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BA की छात्रा घर खर्च के लिए चलाती हैं रिक्शा, पढाई कर दरोगा बनना चाहती हैं :प्रेरणा

हौसला बुलंद हो तो गरीबी या सुविधाओं की कमी किसी को आगे बढ़ने से नही रोक सकती है । सहारनपुर की फरिया ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है , फारिया अभी बीए की छात्रा हैं और अपनी पढ़ाई के लिए संघर्षशील हैं । बचपन में ही फरिया के सर से पिता का साया उठ गया तब मां ने घर संभालने के लिए परचून की दुकान शुरू किया। फरिया भी घर की जिम्मेदारीयों में मां का हाथ बटाने के लिए आगे बढ़ी। फारिया पढ़ाई कर दरोगा बनना चाहती हैं , जिसके लिए वह ई-रिक्शा चलाना शुरू की ताकि उनके पढ़ाई में कोई बाधा न आए और घर के लिए मदद भी हो जाए। जब वो रिक्शा लेकर सड़क पर निकलती हैं तो लोग उनके हौसले को सलाम करते है।

फरिया सहारनपुर के काशीराम कॉलोनी की रहने वाली है वह मात्र 3 साल की थी जब उनके पिता की मौत टीवी के कारण हो गई। उस समय उनकी मां रुकसाना ने घर संभालने के साथ- साथ अपने दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उठाई। फरिया अपने मां से हिम्मत के साथ आगे बढ़ना सीखी है, अपने घर में ही उनकी मां परचून की दुकान चलाती है।

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फारिया अब जेवी जैन डिग्री कॉलेज से बीए की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। उनका सपना है कि वह दरोगा बने जिसके लिए वह पूरी समर्पण के साथ तैयारी कर रही है। पुलिस की परीक्षा के लिए अलग से पढ़ाई करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, जिसके लिए वह ई-रिक्शा चलाना शुरू की। पढ़ाई के बाद वह ई-रिक्शा लेकर निकलती है , उससे जो पैसे कमा पाती है उससे अपनी पढ़ाई की जरूरतें पूरी करती है। उनके हौसले को देखकर पूरा समाज प्रेरित रहता है।

तमाम मुश्किलों को पार करते हुए फारिया का जज़्बा आवाम को प्रेरित करता है , Logically फारिया के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

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