एक सुरक्षित जीवन के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी सभी चाहते हैं। उमेश देवकर (Umesh Deokar) ने भी कुछ ऐसे ही सपने देखे थे।
साल 1999 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली, लेकिन उन्हें मुंबई (Mumbai) में केवल 3,500 रुपये के मासिक वेतन पर वायरलेस फोन बेचने के लिए एक सेल्समैन की नौकरी मिली। उमेश एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं इऐ उनके लिए यह वेतन बहुत कम था। -Farmer Umesh Deokar.
कर्ज लेकर ख़रीदा टेंपो
साल 2006 तक उमेश ने यह नौकरी की। उसके बाद उन्होंने एक टेंपो में निवेश करके एक परिवहन व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया, जिसे उन्होंने 80,000 रुपये कर्ज लेकर ख़रीदा था। उमेश नौकरी छोड़कर साल 2010 में अपनी मासिक आय को पूरा करने के लिए पुणे के पास अपने गांव वडगांव आनंद में अपने छह एकड़ खेत में सब्जियों की खेती शुरू किया। वह जल्द ही पुणे के थोक बाजार में सब्जियां बेचने लगे और धीरे-धीरे मुख्य रूप से कृषि पर ध्यान केंद्रित किया।
3,000 से अधिक बने ग्राहक
उमेश अपने टेम्पो के जरिए अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाते हैं। बहुत से चुनौतियों का सामना करने के बाद साल 2017 में उन्हें एक ऐसा मौका मिला, जो उनके व्यवसाय को मुंबई और ठाणे तक ले गया। जहां अब उनके पास 3,000 से अधिक ग्राहक हैं। उमेश देवकर (Umesh Deokar) के बहुत से ग्राहक उत्पाद का ऑनलाइन ऑर्डर भी करते है। हालांकि लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन ऑर्डर बंद हो गया है। उमेश बताते हैं कि साल 2020-21 में टर्नओवर 2.5 करोड़ रुपये था, जिसका 7% लाभ होता है।
पुणे ले जाकर बेचते हैं सब्जियां
उमेश सब्जियों से शुरुआत करने के बाद अब मुलुंड, भांडुप, सायन और वडाला में ग्राहकों के घरों तक गेहूं, चावल और खाद्य तेल जैसे कई सामान पहुंचाते हैं। वे अपने खेत की सब्जी और क्षेत्र के अन्य किसानों से सब्जियां खरीद कर वाहनों की मदद से पुणे लाते हैं। उन्होंने 30 कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाई है, जो खेतों से सब्जियां इकट्ठा करना, ऑनलाइन ऑर्डर के अनुसार उन्हें पैक करना फिर मुंबई में ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करते हैं। -Farmer Umesh Deokar.
पिता हमेशा चाहते थे अच्छी शिक्षा देना
उमेश अपने गांव के एक सरकारी स्कूल में कक्षा चार तक पढ़ने के बाद अपने पिता के बिक्री विभाग के काम में शामिल हो गए। इस दौरान वह अपने चाचा के परिवार के साथ मुंबई के हनुमान नगर नामक झुग्गी बस्ती में एक छोटे से मकान में रहते थे। उमेश के पिता ने उन्हें तथा उनके दो भाई-बहन को हमेशा अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। उन्होंने (Umesh Deokar) अहमदनगर जिले के संगमनेर में अमृतवाहिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग पूरी की है।
3500 रुपये के वेतन पर की पहली नौकरी
उमेश को बहुत खोजने के बाद भी अपनी योग्य अनुसार नौकरी नहीं मिली। मुंबई में उनकी पहली नौकरी रिलायंस में लगी, जहां उन्होंने 3500 रुपये के वेतन पर वायरलेस फोन बेचा। इतनी कम वेतन से उमेश का घर नहीं चल पाता था इसलिए वह इस नौकरी से खुश नहीं थे। वह अपने पिता की आर्थिक रूप से मदद करना चाहते थे।
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5,000 रुपये वेतन पर की सेल्स की नौकरी
उमेश बताते हैं कि मेरे पिता ने कभी भी वित्तीय तनाव के बारे में हमसे बात नहीं की, लेकिन यह मेरे लिए काफी स्पष्ट था। जैसे- हम खाने के लिए बाहर नहीं जाते, छुट्टी पर नहीं जाते थे या किसी भी तरह की मनोरंजक गतिविधि नहीं करते थे। बचपन से ही उन्हें कहा जाता था कि जितना हो सके पैसे बचाओ। रिलायंस कंपनी में ढाई साल काम करने के बाद उमेश को एक हेल्थकेयर कंपनी में सेल्स की नौकरी मिल गई, जहां उनका वेतन 5,000 रुपये से थोड़ा ज्यादा था। -Farmer Umesh Deokar.
