आज तकनीक इतना विकसित हो चुका है कि हर बेकार चीज को फिर से उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है। इससे लोगों की आजीविकोपार्जन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है। आज के हमारे इस लेख में आप यह जानेंगे कि किस तरह फसल अवशेष से ईको-फ्रेंडली ईंधन का निर्माण किया जा रहा है। इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है जिससे वह अपने परिवार को चलाने में सक्षम हो रही है।
अवशेषों से होता है ब्रिकेट्स का निर्माण
अनीता देवी जिनकी आयु 34 वर्ष है उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के अशरफपुर गांव की निवासी हैं। वह बताती हैं कि जब घर का खर्च बढ़ा तो मेरे लिए समस्या भी बढ़ी। उन्हें अपने घर से लगभग 15 किलोमीटर दूर कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण मिली थी। वह फसल के अवशेषों से प्रदूषण रहित राख की पिंडी बनाना जानती हैं। यह कार्य उन्होंने केंद्र के वैज्ञानिकों से सीखा है और वह इस कार्य से 1 दिन में लगभग 500 रुपए के करीब कमा लेती है। उनके समूह में लगभग 10 महिलाएं और भी है जो ब्रिकेट्स के निर्माण में 2 घंटे लगाती हैं। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
20 महिलाओं को दिया गया ट्रेनिंग
राजधानी लखनऊ के लगभग 100 किलोमीटर दूर कुटिया में कृषि विज्ञान केंद्र अनीता देवी के स्वयं सहायता समूह के लगभग 20 महिलाओं को ट्रेनिंग दिया गया है। वे सारी महिलाएं खेतों से पराली को एकत्रित करती है और फिर उन्हें इंधन के ब्रिकेट्स में बदल देती है जिनका मूल्य 35 प्रति किलोग्राम है। इसका डिमांड भी अच्छा खाता है क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतर है। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
पराली से होता है वायु प्रदूषण
यहां पर महिलाओं के तीन ग्रुप का निर्माण हुआ है। इस ग्रुप को मुफ्त बर्नर दिए गए हैं जो पराली को राख में तब्दील करता है। महिलाएं प्रतिदिन 2 घंटे वक्त देकर ब्रिकेट्स का निर्माण करती है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक आनंद सिंह बताते हैं कि मेरा उद्देश्य आसपास के गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग देना था क्योंकि इसे स्थानीय महिलाओं को आजीविका मिलेगी। साथ ही पराली जो प्रदूषण फैलाने में अहम भूमिका निभाता है इसकी समस्या दूर होगी एवं वायु प्रदूषण नहीं होगा। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
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ये ईंधन है बेस्ट
आज भी महिलाएं गांव में भोजन पकाने के लिए जलावन का उपयोग करती है। इसके लिए वे कोयला या फिर उपले का उपयोग करती हैं। इससे पर्यावरण का संरक्षण नहीं होता इसीलिए वैज्ञानिकों ने यह निश्चय किया कि कुछ ऐसा कार्य किया जाए जिससे सब को लाभ मिले और पर्यावरण के संरक्षण में कार्य हो। इसीलिए वे पराली से ईंधन का निर्माण कर रहे हैं ताकि लोगों के लिए यह कार्य बेहतर साबित हो। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
काम करने वाली महिलाओं ने बताया…
फुल कुमारी जो पराली को जैव इंदौर में तब्दील करती है। वह बताती हैं कि पहले उनके लिए घर चलाना बेहद मुश्किल था। क्योंकि वह पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन वह यह चाहती थीं कि उनके बच्चे अनपढ़ ना हों और भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। इसके लिए आवश्यक था पैसा और आज वह कृषि विज्ञान से प्रशिक्षण लेकर पराली से जैव इंजन का निर्माण कर रही है, जिससे उन्हें रोजगार मिला है और उनका खर्चा भी चल रहा है। वही सावित्री कहती है कि पहले जब मेरे पति कोई कार्य नहीं किया करते तो मुझे बहुत घबराहट होती थी परंतु आज मैं स्वयं ब्रीकेट्स को बेचकर घर चलाने में कामयाब हूं। मुझे बहुत खुशी है कि मैं आत्मनिर्भर बनी हूं। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
ये ईंधन सस्ता है
आनंद यह बताते हैं कि किस तरह फसल के अवशेषों से जैव ईंधन का निर्माण होता है। फसल के अवशेषों को बर्नर में डाल कर राख में तब्दील किया जाता है। इसमें एक चिमनी होती है जिससे पता चलता है यह काम करने का वातावरण प्रदूषण मुक्त है। अब गेंहू के आटे से घोल का निर्माण किया जाता है और उसे राख में मिश्रित कर दिया जाता है। जब यह मिश्रण सूख जाता है तो उपयोग के लिए तैयार है। यह बहुत सस्ता भी है एवं यह कोयले से बेहतर चलता भी है। -Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment
फसल के अवशेषों से ब्रिकेट्स के निर्माण में महिलाओं को बेहद लाभ मिला है और वह जलावन के लिए जंगलों में नहीं जाती और उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने नहीं पड़ती है। बहुत ही आसानी से इंधन का निर्माण कर लेती हैं और साथ में पैसे भी कमा कर अपने परिवार की आजीविका चलाने में कामयाब हो रही है। आगे यह बड़े पैमाने पर आने वाला है। हालांकि यहां के हर क्षेत्र में महिलाएं ईंधन के तौर पर इसी का उपयोग कर रही हैं। –Biofuel is being manufactured from stubble, due to which women have got employment