Saturday, December 9, 2023

Garden Up: हॉस्टल के कमरे से शुरु किया था बागवानी, आज कम्पनी में तब्दील कर कई लोगों को रोजगार से जोड़ा

आजकल बागवानी का शौक लोगों के बीच बढ़ते जा रहा है। सभी अपने इस शौक को पूरा करने के लिए अपने घर की छत पर या बालकनी में पौधें लगाते हैं। लेकिन यह कहानी एक ऐसी महिला की है जिसने बागवानी के शौक को हॉस्टल के एक छोटे-से कमरे से शुरु करके एक सफल व्यवसाय में तब्दील कर दिया है।

कौन है वह महिला?

हम बात कर रहे हैं हरियाणा (Haryana) के मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली एकता चौधरी (Ekta Chaudhary Founder of Garden Up) की, जिसे बचपन से ही पेड़-पौधों में काफी रुचि थी। चूँकि, उनके घर में पेड़-पौधें की संख्या अधिक होने की वजह से उनकी सिंचाई करने का काम एकता के जिम्मे था। हालांकि, उस समय उन्हें पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जिससे उन्हें काफी हिसाब से पानी का उपयोग करना पड़ता था। इस तरह पौधों की देखभाल करते-करते एकता का रुझान पेड़-पौधों के प्रति और अधिक बढ़ गया।

पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के दौरान मिला अलग-अलग पेड़-पौधों और वनस्पतियों के बारें में जानने का अवसर

एकता ने साल 2010 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज मिरान्डा हाऊस से लाइफ साइंसेज से B.Sc की पढ़ाई पूरी करने के बाद देहरादून चली गईं। वहां उन्होंने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्युट में दाखिला लेकर पर्यावरण विज्ञान में स्नाकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की। वहां रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए अक्सर सभी स्टूडेंट्स के साथ वह भी गढ़वाल के जंगलों में जाती थी, जहां उन्हें विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों और वनस्पतियों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलता था। एकता को पहले से ही पेड़-पौधों से एक अलग प्रकार का रिश्ता था।

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हॉस्टल के कमरे में शुरु किया गार्डनिंग

पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने के बाद वह डॉक्टरेट की पढ़ाई करने के लिए बेंगलुरु चली गई और वहां साइन्स रिसर्च इंस्टीटयूट से इकोलॉजी से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। चूँकि, पेड़-पौधों से जुड़ाव होने के कारण उन्होंने डॉक्टरेट की पढ़ाई करने के दौरान ही अपने हॉस्टल के कमरे में ही पेड़-पौधें लगाना शुरु कर दिया।

शुरु किया गार्डनअप

एकता बताती हैं कि, साल 2017 में “गार्डन अप” (Garden Up) नाम से खुद का यूट्यूब चैनल शुरु किया और उसपर अपने गार्डन का पहली बार वीडियो अपलोड किया। उस समय उनके उनके हॉस्टल के कमरे में लगभग 30-40 ही पौधे थे। चूँकि, PHD में लैब में घंटों व्यतीत करना पड़ता है ऐसे में उन्होंने वहां भी एक छोटा-सा किचन गार्डन तैयार किया था, जहां वह शाम के समय समय गुजारती थीं। उसके बाद उन्होंने यूट्यूब पर अपने गार्डन का वीडियो अपलोड करना शुरु किया।

गार्डनअप कम्पनी में हुआ तब्दील

बता दें कि, एकता ही अपने मोबाइल से वीडियो शूट करती थीं। गार्डन में सुबह की रौशनी बेहद प्यारी और मनमोहक होती है इसलिए वह सुबह जल्दी लैब में चली जाती ताकि वहां के किचन गार्डन में सुबह के नजारे को शूट किया जा सके। उन्होंने गार्डन अप को अपने शौक को पूरा करने के लिए शुरु किया था लेकिन किसे पता था वह आगे चलकर कम्पनी में तब्दील हो जाएगा। उन्होंने ऑनलाइन रिटेल स्टोर की शुरूआत की। वहां भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधें और प्लांटर्स समेत गार्डनिंग से जुड़ी सभी चीजें उपलब्ध हैं। इसके अलावा वह लोगों को गार्डनिंग से जुड़ी जानकारी भी देती हैं।

