सभी की चाह होती है कि वह पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करे। इसके लिए वे कठिन मेहनत भी करते हैं लेकिन सरकारी नौकरी हासिल करना बेहद कठिन है। इसके लिए विद्यार्थी दिन-रात एक कर पूरे मन से पढ़ाई करते हैं। उन्हें कई बार निराशा हाथ लगती है। परंतु जो दृढ निश्चयवादी होते हैं वह लागतार असफलता हाथ लगने के बाद भी अपनी मंजिल को पाने की लगातार कोशिश में जुटे रहते हैं। वे कभी निराश नहीं होते तथा असफलता से हार नहीं मानते हैं। उनका यही साहस उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाती है।
अक्सर कई बार ऐसा होता है कि कई छात्र अपनी असफलता से हार मान लेते हैं तथा दूसरी मंजिल की तलाश में लग जाते हैं लेकिन आज की कहानी एक ऐसे गरीब किसान के बेटे की है जिसने 1, 2 या 3 बार नहीं बल्कि पूरे 10 बार असफलता का स्वाद चखा। इतनी बार निराशा हाथ लगने के बाद भी उसने अपने कदम पीछे नहीं किए और हर बार दुगुनी जोश से तैयारी करते रहे। आखिरकार उसने UPPSC को क्लियर कर के BDO (Block Development Officer) बना और बेहद खुबसूरत प्रेरणा कायम किया।
रमेश यादव का परिचय
रमेश यादव (Ramesh Yadaw) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोंडा जिले के एक छोटे से गांव छपिया के रहनेवाले हैं। वह बहुत सामान्य किसान परिवार से आते हैं। उनके घर में कोई भी अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है। रमेश के पिता के पास थोड़ी-बहुत भूमि है जिसपे खेती कर के परिवार का गुजर-बसर करते थे। रमेश की शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से हीं हुईंं। वह परीक्षा की तैयारी के लिए घर से बाहर भी रहे। उनके घरवालों ने पढ़ने के लिए सिर्फ उन्हें हीं बाहर भेजा था। रमेश के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी जिससे वह रमेश के भाइयों को आगे की शिक्षा दिलाने में समर्थ हो पाएं। सभी ने मिलकर निश्चय किया कि सिर्फ रमेश हीं पढ़ने के लिए बाहर जायेगा।
रमेश ने 10 से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल रहे
रमेश ने 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद कई सरकारी नौकरी की परीक्षाएं दिये। लेकिन असफल रहे। वह लेखपाल, जूनियर असिस्टेंट, स्टेनोग्राफर, ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, जैसी 10 से अधिक प्रतियोगी परीक्षाएं दिएलेकिन सभी इम्तिहान में उन्हें निराशा हाथ लगी। लेकिन उनका मनाना है कि यदि कोई लगातार कठिन मेहनत करता है तो एक-न-एक दिन उसे सफलता अवश्य मिलेगी। लागतार असफलता हासिल होने के बाद भी रमेश के इरादे बेहद बुलंद थे। वह कहते हैं “मै ऐसी स्थिति में था, जहां खोने के लिए कुछ नहीं बचा है, पाने के लिए पूरा आसमान बाकी है।”
पहले ही प्रयास मे UPPSC निकाल बने BDO।
रमेश ने स्नातक की पढाई के बाद UPPSC की परीक्षा दिया। इस परीक्षा में उन्होंने पहली बार में ही सफलता हासिल हुई। पहली बार में ही UPPSC में सफल होना उनकी कठिन मेहनत का ही फल था। वह सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में पहली हीं कोशिश में उत्तरप्रदेश सर्विस कमिशन की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया। वर्तमान में रमेश BDO (Block Development Officer) के पद पर कार्यरत हैं।
रमेश यादव का सुझाव
रमेश कहते हैं कि कभी भी हार नहीं मनाना चाहिए। जब उन्होंने आरंभ किया था तब उन्हें कुछ भी नहीं आता था। वह अपने आप को सभी छात्रों में कम आंकते थे। इसके बावजूद भी उन्होंने अपने सभी खामियों पर विजय हासिल किया। रमेश अपनी हर असफलता से कुछ-न-कुछ सीखते रहे। रमेश कहते हैं कि जब वह कर सकते हैं तो कोई भी साधारण छात्र भी कर सकता है।
रमेश ने असफलता से बिना हार माने सफलता की बेहद खुबसूरत इबारत लिख दिया है। The Logically रमेश यादव के संघर्ष और कठिन मेहनत को सलाम करता है तथा उनकी सफलता के लिए ढ़ेर सारी बधाईयां देता है।