Wednesday, December 13, 2023

12वीं के बाद पढाई छोड़ 1500 पर नौकरी किये, आज खुद की हार्डवेयर कम्पनी पूरे भारत मे टॉप 10 में है

पिता के दिये नीति, नियत, परिश्रम और धैर्य के मंत्र को फ़ॉलो करते हुए राजस्थान के अलवर जिले के हिमांशु ने कठिन किंतु ईमानदारी भरा समय गुज़ारते हुए समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई और एक प्रेरणा स्रोत के रुप में उभर कर सामने आये हैं।

‘नीति, नियत, परिश्रम और धैर्य’ का मंत्र लिये समाज के लिए एक मिसाल बन चुके हैं सिलीगुड़ी के हिमांशु गोयल। राजस्थान के अलवर जिले में साल 1977 में जन्में हिमांशु आज एक जॉब सीकर से जॉब गीवर बन चुके हैं और भारत की जानी मानी फर्नीचर हार्डवेयर ‘कालकाजी एंटरप्राइज़ेज’ और ‘कालकाजी गलासेस प्राइवेट’ जैसी अपनी कंपनियों में सैंकड़ों लोगों को रोज़गार दे रहे हैं। लेकिन इस सफलता के पीछे बेहद कठिन व परिश्रम से भरा समय भी वो देख चुके हैं। इस लेख के माध्यम से हिमांशु की इंस्पीरेशनल स्टोरी को साझा करने की कोशिश आज The Logically कर रहा है !

Himanshu goyal Kalkaji enterprises

जीवन में हुआ कठिन समय से सामना

अपने छः भाई – बहनों में तीसरे हिमांशु ने अपने पिता के अच्छे चलते व्यवसाय में अचानक आये भारी नुकसान के बाद जीवन का एक कठिन दौर देखा। तब वह केवल दसवीं कक्षा में थे। इतना ही नही, बारहवीं कक्षा के बाद न केवल उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी बल्कि उन्होनें जीवन यापन के लिए मात्र 1500 रुपये महीना में अलवर की ही एक ग्रेनाइट फैक्टी में काम किया, जिसमें रहना और खाना शामिल था और उसमें से प्रति माह हिमांशु अपने लिए केवल 500 रुपये रख बाकी हज़ार रुपये अपने घर भेज दिया करते थे !

हिमांशु ने काम के लिए दिल्ली को भी अपनाया

The Logically से हुई बातचीत के दौरान हिमांशु बताते हैं कि – इसके बाद नौकरी पाने के लिए उन्होनें दिल्ली का रुख किया जहां 3000 रुपये महीनें पर डोर-टू-डोर सेल्समैन की नौकरी करते हुए इमरजेंसी लाइट बेचने का काम किया। इसके साथ-साथ हिमांशु ने रात 7 से 11 बजे तक 20 रुपये प्रति घंटे पर एक पिज़्जा डिलीवरी बॉय के रुप में भी काम किया यानि कमाई बढ़ाने के लिए उन्होने एक साथ दो जगह नौकरियां करीं।

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पिता के बिज़नैस इस्टैबलिशमैंट में सहायक बने हिमांशु

हिमांशु कहते हैं – “ साल 2002 से 2003 के बीच मेरे पिता ने सिलिगुड़ी में अपना फर्नीचर हार्डवेयर (फर्नीचर के लिए इस्तेमाल होने वाला रॉ मेटिरियल) का बिज़नैस स्टार्ट किया, जिसमें मैं दिल्ली में रहते हुए और अपनी दोनों जॉबस् करने के साथ ही उनकी हेल्प भी किया करता था, इसके बाद पिता के काम को और आगे बढ़ाने के लिए मैनें अपनी नौकरी छोड़ दी, इसी दौरान मेरे पिता ने भी 5000 रुपये महीना पर 6 महीने नौकरी की और 25000 रुपये की बचत पर अपनी तमाम जमा पूंजी लगाते हुए ‘कालकाजी एंटरप्राइज़ेज’ के नाम से यह व्यवसाय शुरु किया जोकि अच्छा चल निकला” इसके बाद साल 2006 में शादी होने के बाद हिमांशु भी सिलीगुड़ी में ही शिफ्ट हो गए। बाद में हिमांशु के साथ- साथ उनके दोनों छोटे भाई भी इसी बिज़नैस मे हाथ बटानें लगे।

