एक सफल इंसान बनने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। अगर किसी काम को करना ठान लिया जाए और उस काम को कठिन परिश्रम के साथ किया जाए तो अंततः सफलता जरूर हासिल होती है। अगर जिंदगी में एक सफल इंसान बनना है तो अपने काम के पीछे मेहनत और कठिन परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर हमें उस काम में सफलता हासिल होती है। ऐसे ही एक कहानी चार दोस्तों की है। इन्होंने अपने डेयरी फार्म में कठिन परिश्रम और मेहनत करके आज सफलता हासिल किया है। आईए इन चार दोस्तों के सफलता के बारे में जानते हैं।
राकेश शर्मा (Rakesh Sharma), अभिनव साह (Abhinav Sah), हर्ष ठक्कर (Harsh Thakkar) और अभिषेक राज (Abhishek Raj) यह चारों लोगों की दोस्ती कॉलेज के पढ़ाई के समय हुई थी। इन चारों दोस्तों ने अपनी कॉरपोरेट नौकरी को छोड़कर कुछ अलग करने के बारे में विचार करने लगे। इन चारों लोगों ने डेयरी फार्म खोलने का विचार किया। इसके बाद चारों दोस्तों ने अपनी शेविंग की हुई पैसों में से एक करोड़ पैसे इकट्ठा कर लिए। इसके बाद इन चारों ने साल 2012 में रांची (Ranchi) के पास ओरमांझी (Ormanjhi) में एक एकड़ जमीन खरीद लिया। फिर इन चारों ने अपने व्यवसाय डेयरी फॉर्म (Dairy Farm) की शुरुआत की। इसी बीच अभिनव साह डेयरी से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने के लिए एक महीने के लिए कानपुर चले गए। वे लोग बताते हैं कि जब हमने डेयरी फार्म की शुरुआत की थी तब हम लोग ने पंजाब के खन्ना से होल्स्टीन फ्रइजियन नस्ल की 40 गायें खरीदे थे। परंतु हम लोगों की किस्मत काफी खराब थी इसलिए हमारा डेयरी फार्म शुरु होने से पहले ही 40 में से 26 गायों को संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई। अभिनव कहते हैं कि हमारे देश में हम गाय को माता कह के बुलाते हैं। परंतु हम लोग किस्मत खराब होने की वजह से हमें काफी नुकसान सहना पड़ा। हम लोग इसे देखकर काफी उदास हो गए परंतु हम लोगों ने हार नहीं मानी और इस काम को बढ़ाने के बारे में सोचने लगे।
अभिनव (Abhinav) बताते हैं कि हम लोगों ने अपने काम को अगले महीने से ही बढ़ाने में जुट गए। और किसी भी तरह हम लोगों ने मिलकर 50 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए। पैसे इकट्ठा कर लेने के बाद हम लोगों ने बिहार से गाय खरीदी और इस गाय की दूध को हर घर में देने का काम शुरु कर दिया। इन गायों से प्रतिदिन 300 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता था। हम चारों दोस्तों ने इन गायों को अच्छे तरीके से देखभाल की। इनके चारे का काफी अच्छा इंतजाम भी किया जिससे हमें अगले महीने से ही दूध में बढ़ोतरी होने लगी। दूध का उत्पादन 300 लीटर से बढ़कर एक हजार लीटर तक पहुंच गया। यह बताते हैं कि शुरुआती में हमने “राया” नाम से डेयरी की शुरुआत की थी। परंतु बाजारों में दूध किसी नाम के ब्रांड से नहीं बिकती थी। इसीलिए हम लोगों ने हर घर में दूध पहुंचाने के लिए सात से आठ लोगों को काम पर रखा था। यह लोग राशि के तीन इलाकों में प्रतिदिन हर घर में दूध पहुंचाने का काम करते थे। काफी परिश्रम के बाद हमें पहले साल लगभग 26 लाख रुपए का टर्नओवर हुआ।
