आज के दौर में हर कोई अपने काम में इतना व्यस्त है कि दूसरों के बारे में सोचने तथा दूसरों की मदद करने की किसी के पास फुरसत नहीं है। ऐसे में इंसान के द्वारा हीं इंसानियत को खत्म होते देखा जा रहा है। लेकिन इस दौर में भी कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज सेवा कर मानवता का परिचय देते हैं तथा अन्य लोगों को भी मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।
आज हम आपको तीन ऐसे शख्स से रूबरू कराने वाले हैं, जो बिहार से ताल्लुक रखते हैं।
बिहार (Bihar) के रहने वाले तीन अफसर संतोष कुमार (Santosh Kumar), विजय कुमार (Vijay Kumar) और रंजन प्रकाश (Ranjan Prakash) ने ‘अंबेडकर इनिशिएटिव फॉर दी मार्जिनलाइज्ड’ AIM नाम से पाठशाला की शुरुआत की है, जो बिहार के गोपालगंज, समस्तीपुर और औरंगाबाद जिले में शुरू किया गया है। इस पाठशाला की शुरुआत उन्होंने अपने सामाजिक दायित्व को निभाने के लिए की है।
फ्री ट्यूशन फीस और फ्री स्टडी मेटेरियल कराई जाती है उपलब्ध
बिहार के तीन अफसरों ने मिलकर इस स्कूल की शुरुआत की है। इस स्कूल में 450 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं, जिसमे 40% लड़कियां हैं। सभी बच्चों को यहां मुफ्त में पढ़ाया तथा मुफ्त में हीं स्टडी मेटेरियल उपलब्ध कराई जाती है।
कौनसे रैंक पर हैं वे तीन अफसर
मुफ्त में गरीब बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराकर इन तीनों अफसरों ने यह साबित कर दिया कि व्यस्त जिंदगी में भी इंसान में मानवता आ सकती है। अगर हम अफसर संतोष की बात करें तो वे 2014 बैच के आईएएस अफसर हैं। अभी वे अरुणांचल प्रदेश स्टाफ सिलेक्शन में हैं वहीं अफसर विजय अभी इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस में यूपी के गोरखपुर में पोस्टेड हैं तथा रंजन प्रकाश सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट हैं और अभी असम में पोस्टेड हैं।
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वर्ष 2019 में की गई पाठशाला की शुरुआत
तीनों अफसर एक हीं बैचमेट हैं। इन तीनों अफसरों ने मिलकर वर्ष 2019 में अलग अलग जगहों पर पाठशाला की शुरुआत की थी। संतोष कुमार ने इस पाठशाला की शुरुआत समस्तीपुर के बसंतपुर रमनी गांव में किया तो वहीं विजय कुमार ने गोपालगंज के पिठौरी गांव में और रंजन प्रकाश ने औरंगाबाद के तरारी गांव में इस पाठशाला की शुरुआत की। इस पाठशाला में पढ़ाने में लिए उनलोगों ने 6 टीचर को रखा है और उनके महीने की सैलरी फिक्स है।
जब भी गांव आते हैं बच्चों को देते हैं शिक्षा
तीनों अफसर जब भी गांव आते हैं वे खुद पाठशाला में आकर बच्चों को पढ़ाते हैं। हालांकि पाठशाला के शुरुआती दिनों में टीचर्स को हायर करने से पहले ये तीनों अफसर खुद ही बच्चों को पढ़ाते थे। तीनों ने मिलकर हर महीने एक अमाउंट फिक्स किए हैं, जो इन पाठशालाओं में खर्च करते हैं।