Sunday, December 10, 2023

नौकरी छोड़कर शुरू किया मधुमक्खी पालन, आज 12 लाख रुपए सलाना कमा रहे हैं

आजकल लोग नौकरी से ज्यादा अपना व्यवसाय करने में यकीन करते हैं। बहुत ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर और गांव में आकर या तो खेती करते हैं या फिर कोई भी व्यवसाय करते हैं और उसे अच्छा मुनाफा कमाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे दंपत्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर के मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

तन्वी और हिमांशु पटेल (Tanvi and Himanshu Patel) गुजरात (Gujrat) के रहने वाले हैं। हिमांशु पटेल एक मेकेनिकल इंजीनियर थे और वे जेएसडब्ल्यू पावर प्लांट में सीनियर मैनेजर के तौर पर काम करते थे। और इनकी पत्नी तन्वी एक शिक्षक थी। यह दोनों दंपत्ति अपने खेतों में जैविक तरीके से खेती करना चाहते थे। इसीलिए इन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर जैविक तरीके से खेती करने का मन बना लिया। जब इन्हें पता चला कि वे दोनों जिस किसान को अपनी खेत खेती करने के लिए दिए थे वह किसान उस खेत में कार्बनिक खाद का प्रयोग कर रहा था तथा खेतों में विषैले पदार्थ का छिड़काव करता था। तब उन्होंने मन बना लिया कि वे अपने खेतों में खुद जैविक तरीके से खेती करेंगे।

Tanvi Bee Keeping

तन्वी और हिमांशु (Tanvi and Himanshu) दोनों ने जब जैविक खेती करने के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगे तब इन्हें मधुमक्खी पालन करने के बारे में पता चला। इसके बाद इन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर के मधुमक्खी पालन की सारी जानकारी प्राप्त कर ली। जानकारी प्राप्त करने के बाद इन्होंने साल 2019 में जैविक तरीके से शहद बनाने की खेती शुरू कर दी। जब इन्होंने जैविक तरीके से शहद बनाने की शुरुआत की थी। तब इनके पास केवल 1 से 2 लकड़ी के क्रेटें थे। इसके बाद इन दोनों ने धीरे-धीरे अपने क्रेटो के संख्या बढ़कर 500 कर दिए।

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यह दोनों दंपति बताते हैं कि अगर मधुमक्खी पालन (Beekeeping) का व्यवसाय करते हैं तो एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अपनी खेतों के आसपास के खेतों में रसायनों का प्रयोग ना हो। अगर आसपास के खेतों में रसायन का प्रयोग होता है तो मधुमक्खियां रसायनों को अपने अंदर तक ले लेती है और तुरंत मर सकती है। यह 3 से 4 किलोमीटर की दूरी से भी रसायनों को अंदर ले सकती है जिसे इसकी मृत्यु हो जाती है। इन्होंने बताया कि जब यह जैविक तरीके से मधुमक्खियों के शहद की खेती कर रहे थे तब इनकी मधुमक्खियां बगल के खेतों से रसायनों को अपनी अंदर ले लिया जिसकी वजह से उन मधुमक्खियों की मृत्यु हो गई। मधुमक्खियों की मृत्यु होने से हमें लगभग 3,60,000 रुपए का नुकसान हो गया। परंतु हमने हार नहीं मानी और अगले ही सीजन अक्टूबर से अप्रैल महीने में फिर से हमने जैविक तरीके से मधुमक्खी पालन का काम की शुरुआत कर दी। यह बताते हैं कि जब हमने अगले सीजन में मधुमक्खियों से शहद निकालने का काम शुरु किया तो हमने अपने सभी क्रेंटो को अपनी खेत के बिल्कुल लास्ट में जाकर रख दिया।

तन्वी और हिमांशु (Tanvi and Himanshu) ने मधुमक्खी पालको से मिलकर के उनसे मधुमक्खियां खरीदने के बारे में सोचें। इसके बाद फिर उन्होंने हर एक लकड़ी के क्रेटों आठ छतों को जमा किया। जिसमें टोटल 30,000 मधुमक्खियां आ गई।

Tanvi

तन्वी और हिमांशु (Tanvi and Himanshu) ने कृषि विज्ञान केंद्र से मधुमक्खी के छत्ते खरीदे। जब यहां मधुमक्खी के छत्ते खरीदे थे। वह सीजन मधुमक्खी पालन (Beekeeping) करने का था। इसलिए इन्हें यह मधुमक्खी के छत्ते ₹4000 में मिल गए। हालांकि इस मधुमक्खी के छत्ते की कीमत लगभग ₹17000 की आस-पास हो सकती है। इसके बाद इन्होंने मधुमक्खियों की कटाई करने का काम शुरु कर दिए। मधुमक्खियों की कटाई करने में लगभग 12 दिन का समय लग जाता है।

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तन्वी और हिमांशु (Tanvi and Himanshu) अपने इस मधुमक्खियों के शहद को सोशल मीडिया के जरिए बेचते हैं। इन दोनों ने अपने व्यवसाय को एक ब्रांड बना लिए हैं। इनका यह ब्रांड “स्वध” के नाम से चलता है। तन्वी और हिमांशु ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए काफी मेहनत और परिश्रम के हैं। इन्होंने अपने शहद के व्यवसाय को ज्यादा बढ़ाने के लिए आस-पास के व्यापारियों से संपर्क करके उन्हे अपना उत्पादन बेचते हैं। वर्तमान में तन्वी और हिमांशु के पास लगा 300 मधुमक्खी के छत्ते हैं। यह दोनों प्रत्येक साल लगभग 9 टन शहद निकालते हैं। इसे व्यवसायों के पास बेचकर प्रत्येक साल 12 लाख रुपय की कमाई करते हैं। यह दोनों मधुमक्खी पालन (Beekeeping) जैविक तरीके (Organic Method) से करते हैं। और यह दोनों दंपति अपने इस काम में काफी मेहनत और लगन के साथ करते हैं।