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जानिए कि पूजा-पाठ में उपयोग होने वाले कपूर को कैसे बनाया जाता है

Camphor Making Machin

हमारा देश भारत एक आध्यात्मिक देश हैं जहां घर में हर रोज पूजा पाठ होता है और उन पूजा पाठों में कई तरह की सामग्री का उपयोग किया जाता है। उन्हीं सामग्री में से एक है कपूर। हम लोग हर दिन पूजा पाठ में और भगवान के आरती करने में कपूर का उपयोग करते हैं। परंतु कभी आपने यह जाना है कि कपूर कैसे बनाई जाती है। तो आज हम आपको पूजा-पाठ में उपयोग होने वाले कपूर के बारे में बताएंगे।

कपूर को बनाने के लिए किसी केमिकल की आवश्यकता नहीं होती। यह एक तरह का पेड़ की लकड़ियों से बनता है। यह कपूर ताल चीनी की प्रजाति के पौधे सिनोमोमम कैफिरा नाम के पेड़ से बनाया जाता है। यह पेड़ भारत, जापान, चीन जैसे देशों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। आपको बता दें कि जापान में फिलहाल अभी भी एक हजार साल पुराना पेड़ जीवित हैं। कपूर को इसी कैमफेरा पेड़ या इन्हीं की प्रजातियों से बनाए जाता है। इस पेड़ की खास बात यह है कि अगर आप इस पेड़ के नजदीक जाएंगे तो इसे पेड़ से आपको कपूर की सुगंध आएगी।

इस कपूर को बनाने के लिए सबसे पहले कैमफेरा पेड़ या उनकी जो प्रजातियां होती है। उसके टहनियों और डालियों को काट लिया जा जाता है। इसके बाद इन सभी लकड़ियों को काफी अच्छी तरह सुखा लिया जाता है। इन लकड़ियों को इस तरह सुखा जाता है कि इन लकड़ियों हो में जो नमी बची रहती है वह सारी की सारी नमी खत्म हो जाए। इसके बाद जब लकड़ी अच्छी तरह से सुख जाती है तब इन लकड़ियों के ऊपरी छाल को हटा दिया जाता है। इसके बाद इन सभी लकड़ियों को छोटे छोटे ब्लॉकस में काट लिया जाता है। फिर इन लकड़ियों के ब्लॉक्स को मशीन के द्वारा घिस कर छोटे-छोटे टुकडे को चिप्स के रुप में बना दिया जाता है। इस से जुड़ी एक वीडियो भी साझा कर रहे हैं जिससे समझने में आप को आसानी होगी

वीडियो यहाँ देखें:-👇👇

इन सभी ब्लॉक्स को चिपके रूप में बना देने के बाद इसे एक बड़ी से बर्तन में डालकर इसे गर्म किया जाता है। इन सभी चिप्स को डाल देने के बाद उस बर्तन को ऊपर से बंद कर दिया जाता है ताकि उसका धुआं बाहर ना निकल सके। जिस बर्तन में चिप्स को डाला जाता है उस बर्तन से एक पाइप लगा होता है जो सीधा कूलर में लगा होता है। जब लकड़ी गर्म होकर धुआं छोड़ने लगती है तब वह धुआं पाइप से होकर के कूलर में जमा होता रहता है। इसके बाद जब कूलर को खोला जाता है तो वह धुआं ठंडा हो करके क्रिस्टलाइज हो जाता है। और यही कपूर क्रिस्टल कपूर होता है। इसके नीचे कपूर का तेल जमा हो जाता है। जो बाजारों में एरोमा ऑयल के नाम से बाजारों में बिकता है। इसके बाद कूलर में जो क्रिस्टलाइज कपूर बनता है उसे छानी से बाहर निकला जाता है। जिसे तेल नीचे जमा हो जाए और क्रिस्टलाइज कपूर ही बाहर आए इसके बाद दिन सभी क्रिस्टलाइज कपूर को एक बर्तन में रख दिया जाता है। जिससे इस कपूर में जो थोड़ा बहुत तो बचा हुआ तेल है वो रिसकर बाहर निकल जाए और सूखा कपूर अलग हो जाता है।

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इसके बाद इन सभी सुखी हुई कपूर को एक मशीन में डाल दिया जाता है और इसे अच्छी तरह से पिसा जाता है। और पिस कर पाउडर बना दिया जाता है। इसके बाद इस पाउडर को एक कैम्पर मेकिंग मशीन में डाल दिया जाता है इसके बाद मशीन को ऑन करने पर मशीन आटोमेटिक कपूर पाउडर को कपूर टैबलेट में बदल देता है। यह मशीन काफी तेज से कपूर पाउडर को कपूर टैबलेट में आसानी से बदल देता है।

आजकल बजारों में कपूर के पाउडर मिलते हैं जिसे लोग इस पाउडर को खरीद कर इस पाउडर को टेबलेट में बदल कर अपना व्यवसाय भी करते हैं। यह कैम्पर मेकिंग मसीन एक ऐसा मशीन है जो कम खर्च में हर साइज के कपूर बना देता है। इसके बाद इन कपूर के टैबलेट को पैक किया जाता है इसके बाद इसे बजारों में भेज दिया जाता है और हम लोग इसी कपूर को अपने पूजा पाठ करने के इस्तेमाल में लाते हैं

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