अगर कृषि के क्षेत्र की बात की जाए तो उसमें भी किसानों के पास कई विकल्प हैं। अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए वह अपनी खेती के अलावा मछली पालन कर अपने आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते हैं। मछलीपालन अब काफी ज्यादा विकसित हो चुका है और यह एक अच्छा बिजनेस का भी रूप ले चुका है। यही वजह है कि अब किसान मछली पालन जैसे कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
मछली पालन के कार्य में मुनाफा पूरी तरह मछलियों के उत्पादन पर ही निर्भर करता है इसलिए मछली पालन का उत्पादन बढाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि मिश्रित मछली पालन। यह एक ऐसा तकनीक है जिसके जरिए एक मछली पालक पांच गुना अधिक उत्पादन कर सकते हैं। – Farmers can earn more by doing fish farming as compared to other farming.
- मिश्रित मछली में कार्प मछली और कैट फिश का पालन
आज हम आपको मिश्रित मछली पालन तकनीक के बारे में बताएंगे, जिससे आपको अच्छी कमाई हो सकती है। मिश्रित मछली पालन में अलग-अलग प्रकार की मछलियों का पालन किया जाता है। इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि चयन की गई मछलियां तालाब में उपलब्ध सभी भोज्य पदार्थों एवं पूर्ण जलक्षेत्र का अधिकतम प्रयोग कर सकें। इसलिए उन मछलियों का ही चयन करें, जो ऐसे वातावरण में रह सकती हो। जानकारों के अनुसार मिश्रित मछली पालन में कार्प मछली और कैट फिश को एक साथ पाला जाता है। कार्प मछली के अंतर्गत रोहू, कतला, मृगल और बिग हैड मछलियां आती हैं। केट फिश के प्रजाति में पंगास मछली का पालन किया जाता है।
- मिश्रित मछली पालन के लिए तालाब की तैयारी
यह आम भाषा में मिश्रित खेती जैसा ही होती हैं, जहां एक खेत में कई प्रकार की फसलों को एक साथ उगाया जाता है। यहां एक साथ कई प्रकार के मछलियों का उत्पादन किया जाता है। मिश्रित मछली पालन में उत्पादन के साथ ही आमदनी भी कई गुना बढ़ जाती है। हालांकि मिश्रित मछली पालन शुरू करने से तालाब को अच्छी तरह तैयार किया जाता है, जिससे मछलियों के संचयन में कोई समस्या ना आए। इसके लिए सबसे जरूरी है, जिस तालाब में आप मिश्रित मछली पालन शुरू करना चाहते हैं उसके सभी बांध मजबूत और पानी के आने का रास्ता सुरक्षित होना चाहिए ताकि बारिश के मौसम में तालाब को नुकसान नहीं पहुंचे। साथ ही इसका खास ख्याल रखना जरूरी है कि तालाब में बाहर की मछली ना आए और ना तालाब की मछली बाहर जाए। साथ ही समय-समय पर तालाब को साफ कराना भी बहुत जरूरी है क्योंकि उसमें पैदा होने वाले पौधे मछलियों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
- शाकाहारी मछलियों के साथ मांसाहारी मछलियों ना पाले
तालाब में मछलियों को डालते समय यह ध्यान रखें कि शाकाहारी मछलियों के साथ मांसाहारी मछलियां ना रहे। अगर आपके तालाब में बोआरी, टेंगरा, गरई सौरा, कवई बुल्ला, पबदा, मांगुर आदि मांसाहारी मछलियां हैं तो उन्हें तालाब से बाहर निकाल दें। तालाब में जाल बिछाकर आसानी से मांसाहारी मछलियों को उनमें से चुनकर बाहर निकाला जा सकता है। तालाब के पानी को थोड़ा क्षारीय होना मछली की वृद्धि एवं स्वास्थ्य हेतु अच्छा होता है।
जानकारों के अनुसार 100 किलोग्राम भाखरा चूना का प्रति एकड़ जलक्षेत्र में छिडक़ाव मत्स्य बीज संचयन के करीब 10 से 15 दिन पहले कर दिया जाना चाहिए। 50 चूना का प्रयोग सर्दी शुरू होने एवं 50 कि.ग्रा. चूना का प्रयोग गर्मी के मौसम प्रारंभ होने पर करना अच्छा रहता है। हालंकि अधिक अम्लीय जल वाले तालाबों में और भी अधिक भखरा चूना की आवश्यकता होती है। – Farmers can earn more by doing fish farming as compared to other farming.
