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आजमगढ़ के इस वनप्रेमी ने उठाया प्रकृति को बचाने का जिम्मा, अभी तक 20 हजार पेड़ो को नया जीवन दे चुके हैं

Forest lover of Azamgarh Chandradev singh

एक तरफ लोग अपने स्वार्थ के लिए तेजी से पेड़- पौधों की कटाई कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ दो फौजी बेटों के पिता ने पेड़ों को बचाने का जिम्मा अपने सर उठाया है। जी हां, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ (Azamgarh) के गांव देउरपुर कमालपुर से ताल्लुक रखने वाले चंद्रदेव सिंह (Chandradev Singh) को उनके इलाके में लोग ‘वनप्रेमी’ के रूप में जानते हैं क्योंकि वे पूरी तरह से पेड़- पौधों को बचाने के मुहिम में जुट गए हैं और आज के समय में लोग उनसे प्रेरित भी हो रहे हैं।

बता दें कि, चंद्रदेव सिंह (Chandradev Singh) को पेड़- पौधों से इतना लगाव है कि उन्हे कटने से बचाने के लिए रोजाना वे अपनी मोटरसाइकिल से 2 घंटे के लिए घर से निकलते हैं। वो ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों की भ्रमण करते हैं क्योंकि उन स्थानों पर ज्यादातर पौधे उखाड़ कर फेके गए होते हैं। उन पौधों को वो गाड़ी रोककर उठाते हैं और फिर कहीं ले जाकर इसे फिर से लगाते हैं।

शुरू से हीं करते आ रहे हैं किसानी

चंद्रदेव सिंह को हमेशा से किसानी से बहुत लगाव था लेकिन जब दोनो बेटे फौज में भर्ती हो गए तो आसपास के लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि अब खेती किसानी छोड़ कर आराम करो। फिर भी चंद्रदेव ने खेतों में जाना नहीं छोड़ा। साथ हीं घर के आस-पास के पौधों का भी रख-रखाव किया करते हैं। फिर उन्होंने अधिक से अधिक पौधों को बचाने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया।

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आज से 15 साल पहले पौधों को मरने से बचाने का उठाया बीड़ा

चंद्रदेव (Chandradev Singh) ने वर्ष 2007 से हीं पौधों को बचाने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने बताया कि, “मुझे शुरू से हीं पेड़- पौधों से अधिक लगाव रहा है। वर्ष 2007 ने मैने पौधों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया था। मैं कहीं भी कोई भी पौधा फेका हुआ देखता तो उसे उठाकर अपने साथ घर ले आता। फिर उसे अपनी नर्सरी में रखता और धीरे- धीरे वह पौधा हरा-भरा हो जाता। फिर कुछ समय बाद मेरी नर्सरी बड़ी होने लगी तो लोग मुझसे पौधे लेने के लिए नर्सरी में आने लगे।”

अब मुफ्त में देते हैं लोगों को पौधा

चंद्रदेव (Chandradev Singh) के पास जब कोई पौधा लेने आता है तो वे उसे पौधे तो मुफ्त में दे देते हैं लेकिन उसके साथ एक शर्त रखते हैं कि इस पौधा को ले जाने के बाद काफी संरक्षण से रखना है। फिर उस पौधे की देखभाल कैसे हो रही है इसको देखने के लिए समय-समय पर वे उनके घर भी जाते रहते हैं।

बेटे भी करते हैं इस मुहिम में आर्थिक रूप से मदद

उन्होंने बताया कि, हवा को अच्छा करने के लिए उन्होंने बरगद के के बीज भी तैयार किया हैं तथा यह भी बताया कि उनके इस मुहिम में उनके दोनों फौजी बेटे आर्थिक रूप से उनकी मदद करते हैं। “

निधि बिहार की रहने वाली हैं, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभी बतौर शिक्षिका काम करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही निधि को लिखने का शौक है, और वह समाजिक मुद्दों पर अपनी विचार लिखती हैं।

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