लॉकडाउन में की कार्पोरेट वर्कशॉप ऑनलाइन

एकता बताती हैं कि, वैज्ञानिकों के शोधों से पता चलता है हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए गार्डनिंग और पेड़-पौधें का सकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए कोरोना महामारी में गार्डनिंग करके अपने और अपने परिवार के मन को सकारात्मक बनाए रखा। वहीं कई कार्पोरेट कंपनिया भी कर्मचारियों में पोजिटिविटी के लिए कारपोरेट वर्कशॉप करवाना शुरू किया। एकता ने भी लॉकडाउन के पहले इस काम को ऑनलाइन शुरु किया। लेकिन कोरोना के बाद गार्डनअप धीरे-धीरे ऑनलाइन से फिजिकली होने लगी।

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गार्डनिंग से जुड़ी जानकारी देने के साथ ही कॉन्ट्रैक्ट पर करती हैं गार्डन डिजाइन

वर्तमान में एकता की कम्पनी गार्डन अप इंस्टीट्यूट, संगठनों और कार्पोरेट्स के लिए वर्कशॉप आयोजित करती है। इसके साथ ही वह अपने यूट्यूब चैनल और ब्लॉग के माध्यम से लोगों को जानकारी मुहैया कराती हैं कि घर में खाद कैसे बनाएँ, सही पौधें कैसे खरीदें और पौधों को प्रपोगेट करने की प्रक्रिया क्या होती है। वह गार्डनिंग से जुड़ी तमाम जानकारी देने के साथ-साथ उसके पीछे के विज्ञान को भी आसान भाशा में समझाती हैं ताकि लोगों को कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा वह कॉन्ट्रैक्ट पर लोगों का गार्डन भी डिजाइन करती हैं।

1 हजार स्क्वायर फीट में लगा है 1000 से अधिक पौधें

मुम्बई में एकता का एक हजार स्क्वायर फीट का घर है जिसमें उन्होंने 1000 से अधिक पौधें लगाएं हैं। इसके अलावा वह किचन गार्डनिंग (Kitchen Gardening) भी करती हैं, जिसमें वे कई प्रकार के फल- सब्जियां उगाती हैं। इसके अलावा एकता गार्डनिंग का कोर्स और क्लास भी संचालित करती हैं ताकि लोगों को बागवानी करने में मदद मिल सके।

गार्डन अप के जरिए कई लोगों को दिया रोजगार

वर्तमान में एकता अपनी कम्पनी गार्डन अप में कई सारी महिलाएं और कलाकारों के साथ कोलैबरेशन में काम कर रही हैं जबकी पांच लोग फुल टाइम जॉब कर रहे हैं। गार्डन अप पर कई प्रकार के सजावटी गमले और होम डेकोरेशन जैसे सामान उपलब्ध हैं। ये सभी सामान मुम्बई और उसके आसपास के गांवों और शहरों के रहनेवाले दस्तकार और महिलाओं द्वारा बनाए जाते हैं। शौक की तर्ज पर शुरु हुआ गार्डनअप आज बिजनेस का रूप ले लिया है जिसके तहत एकता कई लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं।

हर पौधों को देखभाल का तरीका होता है अलग-अलग

एकता कहती हैं कि, उनके गार्डनिंग ध्यान की तरह है। वह प्रतिदिन सुबह का समय अपने पौधें के साथ व्यतीत करती हैं, क्योंकि सुबह की यह बेला उन्हें पूरे दिन तरो ताजा रखती है। इसके अलावा वह बताती हैं कि प्रत्येक पौधों को अलग-अलग देखभाल की आवश्यकता होती है जैसे, किसी को धूप तो किसी को छांव, पीले सूखे पत्तों को छटाई, गमले की गुड़ाई आदि।