टेम्पो से भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हुई
दो साल तक सेल्समेन की नौकरी करने के बाद उमेश देवकर (Umesh Deokar) ने उसे छोड़ दिया और कर्ज लेकर एक टेम्पो खरीदा फिर व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्हें लगा कि ऐसा करने से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हो जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। वह बताते हैं कि टेम्पो कि ईएमआई, चालक के वेतन और अन्य खर्चो के बाद मेरे पास 5000-6000 रुपये से अधिक नहीं बचता था, जिससे वह अपने परिवार की कोई मदद नहीं कर पाते थे।
शुरू की खेती
साल 2010 में उन्होंने अपने गांव के छह एकड़ खेत में प्याज, टमाटर, अनार, गोभी
सब्जियां और अन्य फसलों की खेती शुरू की। वह अपने उत्पाद पुणे के थोक बाजार में बेचते थे। जब मुनाफा हुआ तो उन्होंने दूसरे के खेतों में उगाई गई सब्जियों को भी मंगाकर बेचना शुरू किया। वह बताते हैं कि यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने अपनी सीवी (CV) जला दी और फैसला किया कि अब नौकरी की तलाश में वापस नहीं जाऊंगा।
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सीधे ग्राहकों को बेचते हैं सब्जियां
साल 2017 में राज्य सरकार ने किसानों को अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेचने पर प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उमेश की एक नई शुरूआत हुई। वह अपने टेंपो से अपनी उपज मुंबई के भांडुप ले गए और सीधे ग्राहकों तक अपनी सब्जियां बेचना शुरू किया। उनके मुताबिक पहले दिन उन्होंने करीब एक लाख रुपये की बिक्री की थी। उसके बाद वह सप्ताह में दो बार भांडुप जाने लगे। इस कार्य में वह अपने साथ एक ड्राइवर और तीन कर्मचारी को लेकर मुंबई जाते थे।
उमेश देवकर (Umesh Deokar) अपनी कंपनी को ‘फार्म-टू-होम’ नाम से एक प्रोपराइटरशिप के रूप में दर्ज कराया। -Farmer Umesh Deokar.
ऑनलाइन बेचते हैं सब्जियां
उमेश कहते हैं कि मुंबई पहुंचने के लिए घंटों तक जागना तथा गाड़ी चलाना बहुत मुश्किल हुआ करता था। इस दौरान सफर के लिए वह घर से खाना ले जाते थे और शहर में अपने भोजन के लिए टिफिन सेवा के साथ बात किए थे। 45 वर्षीय उमेश कहते हैं कि शुरुआती में परिवार के सभी सदस्य पैकिंग में उनकी मदद करते थे। उस समय उनके पास कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए पैसे नहीं थे। जब उन्होंने ग्राहकों का विश्वास जीता लिया तो वह व्हाट्सएप पर तथा ऑनलाइन ऑर्डर लेना शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने एक वेबसाइट – Ekrushak.com – बनाए। Farmer Umesh Deokar is running 2.5 crores business in farming
उमेश के खेतो की सब्जियां एक हफ्ते तक ताजा रहती है
उमेश अब सब्जियों के अलावा, स्नैक्स, दाल, मसाले और दूध सहित अन्य उत्पादों की भी डिलीवरी करते हैं। उमेश के अनुसार उनकी सब्जियां एक हफ्ते तक ताजा रहती हैं क्योंकि वह सीधे खेत से उपभोक्ता के पास जाती हैं। उमेश उन्हें पानी से नहीं धोते है क्योंकि उनका कहना है कि ऐसा करने से शेल्फ लाइफ कम हो जाएगी। उमेश अपने संघर्ष भरे सफर में कई लोगों को रोजगार भी दिए। उनका मानना है कि कड़ी मेहनत के बिना जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और उमेश देवकर (Umesh Deokar) को इस बात कि खुशी है कि आज वह एक सफल कृषि है। -Farmer Umesh Deokar is running 2.5 crores business in farming