Monday, December 11, 2023

सरकारी स्कूल के इस शिक्षक ने पहाड़ के स्कूल को बना दिया इतना खूबसूरत, अब प्राइवेट स्कूल भी इसके आगे कुछ नही

जब-जब गुरू या शिक्षक की बात आती है तो महान दार्शनिक और कवि कबीरदास की एक पंक्ति हमेशा हीं उद्धृत हो जाती हैं जिसमें उन्होंने कहा है “गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए”। हमारे जीवन में शिक्षक का बहुत महत्त्व है क्यूंकि एक शिक्षक हीं होता है जो हमें सही और गलत के बारे में बोध कराता है तथा सही पथ पर बढ़ने में हमारा मार्गदर्शन करता है। गुरू अपनी प्रतिभा से छात्र को अन्धकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करता है क्यूंकि बिना गुरू के हमें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

आज के समय में सरकारी स्कूलों की स्थिति हाशिये पर चल रही है। सरकार और स्कूली प्रशासन अपनी कामचोरी और भ्रष्टाचार से लोगों की नजर में निठल्ले हो चले हैं। इन सबके बीच आज की कहानी एक ऐसे शिक्षक की है जो बदहाली में भी बेहतरी की उम्मीद जगा रहे हैं। उस शिक्षक ने अपनी मेहनत से विद्यालय को इस तरह से संवारा है कि जैसे दीवारें खिल उठी हैं।

आईए जानते हैं उस शिक्षक के बारे में जिसने दीवारों के चित्रों के माध्यम से छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया है।

आपको बता दें कि आशीष गंडवाल (Aashish Gandwaal) वही शिक्षक हैं जिन्हें पिछले वर्ष उत्तरकाशी के भंकोली से शानदार विदाई मिली थी और वो सुर्खियों में आए थे। वह उत्तराखंड (Uttarakhand) के छात्रों की भलाई के साथ वहां की संस्कृति को सहेजने का कार्य भी कर रहे हैं। शिक्षक आशीष गंडवाल जो अपने अभिनव प्रयोगों के लिए मशहूर हैं उनके प्रयास से गढ़खेत के सरकारी स्कूल की दीवारें खिल उठी हैं। विद्यालय की दीवारों को चित्रों के जरिए खूबसूरत बनाने के साथ हीं छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है।

Government teacher  renovates government school

विद्यालय के बदहाल तस्वीर में भर रहे सुनहरे रंग

आपकों बता दें कि आशीष गंडवाल आजकल टिहरी (Tehri) जिले के राजकीय इंटर कॉलेज, गढ़खेत की दशा-दिशा बदलने में लगे हैं। उन्होंने एक नई पहल शुरू की है जिसका नाम प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल (Project Smiling School) है। इस पहल के माध्यम से वह गढ़खेत (Garhkhet) के सरकारी विद्यालय के बदहाल छवि को रंगो से सजाने का कार्य कर रहे हैं। इससे पहले गढ़खेत के सरकारी स्कूल के बदहाल स्थिति की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया लेकिन पिछ्ले दिनों जब आशीष को गढ़खेत में जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने सबसे पहले स्कूल की छवि को सुधारने का बीड़ा उठाया।

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आशीष की कोशिश रंग लाई

आशीष गंडवाल की कोशिशों की वजह से गढ़खेत के सरकारी स्कूल की दीवारें सुन्दर तस्वीरों से सज गई हैं मानों जैसे दीवारे बोल रही हों। स्कूल की दीवारों को देख कर ऐसा लगता है जैसे पूरा उत्तराखंड गढखेत के विद्यालय से दीवारों मे सिमट गया हो। विद्यालय के दीवारों पर बाबा केदारनाथ की छवि चित्रित की गई है जिन्हें देखकर लग रहा है कि स्वयं केदारनाथ का दर्शन हो रहा है। इसके अलावा स्कूल की दीवारों पर हरकी पैड़ी, टिहरी झील, चिपको आंदोलन, गैरसैंण के साथ हीं अल्मोड़ा बाजार की तस्वीर भी चित्रित की गई है।

आशीष गंडवाल ने बताया कि विद्यालय के फीकापन को दूर करने के लिए उनमें रंग भरने की कोशिश की गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर छात्रों के प्रयास का साइड वीडियो भी शेयर किया है जो खूब वायरल हो रहा है तथा लोग उनके कार्यों की प्रशंशा कर रहे हैं।

विडियो में देखें इस स्कूल की खूबसूरती

आशीष गंडवाल उत्तरकाशी के भंकोली में बेहतरीन विदाई की वजह से भी काफी चर्चा में थे। भंकोली में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए उन्होंने पूरे मन से कोशिश की जो सभी का दिल जीत लिया। गांव के सरकारी स्कूल में 3 वर्ष सेवा देकर जब वह जाने लगे तो छात्र फूट-फूट कर रो पड़े तथा उनसे ना जाने की फरियाद करने लगे।

वास्तव में आशीष गंडवाल ने जिस तरह से सरकारी स्कूल की बदहाल स्थिति को सुधारा है वह बेहद सराहनीय है। उन्होंने अपनी कोशिशों से सभी के लिए प्रेरणा स्थापित किया है कि यदि मन से कुछ करने की कोशिश की जाए तो निरसता मे भी रंग भर जायेगा। The Logically अशीष गंडवाल जी को नमन करता है।