हमारे पर्यावरण के लिए प्लास्टिक बहुत ही हानिकारक है और आजकल प्लास्टिक का इस्तेमाल हर चीज में होता है। आपने भी पेय पदार्थ पीने के लिए प्लास्टिक के स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया होगा। प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए पेपर स्ट्रॉ का इस्तेमाल शुरू हुआ। पर इन दोनों में ही कुछ परेशानी आती हैं और दोनों किसी न किसी तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। इस परेशानी को पहचान कर Evlogia Eco Care नाम के स्टार्टअप की शुरुआत की गई जो कि नारियल के सूखे पत्तों से स्ट्रो बनाती है।
Evlogia Eco Care की शुरुआत बैंगलूर में 2018 में की गई। इसकी स्थापना मणिगंदन(Manigandan) ने अपनी पत्नी राधा मणिगंदन(Radha Manigandan) के साथ की थी। इसके पहले मणिगंदन एक MNC में काम किया करते थे। 2016 में खुद का व्यवसाय शुरू करने के इरादे से इन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद इन्होंने टेनको नाम की कंपनी बनाई जो की ई-कॉमर्स पर नारियल बेचने का काम करती थी।
Kokos leafy straw बनाने का विचार ग्राहकों के फीडबैक से आया
मणिगंदन बताते है कि उन्हें बहुत से लोग पेपर स्ट्रॉ के जगह किसी स्थाई विकल्प को तलाशने की फ़ीडबैक देते थे। तब मणिगंदन को नारियल के बड़े पत्तो से स्ट्रॉ बनाने का विचार आया। नारियल के पत्तो के बीच के भाग का इस्तेमाल झाड़ू बनाने में होता हैं इसके बाद इन पत्तो को कचरे के रूप में खेतों में फेंक दिया जाता है। मणिगंदन ने अपने इस काम के लिए महिलाओं को खेत में पत्ते इकठा करने के काम पर लगाया। वह महिलाएं खेत से पत्ते इकट्ठा कर, उसे पानी से साफ करती हैं फिर उसे कुछ दिन धूप में सुखाती हैं। यहां से वह पत्ते बेंगलुरु के प्रोडक्शन यूनिट में जाते हैं। जहां पर प्रेशर हीटिंग प्रोसेस से उन पत्तियों को साफ किया जाता है उन पत्तियों को 120 डिग्री सेल्सियस पर भाप से धोया जाता है। फिर रोलिंग मशीन के द्वारा जो कि एक सिलाई मशीन की तरह है उन पत्तियों को स्ट्रॉ में रोल किया जाता है। यह मशीन आसानी से पैरों से चलाई जा सकती है। सबसे आखिर में स्ट्रॉ को 8.25 इंच के आकार में काटा जाता है। बहुत बार स्ट्रो को ग्राहक के अनुसार आकर में बनाया जाता है। स्ट्रॉ को 4 इंच से 12 इंच के आकार में भी बनाया जा सकता हैं स्ट्रॉ की कीमत उसके आकार के आधार पर तय होता है। स्ट्रॉ 1.5 से 3 रुपये तक के बीच में बिकता है।
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Evlogia Eco Care का सारा काम महिलाएं संभालती हैं
इस काम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पत्ते इकट्ठा करने से लेकर स्ट्रॉ को आकार देने तक का हर काम यहां महिलाएं संभालती हैं 2019 में इसमें मात्र एक कर्मचारी था पर आज यहां पर 15 कर्मचारी काम करते हैं। पहले हर दिन बस 100 स्ट्रॉ बनाया जाता था पर अब मशीन आने के बाद से हर दिन कम से कम 10000 स्ट्रॉ बनाए जा रहे हैं।
विदेशो में भी है इस लिफ़ी स्ट्रॉ की मांग
नारियल के पत्तों से बने स्ट्रॉ की मांग कनाडा, जर्मनी, यूएसए जैसे अन्य देशों की रेस्तरां में भी है।
मणिगंदन बताते है कि वह सूखे पत्ते तमिलनाडु के पलानी, डिंडीगुल, मदुरै और ओटाचधिरम से मंगवाते हैं।
अब एयर टाइट कंटेनर बना रहे हैं
मणिगंदन बताते है कि उनकी कंपनी अब अटेका के पत्तो से एयर टाइट कंटेनर बनाने का काम कर रही हैं।
मणिगंदन के अनुसार ये नारियल के पत्तो से बने स्ट्रॉ गर्म पेय पदार्थ में आधे घंटेऔर ठंडे पेय पदार्थ 6 घंटे रखे जा सकते हैं। Evlogia Eco Care की वेबसाइट पर जाकर आप भी इस लीफ़ी स्ट्रॉ को मंगा सकते हैं।