मिरर फैक्ट्री स्टार्ट करने पर भी अजमाया हाथ

हिमाशुं की सैक्सस स्टोरी फर्नीचर हार्डवेयर बिज़नैस पर आकर ही नही थमी थी। वे बताते हैं कि – सिलिगुड़ी पहुंच उन्होनें एक मिरर फैक्ट्री(कालकाजी ग्लासेस प्राइवेट लिमिटेड) भी स्टार्ट की और आज यह फैक्ट्री भारत की टॉप 10 फैक्ट्रियों में से एक मानी जाती है, जहां 200 से भी अधिक कर्मचारी हैं। हिमांशु इस फैक्ट्री में एमडी की पोज़िशन पर हैं।

बाहरी देशों में भी विस्तार ले चुका है हिमांशु का बिज़नैस

The Logically के साथ शेयर करते हुए हिमांशु ने बताया कि – वर्तमान में उनका हार्डवेयर का व्यवसाय इंडिया के बाहर भी विस्तार ले चुका है जिसमे वे रॉ मैटरियल दूसरे मुल्कों में भेजते हैं। जिसके ऑफिस दिल्ली और कोलकात्ता मे हैं, जहां एक बड़े स्टाफ को नियुक्त किया हुआ है। अपने फ्यूचर प्लान बताते हुए हिमांशु कहते है कि साल 2021 में वे चाईना से आने वाले फ्रर्नीचर पार्टस् की अपने यहां शुरुआत भी करने वाले हैं।

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20 से 21 घंटे किया काम

अपने स्ट्रैगलिंग टाइम को याद करते हुए हिमांशु बताते हैं कि – कैसे तीन साल उन्होने एक दिन में 20 से 21 घंटे तक काम किया, हद तो वहां होती थी जब इतनी थकान के बाबजूद उन्हें नींद भी नही आ पाती थी। ऐसे में न केवल उनकी माँ को अपने गहने तक बेचने पड़े बल्कि उनका परिवार आटा छान कर निकली हुई छाजन से बना दलिया खाता था, इन तमाम विषम परिस्थितियों के बाद भी उनके परिवार ने आत्मसम्मान को आगे रखते हुए, किसी के आगे हाथ न फैलाते हुए और कठिन परिश्रम करते हुए केवल नीति, नियति, परिश्रम और धर्य में विश्वास बनाये रखा।

साथ काम करने वाले भी कर रहे हैं तरक्की

एंटरप्रिन्योर हिमांशु की मानें तो जो लोग उनके साथ पंद्रह सालों से काम कर रहे हैं उनमें से पाँच से छः लोग ऐसे भी है जो आज बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक बन चुके है। वर्तमान में उनकी ग्रुप कंपनिज़ एक बेहतरीन सालाना टर्न ओवर दे रही है।

मेडिकल लाइन में भी मददगार बने हिमांशु

वर्तमान में हिमांशु सिलिगुड़ी में ही कुछ ऐसी मेडिकल इंस्टीटियूशन से जुड़े हुए हैं जो फिज़ियोथैरेपी सेंटर और इम्यूनेशन सेंटर चलाते हैं। इतना ही नही, वे इसी साल अप्रैल तक एक ब्लड बैंक भी शुरु करने वाले हैं। इन एसोसिएशनस् में हिमांशु बतौर वाइस प्रैसिडेंट एक्टिव हैं। अपने स्वर्गवासी पिता को याद करते हुए भावुक हुए हिमांशु ने बताया कि उनके पिता 2015 में कैंसर की आखिरी स्टेज में थे जिसमें उनका इलाज संभव नही था और 2016 में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन वो चाहते थे कि जिन कैंसर मरीज़ों का इलाज संभव है उनकी मदद गोयल परिवार कर सके।

