आमतौर पर बैंक का नाम सुनकर दिमाग में पैसे का लेन-देन करने वाले बैंक का ख्याल आता है। लेकिन इससे अलग हमारे देश में अलग-अलग प्रकार के बैंक भी चलाए जाते हैं जो पैसे का लेन-देन तो नहीं करता है लेकीम उससे गरीबों की मदद जरुर होती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक ऐसे ही बैंक के बारें में बताने जा रहे हैं जो गरीबों का पेट भरने का कार्य करता है।
राजकोट रोटी बैंक (Rajkot Roti Bank)
हम बात कर रहे हैं रोटी बैंक (Roti Bank) के बारें में, जिसे बोलबाला ट्रस्ट द्वारा गुजरात के राजकोट में संचालन किया जाता है। इस रोटी बैंक में रोटी ATM द्वारा रोटियां इकट्ठी की जाती है और फिर उसे गरीबों में बांट दिया जाता है। इस रोटी ATM में 10 से 12 बजे के बीच आसपास की महिलाएं रोटी बनाकर डाल जाती है। जब रोटियां इकट्ठी हो जाती हैं तो ट्रस्ट अपना गाड़ी भेजकर मंगवाता है।
इस रोटी बैंक (Roti Bank) की विशेषता यह है कि, ये सभी रोटियां ताजी होती है। रोटी बैंक के रोटियों को गरीब और जरुरतमंदों में सब्जी और खिचड़ी के साथ परोसा जाता है। इसके अलावा कुछ रोटियां हॉस्पिटल में भी दान कर दिया जाता है। इस कार्य में पूरा शहर अपना योगदान देता है।
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कैसे हुई थी रोटी बैंक की शुरूआत?
रोटी बैंक की कैसे हुई थी इस सवाल के जवाब में ट्रस्ट के संचालक जयेश उपाध्याय ने बताया कि, इस नेक पहल का आइडिया एक बुजुर्ग महिला से आया। दरअसल, एक बार की बात है वह किसी राज्य की यात्रा करने गए थे। यात्रा के दौरान वहां उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग महिला लोगों से रोटी मांगकर इकट्ठा कर रही थी उसके बाद उसे गरीबों में वितरित कर रही थी। वहीं से उन्हें भी रोटी बैंक शुरु करने का विचार आया।
बोलबाला ट्रस्ट के संचालक जयेश उपाध्याय ने बताया कि, इस पहल की शुरूआत 200 से 300 रोटियों के साथ हुई थी। लेकिन इस नेक पहल के बारें में जैसे-जैसे लोगों को जानकारी मिलती गई मदद करने वाले लोगों का कांरवा बनता गया। अब रोटी बैंक में प्रतिदिन 3 हजार से 4 हजार तक रोटियां इकट्ठी हो जाती है।
अनेकों लोगों का पेट भर रहा है यह रोटी बैंक
लगभग 3 वर्ष पहले शुरु हुई रोटी बैंक (Rajkot Roti Bank) आज अनेकों गरीब औए जरुरतमन्द लोगों का पेट भर रहा है। गरीब और जरुरतमन्द लोग बोलबाला ट्रस्ट में आकर भोजन ग्रहण करते हैं साथ ही ठेले से भी खाने को गरीबों में बांट दिया जाता है। जयेश उपाध्याय ने रोटी बैंक में मदद करनेवालो का आभार व्यक्त किया है।
वास्तव में यह पहल काफी सराहनीय है। यदि पूरे देश मे ऐसी पहल की शुरुआत हो जाएं तो एक दिन ऐसा आएगा जब देश का कोई भी नागरिक भूखे नहीं सोएगा। The Logically इस पहल की प्रशंशा करता है।