Sunday, December 10, 2023

एक साधारण आईडिया से बन गई 1500 करोड़ की कम्पनी, जानिए Bisleri की सफलता की कहानी

‘जल’ प्रकृति की वह देन है, जो हर किसी के लिए बहुत उपयोगी है। अगर मिनरल वाटर के विषय में बात की जाए तो सबके जुबान पर बिसलेरी (Bisleri) का ही नाम आता है।- history behind bisleri bottle

कैसे हुई बिसलेरी की शुरुआत?

क्या आप जानते हैं कि बिसलेरी की कंपनी को शुरू करने में उसके मालिक को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था?

डॉक्टर को मिली कमान

Felice Bisleri एक इटैलियन बिजनेसमैन थे। उन्होंने बिसलेरी (Bisleri) की स्थापना की थी। जब Felice Bisleri की मृत्यु हो गई तब इस कम्पनी के मालिक उनके फैमिली डॉक्टर रोजिज बन गए। प्रारंभ में इस कंपनी में मलेरिया के ट्रीटमेंट के लिए औषधि का निर्माण किया था। – history behind bisleri bottle

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सफलता ही था लक्ष्य

उस वक्त इसकी एक शाखा मुंबई में थी। खुसरू सन्तुक के पिता इंडियन बिजनेस मैन थे और बिसलेरी कम्पनी के एडवाइजर हुआ करते थे। इसके अतिरिक्त वह रोजिज के बहुत करीबी मित्र भी थे। रोजिज का लक्ष्य था कि वह दिन इंडिया में अपने व्यापार को फैलाए और सफलता हासिल करें।

बिसलेरी वाटर प्लांट की स्थापना मुंबई के ठाणे में हुई

डॉ रोजीज इंडिया में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए खुसरू सन्तुक से बताया और वे मान गए। इसके उपरांत खुसरू सन्तुक ने साल 1965 में बिसलेरी वॉटर प्लांट (Bisleri Watar Plant) की स्थापना मुंबई के ठाणे क्षेत्र में की। – history behind bisleri bottle

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ऐसे आया पहला फॉर्मूला

इंडिया में सर्वप्रथम ब्रांडेड पानी की बिक्री का फार्मूला डॉक्टर रोजीज लेकर आए। इसकी बिक्री का श्रेय खुसरू सन्तुक को मिला। जब इसकी शुरुआत खुसरू ने की तो लोगों ने उन्हें पागल कहा, क्योंकि लोगों का यह मानना था कि यह कोई अच्छा बिजनेस नहीं।

एक रुपए में कौन खरीदेगा पानी?

इंडिया में एक रुपए पानी की बोतल कौन खरीदेगा? रोजीज ने मुंबई में पानी बेचने का निश्चय इसलिए किया क्योंकि उन्हें पता था कि मुंबई में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत है और उनका व्यापार यहां से आगे बढ़ सकता है। -history behind bisleri bottle

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शुरुआती दौर में सिर्फ रेस्तरां और होटलों में मिलता था बिसलेरी का पानी

शुरुआती दौर में इस कंपनी ने दो प्रोडक्ट का निर्माण किया था। एक बिसलेरी सोडा और दूसरा बिसलेरी वॉटर। ये दोनों प्रोडक्ट सिर्फ बड़े-बड़े होटलों और रेस्तरां में बिका करते थे।

आम लोगों तक बनी पहुंच

हालांकि धीरे-धीरे ये आम लोगों तक भी आ गए परंतु लोगों की ज्यादातर ख्वाहिश सोडा हुआ करती थी। लोग पानी कम खरीदते थे, तब खुसर को यह प्रतीत हुआ कि वे इस क्षेत्र में कामयाबी हासिल नहीं कर पा रहे तो उन्होंने कंपनी को बेचने का निश्चय किया। -history behind bisleri bottle

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बेच दी अपनी कम्पनी

“चौहान ब्रदर्स” पार्ले कंपनी के ओनर हैं। उन्हें जब ये पता चली कि बिसलेरी अपनी कंपनी बिकने वाली है, तो उन्होंने साल1969 में बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को लगभग 400000 रुपए देकर अपने नाम कर लिया।

लॉन्च हुई सोडा बॉटल

सन 1970 में रमेश चौहान ने पानी के दो ब्रांड स्टील और बबली के साथ बिसलेरी सोडा भी लांच की और कई सालों तक इस कम्पनी के नाम से इसकी विक्री हुई। आगे उन्होंने सॉफ्ट ड्रिंक लॉन्च किया जो कांच की बोतलों में हुआ करता था और पीने के उपरांत उन बोतलों को वापस करना पड़ता था। – history behind bisleri bottle

सार्वजनिक स्थानों पर किया पानी का डिस्ट्रीव्यूशन

कुछ वक्त बाद पार्ले की टीम को ये जानकारी हासिल हुई कि सार्वजनिक स्थान जैसे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, ढाबे और बहुत से स्थानों पर पानी की अशुद्धता के कारण अधिकतर लोग लंच सोडा खरीदते हैं। अब पार्ले में सार्वजनिक स्थानों पर अपने बिसलेरी पानी के डिसटीब्यूशन को बढ़ा दिया।

अपनाया नए तरीकों को

इस कंपनी ने पैकेजिंग एवं प्रमोशन के लिए नए तरीकों को अपनाया और यह आगे चलकर बहुत बड़ी सफलता हासिल कर पाई। – history behind bisleri bottle

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मार्केट में आई मिनरल वाटर की कम्पनी

वर्ष 1970 से लेकर 1999 तक भारत के मार्केट में बिसलेरी ने अपना कब्जा बनाए रखा। बिसलेरी की सफलता को बहुत से लोगों ने देखा तो उसकी सफलता से प्रेरित होकर वर्ष 2000 में एक्वाफ़िन और बेली और किलने नामक कंपनियों ने मिनरल वाटर के साथ बाजार में छलांग लगाई।

मिली अच्छी टक्कर

बिसलेरी ने उन्हें टक्कर देने के लिए बिसलेरी के विभिन्न आकार और पैकेजिंग को आकर्षक बनाया जिस कारण उसकी सफलता को कोई छीन नहीं पाया। – history behind bisleri bottle

अपनी अपार सफलता के बाद वर्ष 2003 में बिसलेरी ने यूरोप में अपने व्यापार की घोषणा की। वर्तमान में बिसलेरी प्रतिदिन 2 करोड़ लीटर से अधिक पानी बेचती है और 4 लाख के करीब रिटेलर्स तक पहुंच रहा है। – history behind bisleri bottle

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