Sunday, December 10, 2023

170 वर्षों पहले स्टेशन पर पूरी-सब्जी बेचकर बनाया मुम्बई शहर का फेमस ब्रांड: पंचम पूरीवाला

कहते हैं न, मेहनत, जुनून, लगन ये तीन चीजें अगर किसी इंसान के पास होगी तो वे छोटे कारोबार करके भी अपनी पहचान पूरी दुनिया में बरकरार कर सकता है। जी हां, मुंबई में पूरी और आलू की भाजी के लिए मशहूर ‘पंचम पूरीवाला’ रेस्टोरेंट (Pancham Pooriwala restaurant) की कहानी कुछ ऐसे हीं है।

मुंबई के CST स्टेशन के पास की एक गली में ‘पंचम पूरीवाला’ एक छोटा सा दुकान है लेकिन यह दुकान अपने लजीज भोजन को लेकर पूरे देश में सभी जगह मशहूर है। इस छोटे से दुकान के पास लोगों की भीड़ देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसने मुंबई के लोगों के दिलों में अपनी कितनी जगह बनाई है।

170 साल पुराना है यह दुकान

यह जानकर आपको आश्चर्य जरूर होगा कि यह दुकान (Pancham Pooriwala restaurant) 170 साल पुराना है। इस दुकान पर दूर दूर से लोग पूरी-सब्जी खाने के लिए आते है। वैसे तो मुंबई वालों की भीड़ यहां पंचम की पूरी खाने के लिए हमेशा रहती है तो वहीं झारखंड से मुंबई घूमने आए धीरेन कहते हैं, “मैंने अखबार में पंचम पूरीवाला के बारे में पढ़ा था, इसलिए घूमते-घूमते मैं यहां का पूरी चखने चला आया। क्योंकि हमारे प्रदेश में वडापाव कोई नहीं खाता। वहां सुबह के नाश्ते के में आलू की सब्जी और पूरी आपको हर जगह मिल जाएगी। जब मैं पंचम पूरीवाला का पूरी खाया तो मुझे घर की पूरी-सब्जी का स्वाद मिला।”

‘पंचम पूरीवाला’ के 60 वर्षीय संदीप शर्मा ने बताया कि, वे इस बिज़नेस की पांचवी पीढ़ी से हैं और आज इनके दो भाई और उनके बच्चे यानी छठवीं पीढ़ी भी पंचम पूरीवाला से जुड़ चुकी है।

वहीं कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि, पहले ‘पंचम पूरीवाला’ एक छोटा सा स्टॉल हुआ करता था और यहां की पूरी का स्वाद महात्मा गाँधी से लेकर राजेश खन्ना ने भी चखा है।

कैसे शुरू हुआ ‘पंचम पूरीवाला’ का सफर

संदीप (Sandeep) ने बताया कि, इस कारोबार (Pancham Pooriwala restaurant) की शुरुआत मेरे दादा जी के दादा जी ने किया था। मेरे दादा जी का नाम बद्रीप्रसाद शर्मा था, जो हमेशा अपने दादा जी के बारे में बताते थे कि कैसे वे वर्ष 1850 के आस-पास सड़क के रास्ते पैदल चलकर आगरा से मुंबई पहुंचे थे और VT (Victoria Terminus) स्टेशन के बाहर एक छोटी सी टपरी से शुरुआत की थी। वे उस टपरी पर पूरी और आलू भाजी बना कर भूखे लोगों को खिलाने का काम करते थे।
फिर 20 सालों के बाद उन्होंने उसी जगह पर एक छोटा सा दुकान खोला और वहीं दुकान आज तक कायम है।

आगे संदीप ने बताया कि, वे सन 1980 से हीं अपने पिता के साथ रेस्टोरेंट का काम संभाला करते थे, उस वक्त उनकी उम्र 21 वर्ष थी।

अपने पिता और दादा जी को याद करते हुए वे कहते हैं कि, हमेशा से हीं मेरे पिता जी और दादा जी मुझे बताया करते थे कि इस दुकान की शुरुआत आम लोगों को ध्यान में रखकर की गई थी। इसलिए इसे हाई-फाई रेस्टोरेंट न बनाया जाए। बस उसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने इसे आज भी वैसा ही छोटा सा रखा है, जहां आम आदमी बिना हिचकिचाहट के आ सके और कम खर्च में भरपूर भोजन कर सके। हां समय के साथ मै कुछ बदलाव किया हूं कि हम आज केरोसिन के स्टोव की जगह गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करते हैं।”

वहीं, संदीप के बेटे शिवांग ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। अब वे कुछ नई पीढ़ी के अनुसार नए बदलाव करने वाले हैं। साथ हीं वे पंचम पूरीवाला के कुछ आउटलेट्स शुरू करने वाले हैं।

समय के साथ किए गए कुछ नए बदलाव

लंबे समय से इस रेस्टोरेंट (Pancham Pooriwala restaurant) में पूरी और आलू की भाजी ही मिलती थी, जिसमें मसाला पूरी और सादा दो तरह की पूरियां ग्राहकों को परोसी जाती थी। लेकिन संदीप के पिता ने इसमें कुछ बदलाव किया और पूरी के साथ कढ़ी और राजमा-चावल को भी परोसना शुरू किया।

वहीं संदीप ने भी इसमें (Pancham Pooriwala restaurant) कुछ नए बदलाव किया। उन्होंने पूरियों को और भी आकर्षक और लजीज बनाने के लिए पालक, बीट और पनीर पूरी को कुछ साल पहले ही मेनू में शामिल किया है। इस रेस्टोरेंट के संस्थापक के नाम से ‘पंचम थाली’ भी लोगों में काफी मशहूर है।

इसकी सबसे खास बात यह है कि बहुत कम खर्च करके इस रेस्टोरेंट में पेट भरकर भोजन किया जा सकता है।