लोगों में एक धारणा बन गई है कि कृषि का कार्य मुनाफे का नहीं होता है। लोगों के इस धारणा को झुठलाती आज की कहानी एक ऐसे हीं शख्स की है जिन्होंने अपनी प्रोफ़ेसर की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर जैविक खेती को अपनाया और आज वे सफल किसान होने के साथ-साथ लाखों की कमाई भी कर रहे हैं।
वह दिन गए जब लोग सिर्फ और सिर्फ पारंपरिक खेती किया करते थे और उसी से अपना गुजारा किया करते थे। आज समय के बदलाव के साथ-साथ नई-नई कृषि तकनीकों और मशीनों का अविष्कार हो चुका है ऐसे में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ व्यावसायिक फसल की खेती की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, साथ हीं खेती करने के लिए पारंपरिक तरीकों को भी उन्होंने परिवर्तित किया है और वे जैविक विधि व हाइड्रोपोनिक्स विधि से कृषि को तरजीह दे रहे हैं। बिना मिट्टी के पानी में खेती कर 200 वर्ग फुट में सब्जियां उगा रहें है। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी छोटी सी जगह में भी खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं गुरू किरपाल सिंह जी के एक प्रोफेसर से एक उन्नत किसान बनने की कहानी….
गुरुकिरपाल सिंह 37 वर्ष के हैं और वे पंजाब से ताल्लुक रखते हैं। वह अपने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद एक लेक्चरर की नौकरी करने लगे। लेकिन उन्हें नौकरी करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था क्योंकि उन्हें लगता था कि यदि में नौकरी करेंगे तो दूसरे की गुलामी में रहना पड़ेगा। इसलिए इन्होंने अपनी यह नौकरी छोड़कर पॉलीहाउस लगाने का निश्चय कर उसमे टमाटर लगाया। उनको इस खेती से लगभग 1 लाख 40 हजार का मुनाफा हुआ, जिसके बाद उन्होंने ग्रीनहाउस के निर्माण का कार्य शुरू किया। इसमें उन्होंने बिना मिट्टी यानी ”हाईड्रोपोनिक्स विधि” को अपनाकर खेती की शुरुआत की। इस खेती में गुरुकिरपाल ने टमाटर और मिर्च को लगाया, फाई पाईप में।
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गुरु कृपाल सिंह अपनी इस विधि के द्वारा कई तरह की सब्जियां उगाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व गुरुकिरपाल ने हाइड्रोपोनिक्स विधि से ब्राह्मी यानी ब्रेन टोनिक का पौधा भी लगाया था। ब्राह्मी के पौधों में पत्तियां उगती हैं जिन्हें सलाद बनाकर खाया जाता है। इससे मस्तिष्क तेज होता और मानसिक स्थिति ठीक रहती है। इनका यह कार्य बेहद सफल हुआ और वह इसी विधि के जरिए खेती करने लगें। आगे इन्होंने लहसुन और प्याज लगाने का निश्चय किया और इसे लगाया ताकि वह देख सकें कि क्या परिणाम निकल रहा है। जब इसका परिणाम आया तो उन्हें बहुत खुशी हुई। बेहतर स्वास्थ्य किसे अच्छा नहीं लगता। इन्होंने अपने उत्पादों को मार्केट में बेचना शुरू किया जिससे इन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। फिर इन्होंने हाइड्रोपोनिक्स विधि से की हुई खेती में लगे रहें और मनाफ़ा कमाने लगें।
क्या होता है बिना मिट्टी की खेती या हाइड्रोपोनिक्स विधि..?
यह तकनीक यानी ‘हाइड्रोपोनिक्स’ इजरायल की तकनीक है। हाइड्रोपोनिक्स दो शब्दों से बना है- हाइड्रो और पोनिक। हाइड्रो का मतलब पानी होता है और पोनिक का अर्थ श्रम। वहां अधिकतर कृषि इसी विधि के माध्यम से होती है। इस विधि को अपनाने से पहले गुरुकिरपाल ने इस विधि में हल्का परिवर्तन किया और तब इसे अपनाकर खेती की शुरुआत की। खेतों में फसल उगाने हेतु उर्वरक और पानी की हमे बार-बार जरूरत पड़ती है ताकि फसल अच्छी हो। लेकिन हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में एक प्लास्टिक के पाईप के अंदर नेट हाउस के माध्यम से पौधों के जड़ को पानी मे रखा जाता है। वहां टाइमर लगाया जाता है जिसकी मदद से पौधों के तापमान पर ध्यान रखा जाता है। आवश्यकता अनुसार पौधों में उर्वरक के रूप में कुछ तत्व को मिलाया जाता है। ये तत्व जिंक, मैग्नीशियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन, सल्फर, आयरन, पोटाश और कैल्शियम आदि हैं जिसे पानी में मिला दिया जाता है ताकि जब पानी जड़ों तक पहुंचे तो ये तत्व भी आसानी से उन पौधों को प्राप्त हो जाये।
हाइड्रोपोनिक्स विधि से खेती करना वाकई बेहतर है। वह हमेशा ही हाइड्रोपोनिक्स विधि को खेती के लिए बेहतर तरीका बनते हैं। आधार कोई भी व्यक्ति उनसे इस विधि के बारे में सीखना चाहता है तो उन्होंने अपना मोबाइल नंबर उपलब्ध करवाया है।
मोबाइल नं:- 9855521906