Wednesday, December 13, 2023

बनारसी पान ही नही, बल्कि बनारसी कचौड़ी-सब्जी भी है काफी फेमस, लोगों की लगी रहती है भीड़

बनारस का नाम सुनते ही हमारे मन में कई चीजें आनी शुरू हो जाती हैं। यहां के मंदिर की बात करें या, फिर यहां की घाट की या, फिर यहां के रसोई की, सभी का अपना एक खास महत्व है। आज हम आपको बनारस की कचौरी और सब्जी के साथ जलेबी के बारे में बताएंगे। इस नाम से ही मन का आकर्षण इसकी तरफ चला जाता है। दुनिया में बहुत कम ऐसे जगह है, जहां नींद खुलते हैं लोग जलेबी सब्जी और कचौरी लोग खाने निकल जाते हैं।

बनारसीयों का होता है अलग अंदाज-

जहां एक तरफ पूरा विश्व कैलोरी की ध्यान पर केंद्रित रहता है, और लोगों का आधा समय एक्सपर्ट से पूछने में निकल जाता है कि- किस समय क्या खाया जाए, वही बनारस के लोगों को उठते ही पेट भर के कचोरी सब्जी और जलेबी की जरूरत होती है। इससे पूरा दिन उनका एक्टिव हो जाता है।

Varanasi

कई दुकानों से होता है गुलजार-

बात रमेश की दुकान की करें या, लंका पर चाची की दुकान की। या कचौड़ी गली की दुकानों के बारे में बात की जाए या, मैदागिन पांडेपुर की। यहां दुकानों का ताता लगा रहता है। यहां हर दुकान पर आपको लोग मिलेंगे और चर्चा का विषय या तो खाना होता है, या फिर खाना बनाने के तरीके के बारे में लोग बातचीत करते रहते हैं।

सुबह 5:00 बजे से ही मिलने लगती है कचौड़ी-

वाराणसी में सुबह 5:00 बजे से ही आपको कचौड़ी सब्जी देखने को मिलेंगे। 6 बजते हैं यहां दुकानों पर भीड़ इकट्ठा होने लगता है। वहीं कुछ दुकानों पर लाइन भी लग जाती हैं। 11:00 बजे तक आना जाना लगा रहता है। इस खास समय का निर्धारण इस लिए हुआ है, कि 11:00 बजे के बाद यहां समोसा और लॉगलत्ती मिलने लगता है।

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4:00 बजे सुबह से ही लग जाते हैं काम पर-

वाराणसी में प्रसिद्ध लंका पर कचोरी जलेबी और सब्जी की दुकान को चलाने वाले रमेश का कहना है कि, वह सुबह 4:00 बजे से ही काम पर लग जाते हैं। सबसे पहले दुकान की सफाई की जाती है और इन सब में कम से कम 1 घंटा तो लग ही जाता है। सबसे पहले कचौड़ी जलेबी और सब्जी भगवान को चढ़ाया जाता है।

50 साल से ज्यादा पुरानी है दुकान-

यहां के दुकानदारों का कहना है कि कुछ दुकानें 50 साल से भी ज्यादा पुरानी हो गई है। यह पुश्तैनी रूप से चलती आ रही है और ग्राहक भी पुश्तैनी ही है। यहां एक ही चीज नहीं बदली वह है – यहां के कचौड़ी का स्वाद।

उनकी दुकान की मिक्स सब्जी भी लोगों को खूब भाती है। कभी इसमें मटर, आलू, चना देकर सब्जी बनाया जाता है, तो कभी पालक, बैंगन, चना आदि डालकर सब्जी बनाया जाता है। सब्जी पर भी लोगों का खास केंद्र रहता है। सब्जी बनाने वाले लोगों की भी अलग-अलग विशेषताएं हैं। इस पूरे काम में उनके पूरे परिवार का योगदान होता है।

कोरोना के कारण यहां सफाई पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और देश का कुछ भी पर उसने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

Famous Puri kachauri of Varanasi Kachauri Gali

गली का नाम ही है कचौड़ी गली-

जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि कचौड़ी गली में खास कचौड़ी मिलती ही होंगी। इसके पास ही मणिकर्णिका श्मशान घाट भी मौजूद है जिसकी वजह से लोगों का आना-जाना हमेशा लगा रहता है। यहां 24 घंटे आपको सब्जी और कचौड़ी मिलेंगे। दाह संस्कार में आने वाले सभी लोग यहां आने के बाद कचोरी और सब्जी खाकर ही जाते हैं।

समय के साथ सब यहां ढल जाते हैं-

वहां काम करने वाले एक युवक का नाम रवि है- जो पहली बार जब काम पर लगा तो उसने देखा कि, जो लोग शमशान में लाश को जला कर आते हैं और बड़े चाव से यहां कचौड़ी और सब्जी खाते हैं। उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि उन्हें कुछ गम है । लेकिन बाद में उन्हें लगा की यही सही लोग हैं जो हर स्थिति में जीवन को भरपूर मात्रा में जीते हैं लोगों को जिंदा दिल होना ही चाहिए।

The Logically, आप सभी को वाराणसी जाकर, वहां की कचौड़ी, जलेबी और सब्जी खाने की सलाह देता है।