हिंदी पंचांग (Hindu Calendar) का आखरी महीना फाल्गुन इस बार 28 फरवरी से 28 मार्च के बीच है। इसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। प्राकृतिक बदलाव का ये महीना नए ऋतु का आगमन करता है। अब प्रकृति और मानव दोनों ही नए वेश में दिखने लगते हैं। पहाड़ों पर टेसू के फूल रंग बिखरते हैं, झूमते महुआ, ढोल – थाप पर थिरकते कदम। रंगों का खेल शुरू हो जाता है, सजती है वो पिचकारियों की दुकानें जिसका बच्चें साल भर इंतजार करते हैं।
मुहल्ले की छतों पर पापड़ की लंबी कतार जिसे घर की बहुएं बड़े ही चाव से बना रही होती हैं। इसमें प्रेम और परिवार के प्रति दायित्व शामिल होता है। महानगरों की चकाचौंध में ये सब कुछ शायद आपको न दिखें लेकिन आज भी फाल्गुन की ये परम्परा जीवित है।

फाल्गुन प्राकृतिक और धार्मिक दोनों ही मायनों में बेहद खास है। इस महीने में महाशिवरात्रि भी आती है, जो इस बार 11 मार्च (Mahashivratri 2021) को है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की उत्पति फाल्गुन मास की पूर्णिमा को ही हुई थी। ऐसे में इस माह में समारोह पूर्वक चंद्रोदय की पूजा भी की जाती है। कुल मिलाकर यह पवित्र माह माना जाता है।
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ऐसे में इस माह में कई बातों का ध्यान रखना चाहिए –
इस महीने में न ज्यादा ठंडी होती है न ज्यादा गर्मी इसलिए शीतल या सामान्य जल से स्नान करें। भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करें, अधिक से अधिक फल खाएं। कपडे ज्यादा रंगीन और सुन्दर धारण करें सुगंध का प्रयोग करें। नियमित रूप से भगवान कृष्ण की उपासना करें, पूजा में फूलों का खूब प्रयोग करें। अगर क्रोध या चिड़चिड़ाहट की समस्या है तो श्रीकृष्ण को पूरे महीने नियमित रूप से अबीर गुलाल अर्पित करें। इस महीने में नशीली चीज़ों और मांस-मछली के सेवन से परहेज करें। अवसाद (Depression) की समस्या है तो सुगन्धित जल से स्नान करें और चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें। स्वास्थ्य की समस्या है तो शिव जी को पूरे महीने सफ़ेद चंदन अर्पित करें। अगर आर्थिक समस्या है तो पूरे महीने माँ लक्ष्मी को गुलाब का इत्र या गुलाब अर्पित करें।
