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बिहार के वह 12 जगहें जो भारत की पुरानी संस्कृति और पहचान के सबूत हैं, बिहार देखना है तो इन्हें जरूर देखें

बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जहां धर्म से लेकर ज्ञान तक की उत्पत्ति हुई। यहां बड़े-बड़े महापुरुषों का जन्म हुआ। भारत के पहले प्रधानमंत्री डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार में ही हुआ था और जीरो का आविष्कार भी बिहार के रहने वाले आर्यभट्ट में किया था।

दुनिया की सबसे पुरानी विश्वविद्यालय बिहार में ही है। इस विश्वविद्यालय में दुनिया के हर कोने से लोग आकर ज्ञान अर्जित करते थे। बिहार में ही बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शुरुआत की गई। बिहार का इतिहास देखा जाए तो अखंड भारत का निर्माण बिहार के मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने किया था। बिहार एक धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है भगवान श्री राम जी की पत्नी जानकी सीता का जन्म स्थल बिहार के सीतामढ़ी में ही है बिहार में काफी ऐसे दर्शनीय और धार्मिक स्थल है जिसे आप छुट्टियों में घूमकर के आनंद ले सकते हैं तो आईए जानते हैं बिहार के उन सभी दर्शन स्थल के बारे में। (Famous Places to visit in Bihar)

  1. पटना (Patna)

पटना, बिहार की राजधानी है। पटना शहर पवित्र नदी गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित है। पटना का प्राचीन नाम पाटलीपुत्र या पाटलिपट्टन है। पटना को और भी कई अजीमाबाद, कुसुमपुर, पाटलिग्राम, जैसे नाम उसे भी जाना जाता है। पटना का नाम पट्टन नाम पर पड़ा। सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में ही हुआ था और यह सिखों के लिए एक धार्मिक तीर्थ स्थल है। पटना सिटी में सिखों के अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह का गुरुद्वारा भी बना हुआ है। पटना के धार्मिक स्थल गुरुद्वारा बाल लीला, गुरुद्वारा गुरु का बाघों, गुरुद्वारा पहिला बर, गुरुद्वारा हांडी साहिब, गुरुद्वारा गोविंद घाट, कुम्हरारी, कुआनू, आगामो, किला हाउस, गोलघर, पटना संग्रहालय, बुद्धा समिति पार्क, पादरी की हवेली, तख्त श्री पटना साहिब, दीदारगंज यक्षियो जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल है।

beautiful view of golghar patna in bihar
गोल घर, पटना

बिहार में घूमने वाले प्रसिद्ध जगह (Famous Places to visit in Bihar)

पटना में प्राचीन गोलघर, संग्रहालय, विज्ञान केन्द्र, महावीर मंदिर व पवित्र नदी गंगा के तट बेहद रमणीय स्थल हैं। जो लोग पटना के पर्यटन स्थल घूमने आते हैं उनके लिए होटल, मॉल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अगर आप बिहार की राजधानी पटना आते हैं तो पटना के इस पर्यटन स्थल घूमकर के आप आनंद उठा सकते हैं।

महाबीर मंदिर, पटना
  1. नालंदा (Nalanda)

बिहार का नालंदा जिला घूमने के लिए काफी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थल है। नालंदा प्राचीन बिहार का एक बौद्ध मठ था। जो मगध के प्राचीन राज्य में एक शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र के रूप में काम करता था। आज नालंदा यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर स्थल माना जाता है। नालंदा में ही खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मूर्ति मिली थी जो आज नालंदा के म्यूजियम में रखा गया है। नालंदा में भारत का सबसे पुराना विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय हैं।

नालन्दा खंडहर

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ईशा पूर्व गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने किया था। नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया भर के छात्र अपना ज्ञान अर्जित करने आते थे। इस विश्वविद्यालय में लगभग 10 हजार छात्र पढ़ते थे और छात्रों को पढ़ाने के लिए 2000 शिक्षक थे। इस नालंदा विश्वविद्यालय में हर धर्म के छात्र पढ़ने आते थे। बिहार राज्य के नालंदा जिला पर्यटक के लिए काफी आकर्षण का केंद्र है। यहां प्रमुख पर्यटन स्थल है जो लोगों को काफी आकर्षित करते हैं नालंदा में सिलाओ, सूरजपुर बड़गांव, राजगीर नेतृत्व महोत्सव, नालंदा मल्टीमीडिया संग्रहालय, नालंदा पुरातत्व संग्रहालय, जुआंजांग मेमोरियल हॉल, म्यूज़ियम, नालंदा खंडहर जैसे प्रमुख स्थान है।

नवनिर्मित नालन्दा विश्वविद्यालय
  1. गृद्धकूट चोटी, राजगीर (Griddhkoot Choti, Rajgir)