वे बताते हैं कि इसके बाद हम लोगों ने पीछे मुड़कर के कभी नहीं देखा और अपने काम को और भी आगे बढ़ाने में लग गए। इन्होंने बताया कि साल 2013 की नवंबर में एक वित्त कंपनी से फंडिंग लिए और अपने काम को आगे बढ़ाना शुरु कर दिया। इसके बाद साल 2015 की मार्च में हमने पहला मिल्क चिलिंग प्लांट बिहार के बरबीघा में लगाया। हमारे इस प्लांट से लगभग 40 गांव के पशु पालक और दूध उत्पादक जुग गए। फिर मैंने अगले 2 महीने के बाद एक और प्लांट लगाया। यह प्लांट रांची से 35 किलोमीटर दूर पतरातू में लगाया गया। इस प्लांट में पचास हजार लीटर क्षमता वाला पहला प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्लांट लगाया। इसके बाद हमें एक साल में लगभग 25000 लीटर दूध प्रतिदिन वितरण होने लगा। यह बताते हैं कि हमारा यह डेयरी फार्म काफी तेजी से आगे बढ़ रहा था। इसी बीच हमने दो और प्लांट लगाने के बारे में सोच लिया और इसके बाद हमने एक जमशेदपुर (Jamshedpur) के पास चांडिल (Chandil) में प्लांट लगाया। प्लांट में 80 हजार लीटर दूध की क्षमता वाला दूसरा प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्लांट लगाया। फिर हमने अगला प्लांट बिहार (Bihar) के आरा (Ara) जिले में प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्लांट की शुरुआत कर दी। परंतु इसी बीच हम चार दोस्तों में से दो दोस्त अपनी निजी वजहों के कारण उन दोनों ने अपना रास्ता अलग कर लिए।
वे बताते हैं कि हमने अपने डेयरी फॉर्म में दूध के अलावे दही, पेड़ा, पनीर, छाछ और रबड़ी जैसे प्रोडक्ट भी बनाते हैं। इसके अलावा हमने सालसा रायता नामक प्रोडक्ट को लांच करने के तैयारी में जुटे हुए हैं। आज हमारी कंपनी प्रतिदिन लगभग एक लाख 20 हजार लीटर दूध और 30,000 लीटर मिल्क प्रोडक्ट बेचती है।
वे बताते हैं कि हमारी यह कंपनी इस साल के अप्रैल महीने में 10 साल पूरा कर लेगी। वे बताते हैं कि बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) के बाद हमने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अपनी इस व्यवसाय डेयरी फार्म को लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं। हमारे इस कंपनी में 450 लोग काम करते हैं और प्रतिदिन कामों के लिए इस कंपनी में एक हजार से ज्यादा वर्कर जुड़ चुके हैं। हमारी यह कंपनी ऑसम (Osam) डेयरी बिहार और झारखंड में प्रतिदिन 20,000 किसान और पशु पालक से दूध खरीदती है। और इसके साथ-साथ दूध और डेयरी उत्पादकों की सप्लाई चेन से लगभग 250 डिस्ट्रीब्यूटर जुड़े हुए हैं। और इसमें 8000 से ज्यादा रिटेल विक्रेता भी जुड़ चुके हैं। हमारी इस ऑसम (Osam) डेयरी से लगभग 30 हजार लोग काम कर रहे हैं और हमारी यह ऑसम डेयरी फार्म (Osam Dairy Farm) पिछले 10 सालों में लगभग 225 करोड़ से भी ज्यादा टर्नओवर कर चुकी है।
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हमारी इस ऑसम डेयरी (Osam Dairy) को इंटरप्रेन्योरशिप (Enterpreneurship) के लिए कई अवॉर्ड (Award) मिल चुके हैं। और इसके साथ-साथ हमारे इस व्यवसाय के मॉडल की चर्चा देश-विदेश के बिजनेस स्कूलों में भी की जाती है।
इन चारों दोस्तों के इस मेहनत और कठिन परिश्रम को देखते हुए हम लोगों को इनसे प्रेरणा मिलती है कि किसी भी काम को करने में कितना भी समस्या क्यों ना आए उस समस्या को अनदेखा कर के काम को करते रहना चाहिए। अंततः उस काम में हमें सफलता जरुर हासिल होती है।