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लॉकडाउन में भी मददगार साबित हुए हिमांशु

लॉकडाउन में मसीहा बने हिमांशु ने न केवल अपने वर्क्स के लिए बल्कि प्रवासी मज़दूरों के लिए फूड पैक्ट भी बांटे, इसके लिए हिमांशु ने फेस बुक पर ऐसे लोगों के लिए एक मुहिम भी चलाई जो लोग ऐसे विपरित समय में भी मदद लेने से हिचक रहे थे। साथ ही साथ फ्री ब्लड बैंक भी प्रोवाइड करवाये। बात यहीं खत्म नही होती माँ कामाख्या के भक्त हिमांशु के परिवार का सदैव यह प्रयास रहता है कि सालाना अधिक से अधिक गरीब लड़कियों का विवाह कराने में वे सहायक बन सके। सराहनीय बात यह है कि कहीं भी हिंमाशु इन बातों के लिए कोई क्रेडिट लेना पंसद नही करते।

सेल्फ एसेसमैंट पर भी किया फोकस

हिमांशु बताते हैं कि –“लॉकडाउन का पीरियड मेरे लिए सेल्फ एसेसमैंट का वक्त रहा जिसमें मैनें ये जाना कि मैं 12 सालों में मैं कहां गलत था और अब कैसे उसे ठीक किया जाता है। इतना ही नही मैने हेल्थ इश्यू के चलते तेरह किलो तक वज़न भी कम किया और ये प्लानिंग भी की आने वाले 2021 को पिछले सालों में हुई ग़लतियों से सबक लेकर किस तरह बेहतर बनाया जा सकता है जो बेशक ही एग्ज़ीक्यूट भी होगी और सफलता हासिल होगी।

दोस्तों से अभी भी हैं संपर्क में

पिज़्जा हट में काम करने वाले दिनों को याद करते हुए हिमांशु ने बताया कि – “मै अपने मैनेजर से कहा करता था कि एक दिन मेरे पास आपसे ज़्यादा स्टाफ होगा”। जो बात बेशक ही सच भी हुई है, वह न केवल आज भी अपने दोस्तों से जुड़े हुए हैं बल्कि उनके कठिन समय में उनका साथ देने को हमेशा तैयार रहते हैं। वे कहते हैं अपने सह कर्मचारियों के कहने के बाबज़ूद भी काम और जीवन का अनुभव पाने के लिए नौकरी में नियुक्त समय से अधिक काम किया करते थे। किंतु इस दौरान कठिन परिश्रम करते हुए और उस वक्त को भी एक बोझ न मानते हुए नीति और नियत में अपना विश्वास कभी कम नही होने दिया, यही सीख मेरे पिता ने मुझे हमेशा दी।

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युवा पीढ़ी के लिए क्या कहते हैं हिमांशु

The Logically के माध्यम से युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए हिमांशु कहते हैं कि- ये ज़रुरी नही है कि आज आप जो सुखद जीवन जी रहे हैं वो हमेशा बना रहे आने वाला समय आपको टटोल सकता है कि आप उस जीवन के लायक हैं भी या नही। ऐसे में आपका केवल यह कर्तव्य बनता है कि अच्छी नियत के साथ खूब मेहनत करें, हारें नही, उस समय का सदुपयोग करें, उसका रिज़ल्ट आप यह देखेंगें कि आप पहले से भी ज़्यादा ऊंचाईंयां छू चुके हैं और वह भी स्थायी होंगी।

The Logically पर पब्लिश होने वाली सोशल इंस्पिरेशनल स्टोरिज़ की सराहना करते हुए हिमांशु ने कहा –“बेशक ही ये एक बेहतरीन प्लेटफार्म है जो समाज के ही भीतर बसी उन कहानियों से अवगत कराता है जिन्होनें विषम परिस्थियियों में भी धैर्य और परिश्रम को अपना सबसे बड़ा साथी समझा। The Logically भी उनके ‘नीति, नियत, परिश्रम और धैर्य’ वाले मंत्र की हमेशा प्रशंसा करता रहेगा।