गृद्धकूट चोटी बिहार के राजगीर में स्थित है। यह स्थल राजगीर के पर्यटन स्थलों में से एक है। गृद्धकूट चोटी बौद्धों के लिए काफी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है यह गृद्धकूट चोटी 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है भगवान गौतम बुद्ध ने इस गृद्धकूट चोटी के लिए प्रचार प्रसार किया था। कहां जाता है कि इस गृद्धकूट का नाम इसकी बनावट और यहां बार-बार गिद्धों के आने से गृद्धकूट नाम पड़ा। गृद्धकूट को इतिहास के पन्नों में काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इसकी यह वजह है कि भगवान बुद्ध ने मौड़ी वंश के राजा बिंबिसार को परिवर्तित करने के लिए कमल सूत्र का ज्ञान दिया था। किसके साथ साधन भगवान बुद्ध ने इस स्थान पर कई सारे उपदेश जी दिए थे। इस गृद्धकूट चोटी पर एक शांति शिवालय स्थित है जो जापान के बौद्धों ने बनाया था। यह गृद्धकूट घूमने के लिए काफी अच्छा स्थान है।

गृद्धकूट पर्वत
  1. विश्व शांति स्तूप, राजगीर (Wishwa Shanti Stoop, Rajgir)

विश्व शांति स्तूप बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में स्थित है। इस विश्व शांति स्तूप का उद्घाटन साल 1969 ईस्वी में हुआ था। यह 72 फीट ऊंचा एक गोला कार गुंबद के आकार का बना हुआ है। यह विश्व शांति स्तूप जमीन से 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। विश्व शांति स्तूप को देखने के लिए आप लिफ्ट के माध्यम से या फिर पैदल यात्रा भी कर सकते हैं। यहां हर साल वाषिक महोत्सव मनाया जाता है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। इसके साथ-साथ यहां बौद्ध भिक्षु भी इस महोत्सव का आनंद लेने के लिए आते हैं। (Famous Places to visit in Bihar)

यह विश्व शांति स्तूप बुद्ध के जीवन के चार महत्वपूर्ण चरणों को दर्शाती है। यह चार महत्वपूर्ण चरण जन्म, ज्ञान, शिक्षा और मृत्यु है। इसे शांति का शिवालय भी कहा जाता है। यह विश्व शांति स्तूप सफेद संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। विश्व शांति स्तूप राजगीर के पहाड़ों के बिंदु पर स्थित है। विश्व शांति स्तूप का डिजाइन जापान के कलाकारों द्वारा किया गया है जो दिखने में काफी आकर्षित और सुंदर लगता है यहां हर साल देश विदेश से लोग घूमने के लिए आते हैं और यहां के खूबसूरती का आनंद उठाते हैं।

विश्व शांति स्तूप, राजगीर
  1. वैशाली (Vaishali)

बिहार का वैशाली प्राचीन शहरों में से एक है। वैशाली जिला का नाम यहां के शासक राजा विशाल के नाम पर पड़ा है। वैशाली जिला एक ऐसा जिला है जो दुनिया का पहला लोकतांत्रिक गणराज वैशाली में ही स्थापित किया गया था। मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने कलिंग के नरसंहार करने के बाद बौद्ध धर्म को अपना लिया था इसके बाद इन्होंने अपना एक स्तंभ खड़ा किया वैशाली में ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। और इनका पालन पोषण छठी शताब्दी ईशा पूर्व वैशाली गणराज के कुंडलग्राम में हुआ था।

विश्व शांति स्तूप, वैशाली

भगवान बुद्ध ने अपना जीवन इसी वैशाली जिला में ही व्यतीत किए थे। वैशाली जिला बिहार का एक छोटा जिला है इस जिले में बौद्ध धर्म जैन धर्म और हिंदू धर्म के लिए धार्मिक सिद्ध स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध माना जाता है। वैशाली केले की खेती के लिए प्रसिद्ध मानी जाती है। वैशाली जिला में काफी प्रमुख पर्यटक स्थल कुंडलपुर, चौमुखी महादेव, विश्व शांति शिवालय, राज्याभिषेक टैंक, अवशेष स्तूप, राजा विशाल का गढ़ी, बावन पोखर मंदिर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संग्रहालय, कुटागरसला विहार, जैसे प्रमुख पर्यटक स्थल है जो लोगों को काफी आकर्षित करती है। (Famous Places to visit in Bihar)

वैशाली, खंडहर

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  1. मुंगेर (Munger)

