Friday, July 14, 2023

भारत का एक ऐसा गांव जिसे आप शिक्षकों का गांव कह सकते हैं, हर किसी का सपना शिक्षक बनना

आज के इस दौर में हर माता-पिता की ये ख़्वाहिश है कि उनका बच्चा उच्च शिक्षा हासिल कर बैंक अफसर, इंजीनियर तथा डॉक्टर बने। परन्तु एक गांव ऐसा भी है जहां के बच्चे शिक्षक बनकर अन्य बच्चों के जीवन में शिक्षा का ज्योत जलाते हैं। इसे शिक्षकों का गांव कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार इस गांव का नाम हडियोल है और यहां के घरों में आपको अधिक से अधिक लोग शिक्षक मिलेंगे। ये “गुरु ग्राम” के नाम से प्रसिद्ध है और यहां आपको रिटार्यड तथा ऑन ड्यूटी टीचर मिलेंगे। जानकारी के मुताबिक आपको गुजरात के हर क्षेत्र में आपको हडियोल ग्राम के लोग बतौर शिक्षक कार्यरत हैं।

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शिक्षक के लिए करना पड़ा 7वीं पास

साबरकांठा प्रायमरी टीचर संघ में प्रमुख जिनका नाम संजय पटेल है वह बताते हैं कि यहां के गांव को ये अनोखा पहचान वर्ष 1955 में मिला। हलांकि उस दौर में यहां बहुत कम शिक्षक थे। प्रारंभिक दौर में यहां 3 शिक्षकों ने मिलकर पढ़ाना प्रारंभ किया। यहां के पुराने शिक्षक जिनका नाम हीरा भाई पटेल है। वह बताते हैं कि उन्होंने प्राथमिक शिक्षक सर्टिफिकेट कोर्स में दाखिला लिया। यहां मात्र और 25 टीचर थे जो इस कोर्स के लिए पढ़ने आए थे। टीचर बनने के लिए उन्होंने मात्र सातवीं कक्षा पास की और भी जॉब करने लगे। उसके बाद उनके परिवार से लगभग 9 सदस्य बतौर शिक्षक आगे निकले।

विश्वमंगलम की हुई शुरुआत

1959 में यहां गोविंद रावल तथा उनकी पत्नी सुमित बेन द्वारा स्कूल का शुभारंभ हुआ जो गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर प्रारम्भ हुआ था। इस स्कूल का नाम विश्वमंगलम रखा गया। जिस स्कूल का उद्देश्य यही था कि यहां के बच्चों को शिक्षा दिलाना। 1962 में यहां एक पीटीसी कॉलेज का भी शुभारंभ हुआ अब यहां के प्राइमरी स्कूल ने पढ़ाई संपन्न करने के उपरांत बच्चे विश्व मंगलम में जाने लगे।

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महिलाओं का बढ़ा मनोबल

अब यहां की महिलाएं पीटीसी में दाखिला लेने लगी और शिक्षा के महत्व को समझते हुए आगे अपने बच्चों को और शिक्षित करने की सोंच रखने लगीं। अब यहां के पुरुषों को भी पढ़ना पड़ता क्योंकि जो लोग पढ़े-लिखें होंगे उन्हें ही पढ़े-लिखे लोग मिलेंगे और समाज मे उनका महत्व बढ़ेगा। उस वक्त में यहां कोई कल-कारखाने नहीं थे जिस कारण लोगों ने खेती ना करके शिक्षक बनने का निश्चय किया और पढ़ाई कर शिक्षक बनने लगे।

यहां के लोग काफी शिक्षित एवं समझदार होने लगे जिस कारण यहां अपराध की संख्या बिल्कुल भी शून्य थी। यहां जो लोग आर्थिक स्थिति से परिपूर्ण थे वह अन्य घरों की मदद करते और बच्चों को शिक्षा दिलाने में हर कदम पर याद करते। यहां के लोगों ने यह पूरी तरह सिद्ध कर दिया कि शिक्षक बनकर सिर्फ अपने ही घर नहीं बल्कि पूरे गांव के घरों को रोशन किया जा सकता है।