ग्रीन कमांडो और जल स्टार यह उपाधि किसी को ऐसे ही नहीं मिल जाती है ।।कुछ तो ऐसा खास होगा जो किसी इंसान को लोग प्यार से ग्रीन कमांडो और जल स्टार के नाम से बुलाते हैं। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दल्लीराजहरा गांव के किसान परिवार में वीरेंद्र सिंह(Virendra singh) का जन्म हुआ था। इन्हें बचपन से प्रकृति से बहुत लगाव था। घर में ढेर सारे पेड़ पौधे थे और इनके गांव में भी काफी हरियाली थी। अच्छे खासे पेड़ पौधे और तालाब से भरा हुआ गांव था इनका। इन्होंने कॉमर्स से स्नातक किया और आगे एमकॉम और अर्थशास्त्र में एमए भी किया। उसके बाद साल 2000 में एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करनी शुरू की। पर्यावरण प्रेमी वीरेंद्र सिंह के पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत भी नौकरी के साथ हुई। वह बच्चों को अपने विषय की जानकारी के साथ ही पर्यावरण के महत्व के बारे में भी बताते थे। उन्होंने 25 बच्चों की एक टीम बनाकर पौधारोपण करना शुरू किया।
छुट्टी के दिन पौधरोपण करते और स्वच्छता अभियान चलाते हैं
शनिवार को वीरेंद्र सिंह ( Virendra singh) बच्चों के साथ पौधारोपण तो करते ही थे इसके अलावा स्वच्छता अभियान भी चलाते थे। वीरेंद्र सिंह ने 17 साल पहले 250 पौधे लगाए थे। यह पौधे आज पेड़ बन चुके हैं फिर भी वीरेंद्र आज भी इन पेड़ों का उसी तरह रखरखाव करते हैं जैसा पहले किया करते थे। वह हर साल उन पौधों का जन्मदिन मनाते हैं ।आज इसी मेहनत का नतीजा है कि वीरेंद्र को ग्रीन कमांडो के नाम से जाना जाता है। वीरेंद्र ने अपने गांव ही नहीं बल्कि आसपास के भी गांव में हजारों पेड़ पौधे लगाए हैं।
तालाब, कुंड और नदियों को संरक्षित करते हैं
इतना ही नहीं वीरेंद्र ने पानी बचाने के लिए भी जल संरक्षण की दिशा में कई कार्य किए हैं। वह बताते हैं कि 13 साल पहले उन्होंने गांव के कुंड को लोगो की मदद से साफ कर उसे सहेजा था।आज इसी मेहनत का फल है कि सरकार की मदद से वह कुंड आज एक घाट बन गया है। वीरेंद्र ने अब तक 35 तालाब 2 कुंड, 1 नदी और नालों की साफ-सफाई की है। अभी वह कांकेर और बालोद में तलाब और कुंआ संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। विरेंद्र के इन कामों की खास बात यह है कि वह यह सारे कार्य जनसमर्थन से करते हैं।
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जल संरक्षण में किए गए कार्यों के बारे में विरेंद्र बताते हैं कि वह अगर अभी बारिश का जल संरक्षित नहीं करेंगे तो फिर भूजल स्तर लगातार घटते जा रहा है और एक दिन ऐसा आएगा कि भारत में पीने का पानी नहीं बचेगा। इसलिए भूजल स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से वह तालाब, कुंड, नदी-नालों को फिर से जीवित करने में लगे हैं।
साईकल यात्रा और मानव श्रृंखला बना चुके हैं
इतना ही नहीं वीरेंद्र लोगों को अपने कार्यों और पर्यावरण के लिए जागरूक भी करते हैं। वह इसके लिए कई साइकिल यात्राएं भी कर चुके हैं। 2007 में उन्होंने दुर्ग से नेपाल तक की यात्रा 10 लोगों के साथ की थी। इसके बाद 2008 में भी उन्होंने एक 11 लोगों के साथ छत्तीसगढ़ भ्रमण किया था। साइकिल यात्रा के अलावा विरेंद्र मानव श्रृंखला का भी आयोजन करवा चुके हैं। इन्होंने राजहरा से कुसुमकसी 7 किलोमीटर में 15000 स्कूली छात्रों के साथ मानव श्रृंखला का निर्माण किया था। इस श्रृंखला का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करना था।
अपने वेतन का कुछ हिस्सा पर्यावरण संरक्षण में लगाते हैं
वीरेंद्र अभी 10 वर्षों से एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे हैं और वह अपने वेतन का कुछ हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में लगाते हैं। छुट्टी के दिन वह आज भी पौधारोपण और स्वच्छता अभियान में लगे रहते हैं । लोग उन्हें पहले भी ताने देते थे आज भी ताने देते हैं पर विरेंद्र कहते हैं कि मैं प्रकृति से अपने लगाव को नहीं छोड़ सकता और मैं आजीवन पर्यावरण के संरक्षण करने में लगा रहूंगा।
शरीर पर पेंटिंग बना और नारे लगा लोगो को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं
वीरेंद्र लोगों को काफी रचनात्मक तरीके से जागरूक करते हैं । वह अपने शरीर पर पेंटिंग बनवा कर या कभी नारे लगवा कर लोगों में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं । उन्होंने ग्लोबल वॉर्मिंग, बाघों को बचाने के लिए शरीर पर पेंटिंग बनवाई थी। बच्चा एक वृक्ष अनेक, स्वच्छ घर स्वच्छ शहर और हमने यह ठाना है पर्यावरण बचाना है जैसे नारे दिए हैं।वीरेंद्र रक्षाबंधन के मौके पर वेस्ट मटेरियल से राखी का बनाते हैं।
कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका हैं
वीरेंद्र को अपने कार्यों में लोगों का समर्थन तो मिलता ही है। साथ ही इन्हें सरकार से भी काफी सराहना मिलती है। इन्हें अब तक तरुण भूषण, छत्तीसगढ़ जल स्टार जैसे कई पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। जल शक्ति मंत्रालय ने भी वीरेंद्र सिंह के कार्यों के लिए उनकी सराहना की थी। जल स्टार वीरेंद्र सिंह से बात करने के लिए 9685090631 पर सम्पर्क करें।