Sunday, December 10, 2023

मरते-मरते सैकडों लोगों की जान बचाने वाली “नीरजा” की कहानी जानिए, पाकिस्तान US को भी इनपर गर्व है

धरती पर इंसान ही एक ऐसा प्राणी है जिसके पास दया की भावना है। असल में जिस इंसान के पास त्याग की भावना है वही सच्चा इंसान है। त्याग की भावना हर उस व्यक्ति में होनी चाहिए जिसने इस पृथ्वी पर जन्म लिया है और ऐसी ही त्याग की भावना भारत की एक बेटी में था जिसका नाम है ‘नीरजा’ (Neerja Bhanot)

आज हम आपको भारत की इसी बेटी ‘नीरजा’ (Neerja Bhanot) के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने फर्ज को अंजाम देते हुए एक पल के लिए भी खुद के बारे में नहीं सोचा। नीरजा ने अपनी जान देकर कई लोगों की जान बचाई थी। आइए जानते हैं नीरजा भनोट के बलिदान के बारे में।

चंडीगढ़ में हुआ जन्म

नीरजा भनोट (Neerja Bhanot) चंडीगढ़ (Chandigarh) रहने वाली थी। नीरजा की मां का नाम रमा भनोट और पिता का नाम हरीश भनोट था। वो अपने माता-पिता की लाड़ली बेटी थी। नीरजा के पिता पत्रकार थे। नीरजा की शादी मात्र 21 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। लेकिन उनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था। उनका पति उन्हें दहेज के लिए परेशान करता था। जिससे तंग आकर मात्र 2 महीने में ही नीरजा वापस अपने घर मुंबई आ गई।

जान की कुर्बानी दिया

नीरजा (Neerja Bhanot) वह महिला हैं जिन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी। नीरजा ने शादी के कष्टों को सहने के बाद फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए अप्लाई किया। जिसके बाद फ्लाइट अंटेडेंट के रुप में चुने जाने पर वो मायामी गई। ट्रेनिंग के दौरान नीरजा ने एंटी-हाइजैकिंग (anti-hijacking) कोर्स में एड्मिशन लिया।

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नीरजा का प्लेन हाइजैक

नीरजा की जिंदगी में सब सही चल रहा था। तभी 5 सिंतबर 1986 को उनकी पैन एम फ्लाइट 73 मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही थीं। प्लेन में 361 यात्री और 19 क्रू मेंबर थे। नीरजा उस प्लेन में फ्लाइट अंटेडेंट थी। जब नीरजा का प्लेन जब न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ तभी उसे हाइजैक (plane hijack) कर लिया गया। नीरजा ने जब ये बात पायलट को बताई तो तीनों पायलट सुरक्षित निकल लिए। पायलटों के जाने के बाद पूरे प्लेन और यात्रियों की जिम्मेदारी नीरजा पर आ गई।

धीरज से काम लिया

आतंकवादियों ने नीरजा को सभी अमेरिकी नागरिकों का पता लगाने के लिए सभी के पासपोर्ट इकठ्टा करने को कहा। नीरजा ने पासपोर्ट तो इकठ्टा किए लेकिन उन्होंने चालाकी दिखाते हुए सभी अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए। उसके बाद अतंकवादियों ने यात्रियों को मारना शुरू कर दिया। प्लेन में बम फिट कर दिया। लेकिन नीरजा इन सब से घबराई नहीं।

Flight attendant neerja bhanot the hero of the pan am flight 83 hijacking
नीरजा भोनाट (Neerja Bhonat)

यात्रियों की जान बचाई

प्लेन का ईंधन समाप्त (plane hijack) हो चुका था और अंधेरा भी गहराने लगा था। नीरजा को यह बात पता थी। इसलिए अंधेरा होते ही उन्होंने यात्रियों को खाना देने के साथ एक-एक पर्ची थमा दी जिसमें इमरजेंसी दरवाजे से बाहर निकलने का रास्ता था। अंधेरे में नीरजा ने तुरंत प्लेन के सारे इमरजेंसी दरवाजे खोल दिए। यात्री उन दरवाजों से बाहर कूदने लगे। यात्रियों को अंधेरे में प्लेन से कूदकर भागता देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें कुछ यात्रियों को हल्की-फुल्की चोट जरूर लग गई। लेकिन सभी 360 यात्री पूरी तरह से सुरक्षित प्लेन से बाहर निकल गए थे।

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जान की कुर्बानी दी नीरजा

सभी यात्रियों को बाहर निकाल नीरजा (Neerja Bhanot Story) जैसे ही प्लान से बाहर जाने लगी तभी उन्हें बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी। दूसरी ओर, पाकिस्तानी सेना के कमांडो भी विमान में आ चुके थे। उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया था। सबके मना करने के बाद भी नीरजा उन बच्चों को बचाने के लिए जैसी ही प्लेन के इमरजेंसी गेट की ओर बढऩे लगी तभी चौथा आतंकी सामने आ गया और नीरजा पर गोलियां चलाने लगा। नीरजा ने बच्चों को सुरक्षित नीचे धकेल दिया और खुद आंतकी से भिड़ गईं। आतंकी ने नीरजा के सीने में कई गोलियां उतार दीं। केवल 22 वर्ष की आयु में नीरजा ने एक दूसरे देश के लोगों के लिए हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी।

पाकिस्तान भी रोया था

नीरजा की शहादत को देख भारत के साथ-साथ पाकिस्तान (Pakistan) भी रोया था। यहां तक कि अमेरिका भी नीरजा के इस बलिदान के आगे नतमस्तक हो गया था। नीरजा की बहादूरी को उनकी शहादत के बाद कई अवार्ड से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने नीरजा को सम्मान अशोक चक्र (Ashoka Chakra)से सम्मानित किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें सम्मानित किया था। यही नही अमेरिका (America) के द्वारा भी उन्हें सम्मान मिला।

आज नीरजा के ऊपर फ़िल्म भी बन चुकी है। भारत के इस बेटी को The Logically भी नीरजा को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

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