- तालाब के पानी का पीएच मान 7.5 से 8.0 होना चाहिए
मछली पालन किए जाने वाले तालाब के पानी का पीएच मान 7.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए क्योंकि पानी का पीएच कम है तो पानी में चूने की मात्रा बढ़ाने लगाता है। पानी की क्षारीयता की जांच किसी भी बाजार में उपलब्ध पी.एच. पत्र या यूनिवर्सल इंडिकेटर सौल्यूशन द्वारा आसानी से की जा सकती है। भारतीय मछलियों में कतला, रोहू तथा मृगल और विदेशी कार्प मछलियों में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प को एक साथ संचयन किया जाना अधिक लाभकारी है। आम व्यक्तियों की ही तरह मछलियों के भी अलग-अलग किस्मों के भोजन की आदत अलग-अलग होती है इसलिए मछली का चयन करते समय इस पर ध्यान रखें कि किन मछलियों को क्या भोजन चहिए। हर मछली को अलग तरह का भोजन चाहिए और इसका ख्याल रखना बहुत जरूरी है।
- 20 हजार प्रति हैक्टेयर की दर से तालाब में डाल सकते हैं मछलियां
जानकारों का कहना हैं कि 2000 से 2500 की संख्या में 3″ से 4″ आकार के मत्स्य बीज अंगुलिका/ इयर लिंग या 5000 से 6000 की संख्या में 1″ से 2″ आकार के मत्स्य बीज प्रति एकड़ जलक्षेत्र के दर में डालें। मिश्रित मछली पालन के तहत तीन भारतीय किस्म की मछलियां क्रमश हैं, जिसमें कामन कार्प, ग्रास कार्प तथा सिल्वर कार्प हैं।
इन मछली बीज को हरियाणा राज्य में 20 हजार प्रति हैक्टेयर की दर से तालाब में डाला जाता है। आप एक साथ छह प्रकार की मछलियों के बीज अनुपात में डाल सकते हैं, तो इससे लगभग 6 से 9 हजार किलोग्राम प्रति हैक्टेयर प्रति वर्ष उत्पादन कर सकते हैं। इसके लिए एक रेश्यो होना जरूरी है जैसे कि कतला मछली 10 प्रतिशत अनुपात में बीज संख्या 2 हजार, राहू 25 प्रतिशत अनुपात में बीज संख्या 5 हजार, मिर्गल 10 प्रतिशत बीज संख्या 2 हजार, कामन कार्प 20 प्रतिशत बीज संख्या 4 हजार, ग्रास कार्प 10 प्रतिशत बीज संख्या 2 हजार, सिल्वर कार्प 25 प्रतिशत बीज संख्या 5 हजार प्रति हैक्टैयर के हिसाब से रखनी चाहिए। – Farmers can earn more by doing fish farming as compared to other farming.
आम भाषा में कहे तो कुल बीज संख्या 20 हजार प्रति हैक्टेयर रखनी चाहिए। ग्रास कार्प और सिल्वर कार्प का बीज मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में अगर आप बकीर के चार प्रजाति कतला, राहू, मिर्गल और कामन कार्प का संचयन कर सकते हैं तो इसके लिए कतला का 40 प्रतिशत यानि 8 हजार बीज, राहू 30 प्रतिशत 6 हजार बीज, मिर्गल 15 प्रतिशत 3 हजार बीज, कामन कार्प 15 प्रतिशत, बीज संख्या 3 हजार तक रखें जाने चाहिए। इसमें कुल 20 हजार मछली के बीज होने चहिए। इस दौरान तालाब में पाए जानें वाले उपलब्ध प्राकृतिक भोज्य पदार्थों का सेवन मछलियां ही करती हैं। बता दें कि ग्रास कार्प जैसी मछलियों का मल तालाब उर्वरीकरण के लिए खाद के रूप में काम आता है।
- इस तरह दें मछलियों को भोजन
मछली पालन का सबसे जरूरी काम है मछलियों के लिए भोजन तैयार करना। इसके लिए मुख्य रूप से चावल की भूसी तथा सरसों की खल का प्रयोग किया जाता है। साथ ही इसमें कुछ मात्रा में मछली का चूरा मिलाया जाता है, जिससे इसका पौष्टिक तत्व बढ़ जाता हैं। यह मछलियों के लिए ना केवल पौष्टिक होता है बल्कि इसे वह मन से खाना पसंद भी करती है। ग्रास कार्प मछली को छोडक़र बाकी बचे पांच प्रकार की मछलियों के लिए इस कृत्रिम आहार का प्रयोग किया जा सकता है, जबकि ग्रास कार्प को अलग भोजन की जरुरत होती है। इसके लिए आहार अतिरिक्त आहार के रूप में हाइड्रिला और वेलिसनेरिया आदि पानी के पौधे तथा दूसरा चारा जैसे बरसीन आदि का प्रयोग किया जाता है। मछलियों के लिए बनाए गए भोजन को एक समय पर हर रोज सुबह तालाब में डाला जाता है। बता दें कि यह भोजन कुल मछलियों के वजन के 5 प्रतिशत की दर से दी जाती है।
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- एक एकड में 5-8लाख रुपए की कमाई
विशेषज्ञ बताते हैं कि शुरूआत में मछलियोंं की खुराक को दो किलोग्राम प्रतिदिन के हिसाब से देना चाहिए और प्रतिदिन इसकी मात्रा 2 किलोग्राम बढ़ाते रहना चाहिए। तालाब में कुल मछलियों को भोजन मिल पाए इसके लिए हर 15 दिन के बाद तालाब में मछलियों की कुल संख्या वजन कर ले। बता दें कि मिश्रित मछली पालन विधि में किसान एक तालाब में साल में दो बार उत्पादन तैयार कर सकते है।
जानकारों के अनुसार एक एकड़ में मछली पालन करके किसान 16-20 टन उत्पादन तैयार कर सकते हैं। एक एकड़ के तालाब में मछली पालन करके एक साल में पांच से आठ लाख रुपए की कमाई की जा सकती है, जो किसी अन्य खेती में पाए जाने वाले मुनाफे से कई गुना ज्यादा है। – Farmers can earn more by doing fish farming as compared to other farming.