हमारे यहां औरतें खाना बनाने के दौरान हींग का छौंक लगाती हैं। हींग के छौंक से चाहे वह दाल हो या सब्जी उसका स्वाद ज़ायकेदार हो जाता है। सभी औरतें हींग अपने किचन में ज़रूर उपलब्ध रखतीं हैं। ये जितना खाने का स्वाद बढ़ाता हैं, इसमे गुण भी अधिक होता है। यह हमारे पाचनतंत्र के लिए बहुत उपयोगी है। लेकिन दुःखद बात यह है कि इसका आयात किया जाता है, अन्य देशों से। ये हमारे देश में नहीं मिलता, ना ही हमारे किसान इसकी खेती करतें हैं। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा हींग का उपयोग हमारे देश में ही होता है। लेकिन खुशी इस बात की है कि हमारे यहां भी अब हींग की खेती पहली बार शुरू हुई है। तो आइए पढ़तें है इसके बारे में विस्तार से।
आखिर हींग का इतिहास है क्या??
हींग के इतिहास के बारे में बात किया जाए तो इसका जवाब बहुत ही कठिन है। इस बारे में हर किसी का मानना अलग अलग है। कोई व्यक्ति बताता है कि हींग ईरान से भारत में मुगल काल के वक्त आया और कुछ लोग बताते हैं कि जब कुछ जनजाती ईरान से हमारे देश में आए तो इसे साथ लाएं। फिर इसने हमारे देश में लोगों के खानपान में एक अहम भूमिका हासिल कर लिया। कुछ लोगों का मानना है कि हमारे देश में इसका इस्तेमाल ईसा पूर्व से हो रहा है। इतिहास चाहे जो भी हो लेकिन यह बात तो सत्य है कि बिना हींग के खाने का स्वाद उतना बेहतरीन नहीं होता जितना इसकी एक चुटकी मात्रा से हो जाता है।
विश्व भर में सबसे ज्यादा आयात हमारे देश में
हमारे देश में प्रत्येक वर्ष कच्ची हींग का आयात ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से लगभग 12 सौ टन किया जाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक वर्ष लगभग 600 करोड़ रुपए का हींग हमारे देश में खरीद कर आता है।
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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में 1963-1989 के बीच हींग की खेती को प्रारंभ किया गया था। हालांकि हमारे पास इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है। अभी से 3 वर्ष पहले जब ज्यादा लोग हींग की मांग करने लगे तो फिर इसके विषय में यह आवाज उठी कि हींग की खेती हमारे देश में की जाये। इसके लिए हींग के बीज ईरान से आए और इन पर रिसर्च कर इन्हें बोया गया। जब बीज अंकुरित होने लगे तो इसमें एक चौंकाने वाला रिजल्ट सामने आया। लगभग 1% बीज अंकुरित हुए मतलब कि अगर आप 10 बीज लगाते हैं तो उसमें से एक पौधा ही अंकुरित होगा। हालांकि हमारे एक्सपर्ट रिसर्च में लगे हैं कि हमारे देश में हींग का अधिक से अधिक मात्रा में उत्पादन हो सके।
पहली बार शुरू हुई हींग की खेती
अगर कोई हींग का पौधा लगाता है तो इसके लिए वातावरण उसके अनुकूलित होना चाहिए। यह एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है जो कि ज्यादातर हिमालय पर्वत पर मिलती है। लेकिन हमारे यहां के वैज्ञानिक इस कार्य में लगे हैं कि यह हींग की कृत्रिम खेती कर सके। हिमाचल प्रदेश के एक गांव पालमपुर में इसकी शुरुआत की गई है। IHBT के डायरेक्टर संजय सिंह ने इसे उगाने की शुरुआत की है। अगर इस कार्य में सफल हुए तो हमारे यहां भी इसकी खेती अधिक से अधिक मात्रा में होगी और इसे आयात कर दूसरे देशों से लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।