पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल है जो कई तरीकों से हमारी मदद करता है। परंतु आज के व्यस्त जीवन में हम उस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो खुद से ज्यादा पर्यावरण से प्यार करते हैं। उनमें से हीं एक हैं विजयपाल बघेल जो ग्रीन मैन के नाम से प्रसिद्ध हैं।
विजयपाल बघेल (Vijaypal Baghel)
उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) के रहने वाले विजयपाल बघेल (Vijaypal Baghel) जिन्हे ग्रीन मैन कहा जाता है। विजयपाल पिछले 40 वर्षों से रोजाना एक पौधा जरूर लगाते हैं। सही तौर पर उन्हें प्रकृति प्रेमी कहा जा सकता है। विजयपाल अब तक बहुत से पौधों को काटने से रोक चुके हैं तथा दूसरों को भी ऐसा करने से रोकते हैं।
वृक्षों की रक्षा की मिली प्रेरणा
विजयपाल गाजियाबाद के चंद्रगड़ी के रहने वाले हैं। एक बार की बात है वो अपने दादाजी के साथ रास्ते से जाते हुए कुछ लोगों को एक गूलर के पेड़ को कटते हुए देखे। पेड़ को काटने से उसमें से कुछ सफेद रंग का द्रव बाहर आ रहा था। उसे देख विजयपाल के मन में एक प्रशन उठा आखिर ये है क्या ? जवाब के लिए उन्होंने अपने दादा जी से पूछा कि इसमें से क्या निकल रहा है? तो उनके दादा जी ने जवाब देते हुए कहा कि ये लोग पेड़ को काट रहे हैं, इसलिए पेड़ रो रहा है और उसकी आंखों से आंसू की जगह यह दूध जैसा एक सफेद द्रव बाहर निकल रहा है।
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बचपन में हीं वृक्ष बचाव के लिए हुए प्रयासरत
विजयपाल जाकर उस गूलर के पेड़ से लिपट गए थे। पेड़ काट रहे लोगों ने यह देख कर पेड़ काटना छोड़ दिया। ऐसे ही विजयपाल ने इस कार्य की शुरूआत की। बहुत ही कम आयु में विजयपाल यह समझ गए थे कि ऐसा करके वो बहुत से पेड़ को कटने से बचा सकते हैं।
वृक्ष बचाव के लिए शुरू किया आंदोलन
साल 1976 में विजयपाल ने संरक्षण देने का काम किया था, जिसे साल 1993 में उन्होंने उस संरक्षण को एक आंदोलन के रुप में बदल दिया। जिससे बहुत से पेड़ को बचाया गया और अन्य लोगों को भी पेड़ बचाने के लिए जागरूक किया गया। उसके बाद इस संरक्षण को एक संगठन के रूप में बदल दिया गया। जिसका नाम था “मेरा वृक्ष”।
ग्लोबल पीस मिशन (Global Peace Mission)
विजयपाल एक मिशन चला रहे हैं, जिसका नाम ग्लोबल पीस मिशन है। इस मिशन के तहत वह भारत के अलग-अलग राज्यों में जाते हैं और वहां लोगों को पेड़ काटने से रोकते हैं तथा ऐसा ना करने के लिए जागरूक भी करते हैं। विजयपाल बताते हैं कि फूलों या फलों के बीजों को हमें इधर-उधर नहीं फेकना चाहिए बल्कि उस बीज को पशु-पक्षियों को दे देना चाहिए। ऐसा करने से नए पेड़ उगने की संभावना ज्यादा होती है।
एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा हुए सम्मानित
विजयपाल के किए गए इस अदभुत कार्य को देखते हुए उन्हें बहुत से नाम दिये गए जैसे कि हरित ऋषि, हिमालय भूषण और ग्रीन मैन आदि। एक समारोह में जहां विजयपाल को सम्मानित किया जाना था। वहाँ उनकी मुलाकात एपीजे अब्दुल कलाम से हुई। एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें बहुत ही प्रोत्साहन दिया। उसके बाद से विजयपाल ने यह निश्चित किया कि वह हरे रंग के कपड़े तथा हरे रंग के चीजों का ही इस्तेमाल करेंगे। जिससे दूसरों को भी जागरूक कर सके।
विजयपाल कई शोधन तथा विचारों पर कार्य कर रहे हैं। विजयपाल ने एक मुहीम चलाया जिसमें उनके द्वारा मांग की गई कि बरगद के पेड़ को राष्ट्रीय वृक्ष का स्थान दिया जाए।
The logically विजयपाल जी के अद्भुत कार्य की तारीफ करता है तथा हर मनुष्य से अपील करता है कि विजयपाल जी से सीख लेते हुए प्रकृति से प्रेम करें और वृक्षारोपण वह वृक्ष बचाव करें।