मुंगेर बिहार राज्य के प्रमुख जिलों में एक है। मुंगेर शहर पवित्र नदी गंगा के किनारे बसा हुआ है। मुंगेर जिला का उल्लेख महर्षि वाल्मीकि ने भारत के पवित्र धार्मिक ग्रंथ रामायण में किया है जिसकी वजह से भारत के हर हिस्से से लोग इस स्थान पर घूमने आते रहते हैं। मुंगेर शहर वर्तमान में मुंगेर और जमालपुर मिलकर के जुड़वा शहर बन गया है। कहां जाता है कि मुंगेर बिहार के सबसे पुराने शहरों में से एक है जो अंग्रेजों के पहले मीर कासिम की राजधानी था।

मुंगेर में मनपत्थर, सीता कुंड, श्री कृष्ण वाटिका, चंडिका अस्थानी, उचेश्वरनाथ, गोयनका शिवालय, पीरपहाड़ी, मालनी पहाड़ी, मुल्ला मोहम्मद सय्यद कब्र, रामेश्वर कुंडी, मुंगेर का किला, शीतला मंदिर, जयप्रकाश उद्यान, काली पहाड़ी, बड़ी दुर्गा मां मंदिर, ऋषि कुंड, हाहा पंच कुमारी, दिलबरपुर, सफियाबाद मिर्जा, खड़गपुर झील, मारुकी, भीमबंध, बैपटिस्ट मिशन, पिपरपंती मैं गुरुद्वारा, पीर शाह नफह श्राइन, कस्तहरणी घाटी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो लोगों को अपनी और काफी आकर्षित करते हैं। यह स्थल घूमने के लिए कफी अच्छा है और यहां का वातावरण काफी सुंदर है।

  1. नवलखा पैलेस, राजनगर (Nawlakha Palace, Rajnagar)

नवलखा पैलेस बिहार राज्य के मधुबनी जिला में स्थित है यह नवलखा पैलेस निर्माण दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह के द्वारा बनाया गया था। बताया जाता है कि यह नवलखा महल को 9 लाख चांदी के सिक्कों से बनाया गया था। जो 1934 ईस्वी में भूकंप के कारण यह महल तबाह हो गया था। इसके बाद इस नवलखा महल का दुबारा से निर्माण नहीं किया गया। इस नवलखा महल के परिसर के आसपास कहीं मंदिर बने हैं।

जिसमें एक खास मंदिर काली मंदिर है जो नवलखा महल के ठीक सामने बना हुआ है। इस काली मंदिर में एक तालाब जी है जो कहां जाता है कि इस तालाब का पानी महारानी के कमरे तक आता था। संगमरमर से बनाया यह काली मंदिर लोगों को अपनी ओर काफी आकर्षित करती है। बिहार के मधुबनी जिला में स्थित यह नवलखा महल वर्तमान में खंडहर बन चुका है परंतु इसे देखने के लिए भारत के हर हिस्से लोग आते रहते हैं।

नवलखा पैलेस, राजनगर

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  1. विक्रमशिला खंडहर, भागलपुर (Vikramshila University, Bhagalpur)

विक्रमशिला बिहार राज्य के भागलपुर जिले में स्थित है इसकी स्थापना नरेश धर्मपाल ने आठवीं शताब्दी में किया था। विक्रमशिला विश्वविद्यालय में 160 विहार थे जिनमें से 100 शिक्षकों की व्यवस्था की गई थी। अतीस दीपांकर जो प्रसिद्ध पंडित थे वह इसी विक्रमशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण किए थे। विक्रमशिला विश्वविद्यालय को नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही बौद्ध संसार में सामान दृष्टिकोण से देखा जाता था। साल 1203 ईस्वी में एक विदेशी मुस्लिम शासक बख्तियार खिलजी ने इस विक्रमशिला विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था। (Famous Places to visit in Bihar)

विक्रमशिला विश्वविद्यालय में दर्शन बौद्ध धर्म न्याय व्याकरण और तत्वज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। इस विश्वविद्यालय में सभी छात्रों को किताबें उपलब्ध कराई जाती थी। वर्तमान में विक्रमशिला विश्वविद्यालय एक खंडहर बना हुआ है परंतु सरकार ने अब इस विश्वविद्यालय पर ध्यान देना शुरु कर दिया है जिसकी वजह से इस विक्रमशिला विश्वविद्यालय में काम शुरु कर दिया गया है। शुरुआत में खुदाई करते समय यहां पर स्तूप, बौद्ध मठ और कई दीवार मिले हैं। यह स्थान पर्यटकों को घूमने के लिए काफी अच्छा है।

  1. शेरशाह सूरी मकबरा, सासाराम (Shershah Suri Tomb, Sasaram)

