इस दुनिया में बने-बनाए रिश्तों में “दोस्ती” का रिश्ता प्रेम और स्नेह के एक अलग हीं बंधन में बँधा रिश्ता होता है ! आज दोस्ती की मिसाल पेश करने वाले मुहम्मद याकूब की कहानी जो अपने दोस्त अमृत के अंतिम साँस तक ना सिर्फ साथ रहा बल्कि उसे बचाने हेतु हर संभव प्रयास भी किया !
याकूब और अमृत की दोस्ती
उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले के एक हीं गाँव के रहने वाले दो युवकों याकूब मुहम्मद और अमृत में गहरी दोस्ती थी ! दोनों गुजरात के सूरत में स्थित एक कपड़े की फैक्ट्री में साथ काम किया करते थे ! दोनों एक हीं कमरे में साथ भी रहते थे ! उनकी दोस्ती एक सच्चे और जिगरी दोस्ती वाली थी !
क्या हुआ था उस दिन
कोरोना के संक्रमण को रोकने हेतु देश में लॉकडाउन की स्थिति है ! सभी फैक्ट्रियाँ , काम-काज , यातायात के साधन बन्द पड़े हैं ! आर्थिक तंगी के कारण लोगों का घर जाने का सिलसिला जारी है ! यातायात बन्द होने से लोग जैसे-तैसे घर पहुंच जाना चाहते हैं ! उसी क्रम में याकूब और अमृत ने चार-चार हजार रूपये देकर एक ट्रक में बैठ गए जो कानपुर जा रही थी ! ट्रक में 60 से भी अधिक लोग सवार थे ! यात्रा के दौरान रास्ते में अमृत की तबियत अचानक बिगड़ गई ! उसे तेज बुखार और उल्टी होने लगा ! यह देख ट्रक में सवार 55-60 लोग अमृत में कोरोना का संक्रमण को लेकर आशंकित हो गए और उसे उतारने की माँग करने लगे ! ट्रक वाले ने विरोध देखकर अमृत को ट्रक से उतार दिया ! याकूब को अपने दोस्त को उतरते देखकर रहा नहीं गया और वह भी अमृत के साथ हीं वहीं ट्रक से उतर गया ! इधर अमृत की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी ! याकूब ने अमृत के सर को अपने गोद में लेकर उसे ढाढस बँधाने लगा और साथ हीं लोगों से मदद भी माँगने लगा ! किसी तरह अमृत को जिला अस्पताल पहुँचाया गया पर एक तो काफी देर हो जाने से और ऊपर से अव्यवस्था और बेबसी के कारण सही इलाज ना मिल पाने से अमृत की मौत हो गई ! याकूब ने अपने दोस्त को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया , दुआ मांगी पर होनी ने उन सब पर पानी फेर दिया और याकूब से उसका प्यारा दोस्त अमृत को छीन लिया !
दोस्ती की वृहद मिसाल पेश कर याकूब ने यह सिद्ध कर दिया है कि आज भी इंसानियत और उसके संरक्षण करने वाले लोग जिंदा है !