardamom cultivation.
हरा रंग बरकरार रखने के लिए करें यह उपाय
इलायची की कटाई के बाद उसे धूप में ईंधन भट्ठे में या बिजली ड्रायर में सुखाया जाता है। ऐसे में इसके रंग को हरा बनाए रखना जरुरी होता है। इसके लिए इलायची को 10 मिनट के लिए 2% बेकिंग सोडा के घोल में डुबोकर रखा जाता है। उसके बाद उसे सुखाने की प्रक्रिया शुरु की जाती है। यह प्रक्रिया 14 से 18 घन्टे की होती है जिसमें इलायची को 45 से 50 डिग्री सेल्सियस पर सुखाया जाता है।
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कितना कमा सकते हैं मुनाफा?
इलायची को सुखाने की प्रक्रिया जब पूरी हो जाती है ती उसके बाद उसे कॉयर मैट, तार की जाली या हाथों की सहायता से अच्छी तरह रगड़ा जाता है। उसके बाद उसके रंग और साइज के अनुसार अलग-अलग करके किसान भाई इसे बाजार में बेच सकते हैं। इसकी प्रति हेक्टेयर खेती से 135 से 150 kg तक इलायची का उत्पादन किया जा सकता है।
यदि मार्केट में इसके मूल्य की बात करें तो प्रति किलोग्राम इसका मूल्य 1100 से लेकर 2 हजार रुपये तक है। इस प्रकार किसान भाइयों को इलायची की खेती (Cardamom Farming) से सालाना 3 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है। Earn profit of lakhs of rupees from cardamom cultivation.
भारत में कहां होती है इलायची की खेती?
भारतीय मसालों की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में है इसलिए यहां अलग-अलग राज्यों में किसान भाई अलग-अलग मसालों की खेती बड़े स्तर पर करते हैं। इलायची की खेती भारत के कई राज्यों में होती है जैसे कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु। ये राज्य इसकी खेती करने के लिए बेहतर साबित होता है क्योंकि यहां सालों भर 1500 से 4000 मिमी बारिश होती है जो इलायची की खेती के लिए फायदेमंद है।
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