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नौकरी की परेशानियों से तंग आकर इंजीनियर ने खोली चाय की दुकान: बोले, कोई काम छोटा नही होता

कोई भी काम बङा या छोटा नहीं होता। लोगों का जिस काम में दिल लगे उसे हीं करना चाहिए। यह कथन सही भी है क्यूंकि यदि किसी की रुचि एक कार्य में नहीं है तो वह उस कार्य को बेहतर तरीके से नहीं कर सकता है। जबकि जिस कार्य में उसकी रुचि हो वह कार्य बहुत ही बेहतर ढंग से कर सकता है। मनुष्य यदि अपने पसंद के अनुसार कार्य करे तो वह अत्यधिक खुश और संतुष्ट रहता है तथा अच्छे ढंग से भी करता है। आज बात एक ऐसे सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जिसने अपने पसन्द का काम करने हेतु अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और चाय की स्टॉल लगाकर सफलता हासिल की।

हाल ही में IAS अविनाश शरण ने उस इंजीनियर की कहानी को ट्विटर पर शेयर किया। उन्होंने अपने शेयर किए हुए पोस्ट में उस इन्जीनियर की बहुत ही सराहना किया है और उस इंजीनियर के इमानदारी के कारण उसके फैन हो गए। IAS अविनाश शरण ने ट्विटर पर अपने पोस्ट में लिखा कि “आज के समय में इतनी इमानदारी कहां दिखती है…सबकुछ साफ-साफ बता दिया इन्होने!! ‘इंजीनियर चायवाला’ with job satisfaction.?

यह एक ऐसे इंजीनियर की कहानी है जिसने कई बड़ी-बड़ी कम्पनियों में नौकरी किया लेकिन कहीं भी उसे मन की शांति नहीं मिली और ना ही अच्छी चाय। उस इंजीनियर ने सुकून और अच्छी चाय की खोज में एक चाय की स्टॉल खोल दिया। उस इंजीनियर ने अपने चाय के स्टॉल पर लिखा भी है कि…

tea stall

वैसे तो मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं। कई कम्पनियों जैसे विप्रो, बिजनेस इंटेलीजेंस, ट्रस्ट सॉफ्टवेयर में कार्य कर चुका हूं। जहां पैसे तो मिलते थे लेकिन सुकून नहीं। मैं हमेशा से हीं बिजनेस करना चाहता था। हर रोज मेरे टेबल पर चाय आती थी पर मुझे कभी बेहतरीन चाय नहीं मिली। मैं हमेशा से ही चाय का शौकीन रहा हूं। मैं चाहता था कि लाजवाब चाय पीने को मिले। तो मैने चाय से ही अपने बिजनेस की छोटी शुरुआत की और मै बन गया…इंजीनियर चायवाला”

उस इंजीनियर के कार्य और साहस की सराहना अनेको लोगों ने किया, विशेषतः वह जो ऐसा करना चाहते हैं।

इस कहानी से निष्कर्ष निकलता है कि जिस कार्य में सुकून मिले वही कार्य करे। क्यूंकि अन्य कार्य में पैसे तो मिलेंगे लेकिन मन की शांति नहीं मिलेगी। मनुष्य जीवन में खुश रहने के लिये शांति और संतुष्टी होना बेहद आवश्यक है।

The Logically उस इंजीनियर चायवाला की खूब सराहना करता है।

1 COMMENT

  1. Yes I agreed, do work where you get satisfaction. I agreed that this no works is small or big. But our thing thinking are small and big. On the other hand, wherein, students wasiting 5 to 10 lacs on his higher study, thereafter no guaranteed that you wl get govt or pvt.job as per ur expecation and you wl feel happy. Everybody wants here to doctors and engrs, but in MBBS one crore you wl spend, then after finishing MBBS, you want to open clinic, then you reqd money also. If taken loan then 5to 6 yrs you hv topay EMI of bank loan, and if not clinic got good business, then what wl happen.. you wl feel bad also. You tell yrself, what I got after spending a lot of money. Do works, where you earn more, and get satisfactions.

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