पेड़-पौधें हमारे आज और आनेवाले कल के लिए बहुत आवश्यक है। इसके बावजूद भी मानव आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू लगातार पेड़-पौधों को काटा जा रहा है। लेकिन इतनी बड़ी दुनिया में कुछ लोग इस बात की अहमियत को समझते हुए पेड़-पौधों का संरक्षण कर रहे हैं।
उन्हीं लोगों में से एक नाम दुशरला सत्यनारायण (Dusharla Satyanarayana) का है, जिन्होंने 70 एकड़ की भूमि पर जंगल बसाने का काम किया है। इसी कड़ी में चलिए जानते हैं उनके बारें में विस्तार से-
पुश्तैनी जमीन पर बसा दिया जंगल
पर्यावरण प्रेमी दुशरला ने तेलंगाना स्थित राघवपुरा गांव में अपनी पुश्तैनी जमीन जो 70 एकड़ में फैली है, पर आकर्षक जंगल बसा दिया है। इस जंगल में मौजूद कुछ पेड़ काफी पुराने हैं तो कुछ नए हैं। वहीं इस जंगल को कई जीव-जन्तुओं ने अपना घर बना लिया है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि इस जंगल के कर्ता-धर्ता अकेले दुशरला ही हैं।
4 साल की उम्र से ही शुरु कर दिया था जंगल उगाना
दुशरल द्वारा उगाए गए जंगल में 13 तालाब और 5 करोड़ से अधिक पेड़-पौधें मौजूद हैं जिनमें से कई पेड़-पौधें फल और फूलों के हैं और 50 साल पुराने हैं। इन सभी पेड़-पौधें की देखभाल दुशरला करते हैं। दुशरला बताते हैं कि, उन्होंने 4 वर्ष की उम्र से जंगल उगाने का काम शुरु कर दिया था। उन्हें शुरु से ही पेड़-पौधों से काफी लगाव था।
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अन्तिम सांस तक करेंगे जंगल की रक्षा
दुशरला ने अपनी जिस पुश्तैनी जमीन पर 5 करोड़ से अधिक पेड़-पौधे उगाकर जंगल बसाया है उसे रियल स्टेट डेवलपर्स और सरकार ने खरीदने की कोशिश की थी। लेकिन दुशरला ने जमीन देने से इन्कार कर दिया था और उन्होंने निश्चय किया कि वे अपनी अन्तिम सांस तक इस जंगल की देखभाल और रक्षा करेंगे।
बैंक में रह चुके हैं अधिकारी
एग्रीकल्चर से B.SC की पढ़ाई करने वाले दुशरला सत्यनारायण (Dusharla Satyanarayana) बैंक में अधिकारी के पोस्ट पर कार्य कर चुके हैं। लेकिन प्रकृति से लगाव होने के कारण उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर इसे ही खुद का Natural Ecosystem बना लिया।
उन्होंने बताया कि वह तीन पीढ़ियों से इस जमीन की रक्षा कर रहे हैं और अन्तिम सांस तक करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इस जमीन के वारिस उनके बच्चे भी नहीं हैं। उन्हें व्यावसायीकरण करने के लिए 100 करोड़ रुपये का ऑफर भी मिला लेकिन उन्होंने मना कर दिया।