Wednesday, December 13, 2023

जानिए रक्षा बंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं, ऐसे शुरू हुई थी राखी बांधने की परंपरा

पिछले कई दशकों से श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है, इसे भाई-बहनों का पर्व माना जाता हैं। अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार रक्षाबंधन के पर्व कई रूप में मनाया जाता हैं। इस पर्व का संबंध रक्षा से है, जिसमें बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांध कर आभार दर्शाती है।

रक्षा बंधन से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है। राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है। आज हम आपको रक्षा बंधन से जुड़ी कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के बारे में बताएंगे।

historical beliefs behind rakhi

देवताओं ने कि रक्षाबंधन पर्व की शुरूआत

जानकारों की माने तो राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार जमाने की कोशिश की थी। इससे घबराकर देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। विष्णुजी वामन ब्राम्हण का रूप रखकर राजा बलि से भिक्षा अर्चन के लिए पहुंचे। गुरु शुक्राचार्य के मना करने के बावजूद भी बलि अपने संकल्प को नहीं छोड़ा और तीन पग भूमि दान कर दी।

लक्ष्मीजी ने बलि को बनाया भाई

इस दान में वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। बलि भक्ति के बल पर विष्णुजी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया। ऐसे में नारद के कहने पर लक्ष्मीजी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बनाया।

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रक्षासूत्र के संकल्प में मांगा विष्णुजी को

रक्षासूत्र बंध कर लक्ष्मीजी बलि से संकल्प में विष्णुजी को मांग लिया और उन्हें अपने साथ ले आईं। कहते हैं कि उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ, जो आज भी चल रहा है। – historical beliefs behind rakhi

इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर बांधा रक्षासूत्र

रक्षाबंधन को लेकर यह भी मान्यता है कि जब देवों और दानवों के बीच संग्राम हुआ और दानवों को विजय की ओर बढ़ता देख राजा इंद्र बेहद परेशान थे। इंद्र को परेशान देखकर उनकी इंद्राणी ने भगवान की अराधना की। उनकी पूजा से प्रसन्न हो भगवान ने उन्हें मंत्रयुक्त धागा दिया, जिसे उन्होंने इंद्र की कलाई पर बांध दिया और इंद्र को विजय मिली। इस धागे को रक्षासूत्र का नाम दिया गया और आगे चल कर इसका नाम रक्षाबंधन हो गया।

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महाभारत काल से हुई रक्षाबंधन की शुरुआत

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि राखी की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्यौहार अपनी सेना के साथ मनाओ, जिससे पाण्डवों और उनकी सेना की रक्षा होगी। महाभारत में श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है।

द्रौपदी ने श्री कृष्ण को पहली बार बांधी रखी

इसके अलावा महाभारत में शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट लग गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। वह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था।

मान्यताओं के अनुसार उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ था, जो आज तक चल रहा है। – historical beliefs behind rakhi