आज कल ज्यादातर लोगों का रुझान ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ते नजर आ रहा है। बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों को उपजाने में केमिकल्स का इस्तेमाल बहुतायत में किया जाता है। वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस बात को अब हम भाली भांति समझ रहे हैं। लोग कई तरह से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। कोई घर की छत पर तो कोई अपनी बालकनी में ही फल, सब्जियां, फूल.. उगा रहे है। अक्सर हम खाली डब्बों को कचरे में फेंक देते है। कभी यह नहीं सोचते कि वह हमारे कितने काम का हो सकता है। लेकिन एक ऐसे ही युवा है वासुकी आयंगर जो खाली डब्बों का उपयोग करके औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।
बैंगलुरू के रहने वाले वासुकी आयंगर घर में पड़े खाली डब्बों में खाद बनाने के साथ उसी में बीज बो कर औषधीय पौधे उगा रहे हैं। आयंगर कॉर्पोरेट सेक्टर में कार्यरत थे। लम्बी अवधि तक काम करने के बाद साल 2016 में वह सोयल एंड हेल्थ की नींव रखकर लोगों को घरेलू उर्वरक बनाने से लेकर सामुदायिक कम्पोस्ट बनने का विकल्प दे रहे है। जिसमें घर में पड़े बेकार डब्बों जैसे आईसक्रीम, दही के डब्बो का उपयोग किया जाता है। वासुकी डब्बों में ही कम्पोस्ट तैयार करने के साथ उसी में बीज बोकर पौधे उगाने का भी काम कर रहे है। इस प्रक्रिया में औषधीय पौधे जैसे – पोदिना, धनिया, मेथी, वीटग्रास आदि के पौधें आसानी से उगाए जाते हैं। आइए जानते है इस तकनीक की प्रक्रिया –
निम्न सामग्रियों की आवश्यकता :-
इसमें खाली डब्बें, मिट्टी, कोकोपीट, सब्ज़ीयों के छिलके, सूखे पत्ते, छाछ, लकड़ी के बुरादे आदि चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है।
विधि :-
* पहले हम सभी छिलकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेंगे.
* उसके बाद डिब्बें में पहले मिट्टी की लेयर डालेंगे उसके ऊपर कोकोपीट की लेयर.
* बारीक कटें हुए सब्ज़ियों और फलों के छिलके की परत डालेंगे.
* इस प्रक्रिया को दुहराते हुए पूरे डब्बे को भर देंगे.
* इसके बाद 2-3 बूंद छांछ की डालेंगे. छांछ नहीं होने पर हम गोबर की स्लरी का भी उपयोग कर सकते है.
फिर उन डब्बों को ऐसी जगह स्थिर और खुले में रखेंगे जहां बारिश ना हो और चूहों से भी सुरक्षित हो। साथ ही चारों तरफ से मैश वायर भी रख सकते हैं। जब यह सामग्री जब खाद में परिवर्तित होने लगे तो गलने लगेगा जिससे डब्बे में जगह बढ़ती जाएगी तो हम उसमें और भी बुरादे, एपसोम साल्ट आदि डाल सकते हैं। 2-3 हफ्ते बाद उन डब्बों पर हम हल्के-हल्के पानी का छिटा डालेंगे या गिले कपड़े से ढक देंगे। लगभग 30-45 दिनों बाद हम देखेंगे कि डिब्बें में हम जो भी सामग्री डाले है वह आधी हो गई, इससे यह प्रतीत होता है कि हमारा खाद तैयार हो चुका है। अब हम उसमें बीज लगा सकते है।
बीज लगाने की विधि :-
* यदि हमें मेथी या वीटग्रास लगाना हो तो पूरी रात उनके दानों को हम पानी में भिगों कर रख देंगे।
* अगले दिन उन्हें अलग-अलग कपड़ों में बांध देंगे, कुछ ही दिनों बाद उसमें हमें स्प्राउट्स मिलेंगे।
* उन स्प्राउट्स को हम खाद के डिब्बों में डालेंगे और उसपर पानी का छिड़काव करेंगे।
इसकी पूरी प्रक्रिया आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं :-
वासुकी आयंगर द्वारा किया गया कार्य और बताया गया प्रयोग हमारे लिए काफी मददगार है। इस प्रक्रिया को अपनाकर हम थोड़े जगह में भी आसानी से औषधीय पौधें उगा सकते है जो हमारे लिए फायदेमंद होगा। The Logically वासुकी आयंगर द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करता है।