14 सितंबर. भारत में इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। चूंकि सन 1949 में 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। इसलिए 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व देखते हुए इसे हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
हिंदी देश की राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है
जिस देश में हर एक कोस पर पानी और चार कोस पर बोली बदल जाती है, उस देश में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना मुमकिन नहीं था। 6 दिसंबर 1946 को स्वतंत्र भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ था जिसकी सुई राष्ट्रभाषा के चयन पर आकर अटक गई थी। दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों को यह मंजूर नहीं था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हो। इसलिए 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया गया कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी।
विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद का भाषण
हिंदी की बात जब भी होती है स्वामी विवेकानंद के शिकागो सम्मेलन में दिए गए भाषण की चर्चा ज़रूर होती है। अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था और विश्वपटल पर भारत को एक नई पहचान दिलाई थी। स्वामीजी के इस भाषण ने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया। जब उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत अपनी मातृभाषा में “मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों” कहकर की तो हॉल तालियों से गूंजने लगा था, अपने इस वाक्य से भाषण शुरू कर विवेकानंद ने सभी का दिल जीत लिया था। अपने इस भाषण से स्वामी विवेकानंद ने विश्व का भारत और हिन्दू धर्म से परिचय कराया था।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में दिया गया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण
साल 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे। तब देश के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे। उस वक्त अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण दिया था। ऐसा पहली बार हुआ था जब यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर किसी भारतीय नेता ने अपनी राजभाषा में भाषण दिया हो। अटल जी एक प्रखर वक्ता थे, वह अंग्रेजी भी धाराप्रवाह बोलते थे। संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने का उनका उद्देश्य था, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ से अवगत कराना। उन्होंने अपने इस भाषण में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश दिया था। इसके अलावा मानव अधिकारों के साथ-साथ रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दे पर भी चर्चा किया था। अटल जी का यह भाषण यूएन में आए सभी प्रतिनिधियों को इतना पसंद आया था कि सबने खड़े होकर उनके लिए तालियां बजाई थी।
सन 2000. तब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे। संयुक्त राष्ट्र सभा में हिंदी में भाषण देने के बाद सन 2000 में अटल जी अमेरिका गए। तारीख थी 14 सितंबर यानी हिंदी दिवस लेकिन अमेरिकी संसद में उस दिन अटल जी हिंदी में भाषण नहीं दे पाएं। वहां उन्होंने अंग्रेज़ी में भाषण दिया। इसके बाद सन 2002 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने दुबारा से संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतरराष्ट्रीय मंच से हिंदी में अपनी बात रखी थी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में मोदी का हिंदी में भाषण
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में 27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी भाषा में भाषण दिया। उन्होंने अपने इस संबोधन में वैश्विक चुनौतियों के साथ भारत की उपलब्धियों को रेखांकित किया था।
#संयुक्तराष्ट्र अब हिंदी में है!
— United Nations in India (@UNinIndia) July 19, 2018
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संयुक्त राष्ट्र ने हिंदी में अकाउंट बनाया और ट्वीट किया
हिंदी भाषा का सम्मान उस समय और बढ़ गया जब संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने 11 जुलाई 2018 को ट्विटर पर हिंदी में अपना अकाउंट बनाया और हिंदी भाषा में ही पहला ट्वीट किया, “नमस्कार! संयुक्त राष्ट्र अब हिंदी में ट्वीट कर रहा है।”