अगर हम खेती के विषय में बात करें तो इससे अधिक-से-अधिक लाभ कमाया जा सकता है। ये हमारे किसानों के ऊपर निर्भर करता है कि उसे अपने खेतों में किस पद्धति को अपनाना है और किस फसल की बुआई करनी है??
खेती से जुड़ी आज की हमारी यह कहानी ऐसे फसल की है जिसकी बुआई से आप लाखों रुपए कमा सकते हैं। वैसे तो ये एक जंगली पौधा है और ये बरसात के मौसम में स्वतः उग जाता है परन्तु अगर आप इसकी बुआई और उत्पादन के तरीके जान गए तो अच्छी कमाई कर सकते हैं।
ककोड़ा की खेती
वह फसल है ककोड़ा (Spiny gourd) जिसे लोग खेक्शी भी कहते हैं। वैसे तो बहुत कम लोग इसके विषय में जानते क्योंकि लोग इसे जंगली पौधा मानते हैं। ये बरसात के मौसम में ग्रमीण इलाकों में देखने को मिलता है। लेकिन जब लोगों को इसके लाभ के विषय में जानकारी मिली कि इसके अनेकों लाभ हैं और इसकी खेती से हर माह लाखों रुपए कमाया जा सकता है तो इसकी खेती प्रारंभ कर दी गई। अगर आप इसकी बुआई एक बार कर देते हैं तो यह लगभग 10 वर्षों तक आपको फल देगा। इसमें बहुत से औषधीय गुण समाहित होते हैं जो कफ, खासी, बवासीर, हृदय में दर्द और अरुचि, वात आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। अगर आपको मधुमेह की बीमारी है और आप इसका सेवन करते हैं तो इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा। -Benefits of Kakoda Farming
मार्केट में बिकता है बहुत महंगा
अगर हम इसके बाजार भाव की बात करें तो यह 90 से 100 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है और मार्केट में इसका खूब डिमांड है। आप चाहें तो इसे सब्जी के तौर पर सेवन कर सकते हैं या फिर अगर आपको अचार खाना बेहद पसंद है तो आप इसका आचार भी बना सकते हैं। यह दोनों तौर पर आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा हालांकि अचार के दौरान आपको ज्यादा तेल की मात्रा नहीं डालनी है क्योंकि इससे आपके शरीर को हानि पहुंच सकती है। -Benefits of Kakoda Farming
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रखें जलवायु का ध्यान
ककोड़ा की खेती के विषय में बात करें तो इसके लिए गर्म तथा नर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधे लगाने से पूर्व यहां की जलवायु 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड होनी चाहिए। आप चाहे तो किसी भी प्रकार की मिट्टी में खेती खेती कर सकते हैं परंतु रेतीली मिट्टी काफी उपयोगी मानी जाती है। खेती करने के दौरान आप यह ध्यान रखें कि वहां का पीएच मान 6-7 तक हो। -Benefits of Kakoda Farming
ककोड़ा की निम्न किस्में
• अम्बिका -12-1
• अंबिका -12-2
• इंदिरा ककोड़ा
• अम्बिका ककोड़ा-12-3
ऐसे करें खेत तैयार
अगर आप काकोड़ा की बुआई करना चाहते हैं तो इससे पहले इस खेत की जुताई करें एवं जो भी अवशेष बचे हैं उसे अच्छी तरह बाहर निकाल दें। फिर सिंचाई करके कुछ दिनों के लिए छोड़ दें। पानी जब अच्छी तरह सूख जाए तो इसकी एक बार जुताई करें और इसे समतल बनाएं। समतल हो जाने के बाद इसमें गड्ढे तैयार करें ताकि पौधों की बुआई की जा सके। अब हर एक एक गड्ढे में एक एक पौधे को लगाए। पौधों के बीच की दूरी लगभग 2 से 4 फिट होनी चाहिए ताकि इनका अच्छी तरह ग्रोथ हो सके। -Benefits of Kakoda Farming
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रखें उर्वरक तथा सिंचाई का ध्यान
आपको इस बात का ध्यान रखना है कि पौधे लगाने से पहले जब आपने जुताई की है उसी दौरान आप दो से ढाई क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जैविक कंपोस्ट यानी गोबर की खाद का छिड़काव अपने खेतों में कर दें। आप चाहे तो यूरिया एमओपी, एसएसपी का भी चयन कर सकते हैं परंतु जैविक कंपोस्ट बेहतर माना जाता है। फसलों की बुआई के बाद आप इसकी हल्की सिंचाई कर दें। ध्यान रहे कि अगर मौसम बरसात का है तो आपको सिंचाई नहीं करना है और इस बात का ध्यान रखना है कि पानी खेत में इकट्ठा ना हो और वह बाहर निकल जाए। समय-समय पर कीटनाशक का भी छिड़काव करते रहें। -Benefits of Kakoda Farming
सपोर्ट के लिए करें बांस का उपयोग
अगर आप चाहते हैं कि आप के पौधे अधिक फल दे तो इसके लिए आपने सपोर्ट के तौर पर बांस की लकड़ी का सहारा दे सकते हैं। आप चाहें तो लोहे तथा अन्य चीजों का एंगल बना कर भी उन्हें सपोर्ट के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। इससे आपका पौधा अधिक फल देगा जिसे आप अधिक पैसे कमाएंगे। -Benefits of Kakoda Farming
कब करें कटाई
वैसे तो आप ककोड़ा की बुआई के मात्र 3 माह बाद भी इसे तोड़ सकते हैं लेकिन इसका उपयोग सब्जी के तौर पर ही होगा क्योंकि ये काफी नाजुक है। परंतु अगर आप अच्छी गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करना चाहते हैं इसके लिए आपको अपने फसल की कटाई लगभग 1 साल के बाद करनी चाहिए। हालांकि आप फलों को तोड़कर उन्हें बेच सकते हैं क्योंकि वे फिर तैयार हो जाएंगे। -Benefits of Kakoda Farming