ज्यों-ज्यों समय बदल रहा है किसान परंपरागत खेती की जगह नई तकनीक से और व्यावसायिक फसलों की खेती करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं जिससे उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है। आज हम कुछ ऐसी हीं नई तकनीकियों से खेती कर रहे किसानों की बात करेंगे और उनकी नई तकनीक वाली विधियों के बारे में जानेंगे।
स्टेकिंग से किसान कमा रहे बेहतरीन मुनाफा
सीतापुर जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर बसा महोली ब्लॉक के दर्जनों गाँव, जो कि सब्जियों की खेती के लिए जाना जाता है। उन गाँवों में कुछ नई तकनीकियों का प्रयोग किया जा रहा है जैसे कि ‘स्टेकिंग विधि’। यह एक ऐसी विधि है जिसमें रस्सी के जरिए टमाटर के पौधे लगाए जाते हैं। वर्तमान समय में वहाँ रस्सी के सहारे बंधे टमाटर के पौधों को निश्चित रूप से देखा जा सकता है। वहाँ के कई गाँवों के किसानों के लिए स्टेकिंग विधि लाभदायक साबित हो रहा है।

स्टेकिंग विधि से टमाटर उगाने का तरीका
23 वर्षीय विनोद मौर्या (Vinod Maurya) महोली ब्लॉक के अल्लीपुर गाँव के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि पहले किसान परंपरागत तरीके से हीं टमाटर, बैंगन तथा अन्य सब्जियां उगाते थे परंतु अब वह स्टेकिंग विधि अपना रहे हैं। स्टेकिंग विधि से खेती करना बहुत ही सरल है तथा इसमें बहुत हीं कम सामानों का प्रयोग होता है। स्टेकिंग विधि से टमाटर की खेती करने के लिए बांस के डंडे, लोहे के पतले तार और सुतली की आवश्यकता होती है। पहले टमाटर के पौधों की नर्सरी तैयार की जाती हैं। इसे तैयार होंने में लगभग तीन सप्ताह का समय लगता है। इस दौरान खेत में चार से छह फीट की दूरी पर मेड़ तैयार कर लिया जाता है। स्टेकिंग विधि में बांस के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है और उसके ऊपर लताएं फैलाई जाती हैं।
यह भी पढ़ें :- सिंचाई के लिए पैसे नही थे, ओड़िसा के किसान ने जुगाड़ से बनाया ऐसा मशीन जो बिना बिजली के पानी निकालता है
इंद्रजीत मौर्या (Indrajit Maurya)
इंद्रजीत महोली ब्लॉक के अल्लीपुर के चौबे गाँव के रहने वाले हैं और वह एक किसान हैं। इंद्रजीत बताते हैं कि इस बार उन्होंने आठ बीघा जमीन में केवाला टमाटर की खेती की है। वह बताते हैं कि टमाटर का दाम पूरी तरह से बाजार पर निर्भर करता है और उसी हिसाब से मुनाफा भी होता है। स्टेकिंग विधि से फसलों की सुरक्षा हो जाती है।
अकेले महोली में 700 एकड़ में सब्जियों की फसल
महोली के किसानों का आमदनी का एकमात्र जरिया खेती हीं है। महोली ब्लॉक में 700 एकड़ क्षेत्रफल में बैंगन, टमाटर, मिर्च, करेला, लौकी जैसी सब्जियों की खेती की जाती है। इंद्रजीत आगे बताते हैं कि जहाँ परम्परागत तरीके से एक बीघा में टमाटर की खेती करने पर पांच हजार रुपए की लागत आती हैं तो वहीं स्टेकिंग विधि से टमाटर की खेती करने में कुल लागत बीस हजार रुपए की होती है।

कुछ पौधों का रखना पड़ता है ज्यादा ख्याल
कुछ सब्जियों को सड़ने से बचाने के लिए उनका खास ख्याल रखना पड़ता है। जैसे टमाटर तथा बैंगन का पौधा। उनमें एक तरह की लता होती है और वह लदे हुए फलों का भार सहन नहीं कर पाते और नमी की वजह से यह मिट्टी के पास रहने से सड़ जाता है तथा पौधे टूट जाते हैं।
स्टेकिंग विधि से पौधे को मिलती हैं मजबूती
स्टेकिंग करने के लिए इसके मेड़ के आसपास दस फीट की दूरी पर दस फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते हैं और इन डंडों पर दो फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांधा जाता है। उसके बाद पौधों को सुतली की सहायता से तार के साथ बांध दिया जाता है जिससे इन पौधों को ऊपर की ओर बढ़ने में मदद मिलती है और इन पौधों की ऊंचाई आठ फीट तक हो जाती है। इसके अलावा इन पौधों को इससे मज़बूती भी मिलती है और फल भी बेहतर होता है, तथा फल को सड़ने से भी बचाया जा सकता है। किसान बताते हैं कि इस विधि से उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।
The Logically उन किसानों के कार्य की खूब तारीफ करता है और उम्मीद करता है कि उन्हें भविष्य में ऐसे हीं सफलता मिलती रहे।
