कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में हुए लॉकडाउन में लगातार दो तिमाही में देश की अर्थव्यव्स्था में गिरावट दर्ज की गयी थी, मगर देश की इकॉनमी को किसानों ने अपनी मेहनत से फिर से संभाला शुरू किया है। इसका परिणाम यह हुआ कि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) निगेटिव से पोजिटिव जोन में आ गई है। जी हां, भारत की अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकल कर वृद्घि के राह पर लौट आई है।
NSO (National Statistics Office) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में स्थिर मूल्य (2011-12) पर 36.22 करोड़ की GDP रही, जो इससे पहले वित्त साल 2019-20 की इसी तिमाही मे 36.08 करोड़ रुपये थी अर्थात् देश की GDP (Gross Domestic product) में 0.4 प्रतिशत की वृद्घि हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत की वृद्घि हूई थी।
कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक ग्रोथ
आंकड़ों पर ध्यान दें तो अक्तूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्घि हुई है। इससे पहले अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर दोनों तिमाहियों में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट 3.4 प्रतिशत रही।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौर में भी अन्य सेक्टर के मुकाबले कृषि क्षेत्र पर कम प्रभाव पड़ा है। यह आंकड़े ऐसे वक्त में आये हैं, जब किसानों के बिल को लेकर देश में एक बहस छिड़ गई है और किसान बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं।
अन्य क्षेत्रों की स्थिति कुछ इस तरह रही
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 1.6%, निर्माण क्षेत्र में 6.2% की वृद्घि हुई है। वहीं बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य दूसरी उपयोगी सेवाओं में 7.3% की वृद्घि दर्ज़ की गई है।
इस वर्ष जनवरी महीने में कोर सेक्टर के उत्पादन में मामूली रूप से 0.1% बढ़ोतरी हुई। विषेश रूप से उर्वरक, इस्पात और बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी के वजह से औद्योगिक उत्पादन में भी वृद्घि हुई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 में इन क्षेत्रों में 2.2% की वृद्घि हुई थी।
जनवरी 2021 मे कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और सीमेंट के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि उर्वरक, इस्पात और बिजली के उत्पादन में क्रमशः 2.7%, 2.6% और 5.1% की बढ़ोतरी हुई।