शेरशाह सूरी मकबरा बिहार राज्य के रोहतास जिले के सासाराम शहर में स्थित है। शेरशाह सूरी ने अपनी शासनकाल में यह मकबरा बनाया था। परंतु इस मकबरे का पूरा निर्माण शेरशाह के मृत्यु के तीन महीने बाद पूरा हुआ था। इसका निर्माण 1545 ई. में किया गया था। इस मकबरे का शिल्पकार अलीवाल खान ने किया था। यह मकबरा झीलों के बीच बीच उठे हुए चबूतरे पर में बनाई गई है। जो दिखने में काफी सुंदर और आकर्षित लगता है।

shershah suri tomb

शेरशाह सूरी का यह मकबरा भारत के सर्वश्रेष्ठ इमारतों में से एक इमारत है। शेरशाह सूरी मकबरा का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। कहा जाता है कि शेरशाह सूरी का यह मकबरा इस्लाम पर आधारित है लेकिन इस मकबरे का अंदर का हिस्सा हिंदू वास्तु कला से सजाया गया है। बताया जाता है कि इस मकबरा के अंदर 24 कब्रें बनाई गई है इन 24 कब्रों के बीच में शेरशाह सूरी का कब्र है और इनके आसपास शेरशाह सूरी के परिवार और इनके मंत्रियों का कब्र बना हुआ है। शेरशाह सूरी का यह मकबरा देखने में काफी खूबसूरत और आकर्षित है इस मकबरे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

  1. जानकी मंदिर, सीतामढ़ी (Janki Mandir, Sitamarhi)

जानकी मंदिर बिहार के सीतामढ़ी में स्थित है। यह स्थान माता सीता का जन्म स्थल है। इस स्थान को पुनौरा धाम के नाम से भी जाना जाता है। जानकी मंदिर माता सीता का प्राचीन मंदिर है। कहां जाता है कि माता सीता का यह जानकी मंदिर लगभग 100 साल पुराना मंदिर है। मां जानकी का यह मंदिर के प्रवेश द्वार काफी बड़ा है। जिसे भक्त काफी संख्या में इस मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।

इसके साथ-साथ यहां एक जानकी कुंड भी है जिसमें भक्त स्नान करके माता जानकी की आराधना करते हैं। माता जानकी का यह मंदिर देखने में काफी सुंदर और आकर्षित है जिसे देखने के लिए भारत के अन्य इससे लोग आते रहते हैं और यहां आकर जानकी कुंड में स्नान करके माता सीता की आराधना करते हैं। यह तीर्थ स्थान पर्यटकों के लिए काफी अच्छा है।

  1. जल मंदिर, पावापुरी (Jal Mandir, Pawapuri)

जल मंदिर बिहार राज्य के नालंदा जिले के पावापुरी शहर में स्थित है। कहा जाता है कि इस जल मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नंदी वर्धन ने करवाया था। यह मंदिर अभी वर्तमान में संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है। भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति यही पावापुरी में हुई थी। यह मंदिर तालाब के बीच में स्थित है। इस मंदिर के चारों तरफ तालाब में कमल के फूल लगे हुए हैं जो इस मंदिर की सुंदरता को बढ़ाता है और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

Jal Mandir, Pawapuri

Famous Places to visit in Bihar

यहां भगवान महावीर की काफी पुरानी चरण पादुका रखी हुई है। इसी स्थान पर भगवान महावीर के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार किया गया था। कहा जाता है कि जब भगवान महावीर के पार्थिव शरीर को जलाया गया था तो इनके शरीर के जले हुए राख की मांग काफी बड़ी थी जिसकी वजह से वहां पर मिट्टी खोदना पड़ा। जो आज तालाब के रूप में अवस्थित है। यह जल मंदिर जैन धर्म के लिए एक धार्मिक स्थल है। पावापुरी के इस जल मंदिर को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं और यहां के खूबसूरती का आनंद लेते हैं।

  1. बोधगया (Bodhgaya)

बोधगया बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है। यह स्थान बौद्ध धर्म के लोगों के लिए काफी बड़ा तीर्थ स्थल है। भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति इसी बोधगया में हुआ था। भगवान बुद्ध ने बोधगया के फल्गु नदी के तट पर बोधी वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थे। बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महाबोधि मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक ने बोधी वृक्ष के चारों ओर करवाया था।

महाबोधि मंदिर में भगवान महाबोधि की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है और यह भगवान बुद्ध की प्रतिमा इस प्रकार स्थापित किया गया है कि भगवान बुद्ध ने जब बोधी वृक्ष के नीचे बैठ कर कठिन तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी ठीक उसी प्रकार मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। बोधगया के महाबोधि मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से काफी संख्या में लोग आते हैं और यहां के सुंदरता को निखारते हैं।

बिहार के यह कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जहां आप अपने छुट्टियों में घूमने के लिए आ सकते हैं और यहां के खूबसूरती की आनंद ले सकते हैं।

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