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औषधीय गुण वाले सर्पगन्धा की खेती कर रहा बिहार का किसान, मात्र 75 हज़ार की लागत में 3-4 लाख तक का फायदा हो रहा है

ऐसी बहुत सारी चीज़े हैं जिनके बारे में हम जानतें हैं कि ये हमारे लिए बेहद लाभकारी है। चाहे वह हमारे आय के क्षेत्र में हो या शारिरिक रूप से स्वस्थ बनाने के लेकिन यह समझ नहीं आता कि इसका उपयोग और लाभ हम कैसे उठाएं। ऐसा ही एक औषधीय पौधा है, सर्पगंधा। इसके गुण से हम सभी अवगत हैं। अगर इसकी खेती की जाए तो इससे अधिक मात्रा में लाभ कमाया जा सकता है। आइये हम आपको इसकी खेती कैसे करनी है और कैसे अधिक लाभ कमाना है, यह बताते हैं। इसकी खेती बिहार के एक किसान कर रहें हैं और वह लखपति बन गए हैं।

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बिहार के जितेंद्र कुशवाहा

जितेन्द्र कुशवाहा (Jitendra Kushwaha) बिहार (Bihar) के जलालगढ़ (Jalalgarh) प्रखंड के रहने वाले हैं। यह ऐसी खेती कर रहें हैं जो बहुत ही लाभदायक है। यह अपने खेतों में सिर्फ अनाज का ही उत्पादन नहीं करते बल्कि सर्पगंधा की खेती भी करतें हैं। यह महज 1 या 2 वर्षों से इस खेती को नहीं कर रहें बल्कि 10 वर्षों से इससे जुड़ें हैं। यह 2 या 3 एकड़ भूमि में ये खेती करतें हैं। जितेंद्र ने यह जानकारी दिया कि इन्हें फसल तैयार करने में लगभग 18 माह ही लगतें हैं और लागत मात्र 75 हजार है। इन्हें इस खेती से प्रति एकड़ में 20-30 क्विंटल सर्पगंधा का उत्पादन होता है और 1 वर्ष में 4 लाख का लाभ मिलता है।

कीमत है अच्छी

सर्पगंधा के प्रति किलोग्राम का मूल्य 70-80 रुपये है। इसकी विशेषता यह है कि इसका हर एक भाग उपयोगी होता है चाहे वह जड़ हो, तना हो, या फल। इसका उपयोग कर बहुत सारे औषधि तैयार किये जाते हैं। इसके जड़ से सरपेन्टिन औषधि बनाई जाती है लेकिन इसके लिए शीतलता की जरूरत है तभी इस पौधे से लाभ मिलेगा। इसे छायादार पेड़ जैसे लीची और आम के नीचे लगाया जाता है।

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खेती करना है आसान

सर्पगंधा की खेती करना उतना मुश्किल नहीं है जितना हम सोचतें हैं। कृषि वैज्ञानिक अभिषेक प्रताप सिंह के अनुसार इसके बीजों को बरसात के शुरुआत में लगाया जाता है। हमें 1 हेक्टेयर के लिए लगभग 10 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। आगे इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ या 2 साल का वक्त लगता है।

है सेहत के लिए लाभदायक

यह एक औषधीय पौधा है और इसके अनेक लाभ हैं। अगर किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो इसका उपयोग किया जाता है। अगर कोई मानसिक रोगी अपना सन्तुलन खो बैठा है तो यह देने से वह शांत होता है। इसका उपयोग काढ़ा के लिए भी किया जाता है। अगर पेट मे कीड़े हुए हैं तो इसके जड़ का काढ़ा पिलाना सही होता है। यह पेट दर्द और डिलीवरी के वक्त पर भी बेहद लाभकारी सिद्ध होता है।

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