अगर कोई इंसान दिल्ली जैसे शहर में अपना अच्छा-खासा चल रहा कारोबार छोड़ कर एक गांव में जाकर खेती करे तो यह बात बहुत से लोगो को पसंद नही आएगी।उन्हें यह बात मूर्खतापूर्ण लगेगी। गोपाल दत्त उप्रेती( Gopal Dutt Upreti) एक ऐसे शख्स हैं जो अपने दिल्ली में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का अच्छा खासा चल रहा है बिजनेस छोड़कर उत्तराखंड के गांव में आज खेती कर रहे हैं।
खेती करने का विचार कैसे आया
उत्तराखंड के रानीखेत ब्लॉक के बिल्लेख गांव में रह रहे गोपाल दत्त उप्रेती ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं। इसके बाद वह दिल्ली में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करने लगे।
खेती करने का विचार कैसे आया
उन्हें खेती करने का विचार तब आया जब वह 2012 में फ्रांस ट्रिप पर अपने दोस्तों के साथ गए थे। वहां उन्होंने सेब के बागान देखें तब उन्हें ख्याल आया कि उत्तराखंड और यहां की जलवायु में कोई खास अंतर नहीं है तो इस तरह का सेब का बगान उत्तराखंड में भी लगाया जा सकता है। वापस भारत लौटने पर उत्तराखंड भी गए। वहां जाकर उन्होंने अपने एक मित्र के सेब का बगान देखा और देखा कि कैसे एक दूर गांव में इस तरह से सेब का बगान लगाया जा सकता है। कुछ कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद उन्होंने सेब का बागान लगाने का निश्चय किया।
परिवार इसके लिए तैयार नही था
गोपाल दत्त बताते हैं कि वापस आकर उन्होंने जब अपने परिवार को अपनी सेब का बगीचा लगाने की बात बताई तब उनके परिवार में कोई भी सदस्य शुरू में इसके लिए तैयार नहीं हुआ। सब को यह एक मूर्खतापूर्ण फैसला लग रहा था। यहां तक कि उनकी पत्नी को भी बसा बसाया कारोबार छोड़कर एक गांव में जाकर खेती करने की बात अजीब लग रही थी।
पर गोपाल ने खेती करने का निश्चय कर लिया था इसलिए उन्होंने अपने परिवार को मनाने की ठानी। वह अपनी पत्नी को सेब का बगान दिखाने के लिए ले गए। उन्हें इस से होने वाले फायदे बताएं, इससे होने वाले मुनाफे को बताया और फिर कुछ दिन तक सोचने के बाद उनका परिवार इनकी खेती करने के फैसले पर सहमत हुआ।
हॉलैंड जाकर सेब उत्पादन और मार्केटिंग की तकनीक सीखी
गोपाल कहते हैं कि वह सेब का बगान लगाने के पहले इसे पूरी तरह से जानना-समझना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने हॉलैंड जाकर उन्होंने सेब की नर्सरी, सेब उत्पादन की तकनीक और इसकी मार्केटिंग कैसे करते हैं, इन सब तकनीक को समझा और सीखा।
ज़मीन खरीद कर बागबानी शुरू की और पहली ही फसल हाथो हाथ बिक गई
गोपाल बताते हैं कि उन्होंने 2015 में 70 नाली जमीन खरीदी और इस पर सेब के पौधे लगाकर बागवानी शुरू की। सेब के पौधे 3 साल बाद फल देते हैं इसलिए इसे लगाने के बाद उन्होंने 3 साल तक इंतजार किया। जब उनकी पहली फसल हुई तो वह हाथों-हाथ बिक गई और इससे गोपाल को बहुत मुनाफा हुआ।
सेब से इन्हें लगभग प्रति एकड़ 10 लाख रुपये की आय होती हैं।
सेब के साथ अदरक और हल्दी की खेती भी करके हैं
सेब की खेती के साथ गोपाल ने 5 एकड़ जमीन पर अदरक और हल्दी की खेती में शुरू की है।गोपाल इसके पीछे का कारण बताते है कि एक तो इससे मुनाफा बढ़ेगा और दूसरा अदरक और हल्दी की फसल को बन्दर या कोई और जानवर बर्बाद नहीं करता जिससे फसल नुकसान की संभावना कम हो जाती है।
सेब खराब होने पर जेम बना कर बेचा
गोपाल कहते हैं कि पिछले साल डेढ़ टन सेब खराब हो गई थी जिसे उन्होंने जेम बनाकर बेचा। इससे उन्होंने घाटे को मुनाफे में तब्दील कर लिया। वह कहते है कि उनकी कोशिश रहती है कि वह अपने उत्पादन की बायप्रोडक्ट्स भी बनाकर बेचे।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हैं
गोपाल दत्त उप्रेती का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। इन्होंने 7.1 फिट लंबा धनिया उगाकर यह रिकॉर्ड अपने नाम किया है। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने इन्हें उद्यान पंडित और देवभूमि पुरस्कार जैसे सम्मान से सम्मानित किया है।
उत्तराखंड का पहला ऑर्गनिक सर्टिफाइड बगीचा हैं
गोपाल के अनुसार उनका सेब का बगान उत्तराखंड का पहला ऑर्गेनिक सर्टिफाइड बगान हैं। वह किसानों को बीज और पौधे भी देते है। उन्हें कृषि संबंधित जानकारी भी मुहैया करवाते हैं। वह कहते है कि उनकी कोशिश रहती है कि किसान पूरी तरह से प्रशिक्षित हो।
हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की योजना
गोपाल सेब और अदरक के साथ अब हल्दी की भी खेती करते हैं उनकी योजना है कि वह हल्दी की प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं और हल्दी को खुद से प्रोसेस करके बाजार में बेचे।
गोपाल कहते हैं कि जैविक खेती की तरफ युवाओं का रुझान बढ़ा है और आने वाला समय जैविक खेती का होगा। जो भी इंसान खेती करने की सोच रहा है उसे सबसे पहले पूरी तरह से खेती की तकनीक को समझना चाहिए। उसके बाद ही इस क्षेत्र में आना चाहिए।
अगर आप भी गोपाल दत्त उप्रेती( Gopal Dutt Upreti) से बात कर सेब के बागान की कोई जानकारी चाहते हैं तो 8368328560 पर संपर्क कर सकते हैं।