Monday, December 11, 2023

इस लड़की ने कागज, प्लास्टिक और छिलकों से इको फ्रेंडली ईंट बना दिया, मात्र 6 रुपये की कीमत में बेच रही है

आजकल के युवा एक तरफ जहां महंगे गैजेट्स और स्मार्ट्फोन्स के शौकीन हैं, वहीं दूसरी तरफ वे पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी समझते हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए युवा पीढ़ी आगे आ रही है और नए-नए स्टार्टअप्स के रूप में लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक कर रही है।

इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रोफेसर ने बनाया ईको फ्रेंडली ईंट

नेहा ठाकुर (Neha Thakur) भी एक ऐसी ही युवा है जो बेकार मटेरियल जैसे नारियल के छिलके, कागज, बारीक रेत तथा साधारण सीमेंट से ईंट बनाने का कारनामा कर दिखाया है। नेहा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की हैं और वर्तमान में वे एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हैं।

कम लागत और कम वजन में होगी मार्केट में उप्लब्ध

नेहा द्वारा बनाई गई ईंटें पर्यावरण के लिए लाभदायक होने के साथ ही मार्केट में भी कम वजन और कम लागत में उप्लब्ध होगी। ये ईंटें प्राकृतिक रेशे से तैयार की गई हैं, जो सुरंगों, मकान की दिवारों और फुटपाथ की चिनाई में भी इस्तेमाल की जा सकेगी। (Neha Thakur Eco-Friendly Bricks)

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नेहा द्वारा निर्मित ईको फ्रेंडली ईंट की विशेषताएं

आमतौर पर सामान्य ईंट की मार्केट प्राइस 10-12 रुपये है, जबकी इस इको फ्रेंडली ईंट की कीमत महज 6 रुपये होगी। वहीं एक तरफ जहां सामान्य ईंट का वजन 4 KG होता है, जबकी इस ईंट का वजन 3 किलोग्राम तक होने की उम्मीद है। इसके अलावा इको फ्रेंडली ईंट पानी को बहुत कम सोखने की क्षमता है जबकी सामान्य ईंटों में अधिक मात्रा मे पानी सोखने की क्षमता होती है। पानी कम सोखने की क्षमता होने के कारण इससे पानी की बचत करने में मदद मिलेगी।

प्रोफेसर नेहा के अनुसार, ईको फ्रेंडली ईंटे निमार्ण करने का ऊद्देश्य नारियल फाइबर के साथ रेत को आंशिक तौर पर बदलकर फाई ब्रिक्स बनाने के साथ पर्यावरण के अनुकूल ईंटों का निर्माण कर बेकार कागज का उपयोग है।

बाहरी मौसम के लिए प्रतिरोधक क्षमता है अधिक

नेहा के मुताबिक, कम पानी सोखने वाली ईंटों में बाहरी मौसम की स्थिति के लिए प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। वह बताती हैं कि एक नियम के मुताबिक ईंट के पानी सोखने की क्षमता उसके भार के अनुसार 20% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इन फाई ब्रिक्स में भार के अनुसार ईंट 16% पानी अवशोषित करती है। इस प्रकार की ईंटों को धूप में तीन दिन तक सुखाने के बाद उनके वजन का परीक्षण किया जाता है । प्रोफेसर नेहा इन इको फ्रेंडली ईंटों पर पेटेंट भी फाइल कर दिया है। (Neha Thakur Eco-friendly Bricks)

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