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उत्तराखंड के कपल ने “भांग” के नशीले पौधे से बना दिया खूबसूरत घर, एक दिन का किराया 2500 रुपया लेते हैं

बढ़ती जनसंख्या के कारण कुछ लोग जंगलों तथा पेड़-पौधों की कटाई करके बड़े-बड़े बिल्डिंग्स बनाए जा रहे है तो वहीं कुछ लोग अपने घरों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के सपने देख रहे हैं और उसे पूरा करने की प्रयास भी कर रहे हैं।

वैसे तो हर इंसान का सपना होता है कि अपने लिए एक छोटा सा और प्यारा सा घर बनाएं लेकिन आज के दौर में लोग पेड़ों को काट कर घर बना रहे है, जिससे हमारे पर्यावरण की क्षति हो रही है। अगर सब लोगों का सोच पर्यावरण अनुकूलित घर बनाने का होगा तो हमें कभी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

आज हम उत्तराखंड (Uttarakhand) के रहने वाले हैं एक दंपति को बात करने वालें है। इनका नाम नम्रता कंडवाल (Namrata Kandwal) और गौरव दीक्षित (Gaurav Dixit) है, जो एक आर्किटेक्ट है। इन्होंने हाल हीं में ऋषिकेश से 35 किलोमीटर दूर पौड़ी गढ़वाल जिले में दो साल की कड़ी मेहनत के बाद एक इको-फ्रेंडली होम स्टे (Hemp Eco-Stay) को तैयार किया है, जो हेम्प (एक तरह का नशीला पौधा) के रेशे से बना है। इस घर को ‘हिमालयन हेम्प-इको स्टे (Himalyana Hemp Eco-Stay)’ के नाम से जाना जाता है।

इस अनोखी घर को तैयार करने में किन-किन वस्तुओं का हुआ है इस्तेमाल

इस अनोखे घर को तैयार करने के लिए इस दंपति ने होमस्टे मुख्य रूप से हेम्प-आधारित वस्तुओं की मदद ली है। इस घर में हेम्प के पौधे के इस्तेमाल फर्श और दीवार के अलावे इसकी छत और अंदर की कई वस्तुओं को बनाने में भी किया गया है।

दंपति का कहना है कि, पहले हम भी पारंपरिक सीमेंट से घर बना रहे थे लेकिन फिर हमारे दिमाग में यह बात आई कि यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है इसलिए हम कुछ अलग काम करना चाहते थे। लेकिन क्लाइंट के प्रोजेक्ट्स में हम नया प्रयोग नहीं कर सकते इसलिए हमने साल 2020 में खुद का घर बनाने को तय किया और यह नया प्रयोग वहां हीं करना सही समझा। फिर हमने खुद की जमीन पर एक इको-फ्रेंडली घर बनाना शुरू किया।

कैसे आया हेम्पक्रीट का ख्याल?

इन्होंने बताया कि पहले जब हम घर बनाते थे तो पारंपरिक सीमेंट का हीं इस्तेमाल करते थे, लेकिन हमारे मन में हमेशा यह बात रहती थी कि यह घर पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। फिर हमने कुछ अलग और नया करने का फैसला लिया लेकिन क्लाइंट के प्रोजेक्ट्स में हम नया बदलाव नहीं कर सकते थे। लेकिन जब हमने अपना घर 2020 में बनाया तो मिट्टी और बैम्बू के अलावा, हम कुछ नए करने के तलाश में थे, तभी हमें हेम्पक्रीट के बारे में पता लगा।

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आखिर क्या होता है, हेम्पक्रीट

हेम्प, जिसको हम हिंदी में भांग के पौधे के नाम से जानते हैं। इस पौधे से हेम्प फाइबर तैयार होता है और इससे ‘हेम्प बायो एग्रीगेट लाइम कंक्रीट’ तैयार किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे हेम्पक्रीट के नाम से जाना जाता है। इसके ब्लॉक भांग के पौधे की शाखा के छिल्कों, चूना और फ्लाई ऐश के मिश्रण से बने होते हैं। हेम्पक्रीट की सबसे खास बात यह है कि, यह प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और जंगल की आग से लड़ने में सक्षम है।

क्या है इस घर में व्यवस्था?

‘हिमालयन हेम्प-इको स्टे (Himalyana Hemp Eco-Stay)’ को कुल 800 वर्ग फुट जगह में बनाया गया है। इस अनोखे घर में बिजली के लिए एक 3-किलोवाट रूफटॉप सोलर पैनल लगा है और पानी के लिए 4,000 लीटर का टैंक बनाया गया है, जिसमें बारिश का पानी जमा होता है और एक हैंड पंप का उपयोग करके पानी निकाला जाता है। जो पानी उपयोग हो जाता है, उसका भी उपयोग पौधे उगाने के लिए दुबारा इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि, पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए इस घर के अंदर की कई वस्तुओं के लिए हेम्प का इस्तेमाल किया गया है। यहां तक कि इस घर की बेडशीट, तकिए के कवर और पर्दों के लिए हेम्प फेब्रिक का उपयोग किया है। इसके अलावें दरवाजों और खिड़कियों पर भी हेम्प बीज के तेल से पॉलिश की गई है।

दंपति का कहना है कि, हमने महीनों तक रिसर्च किया और उसके बाद कुछ कारीगरों को तैयार किया, ताकि वे इस तरह के काम में हमारा साथ दे सकें। इन लोगों को काम सिखाया।

उन्होंने आगे बताया कि, यह बिल्डिंग पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ एंटी-बैक्टीरियल भी है। हमने इसमें पारंपरिक कंक्रीट का इस्तेमाल करने के बजाय, नींव बनाने के लिए पत्थर और मिट्टी का उपयोग किया और शौचालयों को हेम्पक्रीट से बनाया गया है और वहां हेम्पक्रीट मोनोलिथिक दीवार भी बनाई है। साथ हीं पूरे घर (Hemp Eco-Stay) को प्लास्टर के लिए भी हेम्प का ही इस्तेमाल हुआ है। घर के कुछ जगहों पर हमने मिट्टी और हेम्प फाइबर को एक साथ मिलाकर इस्तेमाल किया है।

हेम्प-लाइम का उपयोग करके रूफ इंसुलेशन सिस्टम भी किया गया है तैयार

इस अनोखे दिखने वाले घर में हेम्प-लाइम का उपयोग करके रूफ इंसुलेशन सिस्टम भी तैयार किया है। यह रूफ इंसुलेशन सिस्टम सर्दियों के दौरान अंदर के भाग को गर्म और गर्मियों के दौरान ठंडा रखने में मदद करता है। साथ हीं यह प्राकृतिक रूप से हवा को साफ करने का भी काम करता है।

बता दें कि, इस घर के बाहरी पैनलों में चूना, कैल्शियम कार्बोनेट बनाने के लिए लगातार हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। इससे यह घर समय के साथ और मजबूत होता जाएगा। साथ हीं इसको इसप्रकार से तैयार किया गया है कि आग लगने जैसी दुर्घटना में भी सुरक्षित रह सकते हैं।

अब सरकार द्वारा उत्तराखंड में हेम्प के व्यावसायिक खेती की अनुमति दी गई है। यहां के किसानों को भी हेम्प की खेती के लिए, संबंधित जिला मजिस्ट्रेट से लाइसेंस लेना पड़ता है।

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