हमलोगों ने इस बात को महसूस किया होगा कि आजकल के समय में अच्छी-खासी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद ज्यादातर लोगों की यह ईच्छा होती है कि वह अच्छा से अच्छा नौकरी करे तथा अच्छी कमाई करें। लेकिन इन सभी बातों के बावजूद भी कई ऐसे लोग हैं जो कि अच्छी-खासी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के बजाय अपना बिज़नेस या फार्मिंग करना पसंद करता हैं।
आज हम बात करेंगे एक ऐसे हीं शक्स के बारे में, जो अच्छी-खासी पढ़ाई करने के बाद एक खास तरह के एक विदेशी फल के फार्मिंग के क्षेत्र में कदम रखा है।
तो आइए जानते हैं उस शख्स और उसके फार्मिंग से जुड़ी सभी जानकारियां :-
कौन है वह शख्स ?
हम बात कर रहे हैं हर्षित गोधा (Harshit Godha) की, जो मूल रूप से भोपाल (Bhopal) के रहने वाले हैं। उनकी उम्र लगभग 26 साल है। उन्होंने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद UK गए तथा वहीं से उन्होंने BBA की डिग्री हासिल की।
वह (Harshit Godha) शुरु से हीं पढ़ने-लिखने में काफी तेजतर्रार थे। इसके साथ हीं वह अन्य कार्यों में भी अपनी रुचि रखते थे। वह पढ़ाई-लिखाई के अलावे अन्य कार्यों में भी पकड़ बनाने का पूरा प्रयास रखते थे।
एवोकाडो की खेती का बनाया मन
हर्षित (Harshit Godha) अपने फिटनेस को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं। वह अपने स्वास्थ्य के हिसाब से लाभकारी चीजों का सेवन करना ज्यादा पसंद करते हैं। यूके में पढ़ाई के समय में वे उन दिनों हर रोज एवाकाडो (Avocado) का सेवन करते थे। एक समय एवाकाडो (Avocado) खाने के बाद उनकी नजर उसके पैकेट पर पड़ी, उस पैकेड पर लिखा था कि इस फल को इजराइल से आयात किया गया है। यह सब पढ़ने के बाद उनके मन में यह ख्याल आया कि जब यह फल इजराइल जैसी गर्म जलवायु में हो सकती है तो अपने भारत में क्यूँ नहीं? यही सोच कर उन्होंने भारत में इसके खेती का मन बनाया।
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ईजरायल जाकर ली ट्रेनिंग
एवाकाडो (Avocado) की खेती का मन बना चुके हर्षित (Harshit Godha) ने इसके बारे में सभी तरह की जानकारी लेना चाहें, इसके लिए उन्होंने इसके खेती होने वाले देश इजराइल जाने का मन बनाया। वहाँ उन्होंने इसके खेती से जुड़ी सभी तरह की बातों का अध्ययन किया। वापास भारत लौटने के बाद उन्होंने अपने भोपाल में स्थित ज़मीन को खेती योग्य बनाया। इसके बाद उनके इज़राइली सहयोगी ने ही भोपाल में ज़मीन तैयार करने से लेकर इजराइली एवोकाडो के मदर प्लांट मुहैया कराने का काम किया। उन्होंने बताया कि एवोकाडो की सबसे अच्छी किस्म के लिए भारत के दक्षिणी भाग का तापमान सही होता है।
शुरु की एवोकाडो की नर्सरी
उन्होंने अपने दोस्तों के मदद से उन्होंने (Harshit Godha) अपने गृह क्षेत्र भोपाल में वर्ष 2019 में इस फार्मिंग की शुरुआत की थी। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की कारण से उनके खेती में देरी हो गई। इसके बाद उन्होनें जुलाई 2021 में इजराइल से एवोकाडो के पौधे इंपोर्ट किए हैं। अभी ये पौधा नर्सरी में है, जिसे तैयार होने में लगभग 3 साल के समय लगते हैं।
विदेशी फल को स्वदेश में सस्ता करने की थी चाहत
एक अच्छी-खासी पढाई करने के बाद हर्षित (Harshit Godha) ने काफी सोच समझ कर एवोकाडो की खेती करने मन बनाया है। वह चाहते थे कि क्यूँ न इसकी खेती अपने देश में हीं की जाए जिससे यह अपने यहां भी किफायती दर पर मिलने लगे। यही सोच कर उन्होंने इसकी खेती करने का मन बनाया। उनके अनुसार भारत में इसका काफी डिमांड है। अभी फल तैयार होने के पहले हीं कई राज्यों से उनके यहां एडवांस बुकिंग हो चुकी है।
काफी महंगा है यह फल
एवोकाडो एक बहुत हीं महंगा विदेशी फल है। इंडियन एवोकाडो और इजराइली एवोकाडो के बाजार में अलग-अलग रेट हैं। यह 500 रुपए से लेकर 1200 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकता है। इसका पीक सीजन जनवरी में होता है जब फ्लावरिंग होती है। सितंबर में फसल तैयार हो जाती है।
स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है
एवोकाडो स्वास्थ्य के लिए बहुत हीं फायदेमंद है। इसमें अनेकों तरह के विटामिन्स और अन्य फायदेमंद चीजें पाए जाते हैं। विदेशों में स्वास्थ्य तथा फिटनेस की दृष्टि से इसकी काफी मान्यता है। इसके सेवन के अनेकों फायदे हैं, जैसे-
● इसका सेवन करने पाचन तंत्र ठीक रहने के साथ-साथ हृदय भी स्वस्थ रहता है।
● यह डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है साथ ही वजन को भी कम करने में मददगार साबित होता है।
● यह त्वचा की सुन्दरता और आंखों की रौशनी बढ़ाने में मदद करता है।
कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए यह बेहद लाभदायक सिद्ध होता है।
● बालों को झड़ने से रोकता है औए उन्हें मजबूत बनाता है।
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लोगों के लिए बने प्रेरणा
अपने प्रयासों से कभी हिम्मत नहीं हारने वाले हर्षित (Harshit Godha) आज के समय में हजारों लोगों के लिये प्रेरणा बने हुए हैं। जिस तरह उन्होंने अपनी MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेशी फल की खेती को प्राथमिकता दिया। उनका यह कदम काबिले तारीफ है। अपने यहां इस विदेशी फल की खेती तथा नर्सरी स्थापित करने का उनका एक मात्र उदेश्य यह था कि अपने यहां एवोकाडो का फसल उगाने से यह विदेशी फल को यहां भी सस्ता हो सके।