Tuesday, December 12, 2023

अगर आपके भी नींबू के पौधे मर रहे हैं तो इन टिप्स को अपनाकर उसे बचाएं, हरा-भरा होने के साथ फल भी बेहतर आएगा

आजकल लोगों में बागवानी को लेकर अधिक जागरूकता देखने को मिल रही है। लोग अपने उपयोगानुसार फल तथा सब्जियों को स्यवं ही तैयार करने के लिए बहुत से तरकीब अपना रहें हैं और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर अन्य लोगों को इससे जोड़ भी रहे हैं।

कुछ लोग स्यवं बीज की बुआई कर पौधे तैयार कर ले रहे हैं तो कुछ नर्सरी से पौधों को खरीदकर उन्हें अपने बागवानी में लगा रहे हैं। अक्सर हम सभी नर्सरी से स्वस्थ पौधे ही खरीदकर लाते हैं लेकिन कुछ ही दिनों के उपरांत वह सुख जाता है। ऐसे में हमें निराशा हाथ लगती है और थोड़ा मनोबल भी टूट जाता है। नींबू के पौधे के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है।

अगर आप भी ये जानना चाहते हैं कि आखिर आपका पौधा कुछ महीनों तक स्वस्थ रहने के बाद क्यों सुख जाता है तो हमारे लेख पर बने रहें। इस लेख द्वारा आप ये पढ़ेंगे कि आखिर पौधों के सूखने में कौन-कौन से कारण हैं और क्या आप उन सूखे पौधों को फिर से जीवित कर सकते हैं?? इसके साथ ही आपके समक्ष एक वीडियो साझा करेंगे जिसमें आप पौधों में होने वाली बीमारी और उनके निजात की जानकारी अच्छी तरह देखते हुए समझ पाएंगे। तो चलिए बिना विलम्ब किए जानते हैं इसके विषय में विस्तार से……

पौधों के अचानक सूखने के निम्न कारण

  • रिपॉटिंग शॉक
  • खराब मिट्टी
  • अत्यधिक धूप
  • धूप न मिलना
  • ज्यादा या फिर कम सिंचाई करना
  • न्यूट्रिशन की कमी
  • कोई बीमारी

उपर्योक्त कारणों में कॉमन कारण है अत्यधिक पानी (Over watering)। ओवर वाटरिंग के कारण पौधों में रूट रॉट (Root Rot) और पूअर सॉयल (Poor Soil) जैसी प्रॉब्लम हो जाती है। ये कहानी निम्बू के पौधे की है लेकिन आपके गार्डंन में लगे हर पौधे में ये समस्या हो सकती है। अगर ऐसी प्रॉब्लम हो तो आप अपने पौधे को गमलें से बाहर निकाल लें। लेकिन अगर आप इसे ऐसे ही छोड़ दें तो आपका पौधा सुख जाएगा।

यह भी पढ़ें:-Ritika Jindal : पिता को थी कैंसर की बिमारी लेकिन नहीं मानी हार, कठिन परिश्रम से 22 वर्ष की उम्र बनी IAS

ऐसे करें मृत ब्रांच की पहचान

पहले स्टेप में आप इस पौधे को लें और चेक करें कि क्या इसके अंदर के भाग जिंदा है और ये कहां तक हरा-भरा है?? अगर आपके पौधे के तने अंदर से हरे हैं तो आप इसे फिर से हरा-भरा कर सकते हैं। अगर शाखाएं मोटी हैं तो आप इसे नाखून से खरोचकर पहचान सकते हैं कि ये हरा है या नहीं। लेकिन अगर ब्रांच पतली है तो आप इसे शार्प कटर से काटकर पहचान सकते हैं कि ये मृत है या जीवित। अब आप सारे सूखे हुए ब्रांच को काट लें और पौधे से हटा दें।

दूसरे स्टेप में आपको इस पौधे के जड़ का निरीक्षण करना है ताकि पता चल जाए कि इसे रूट रॉट तो नहीं हुआ। इसके लिए आप सावधानीपूर्वक अपने पौधे को गमले से बाहर निकालें। इससे पूर्व आप दो दिन पहले से ही इस गमले मे पानी ना डालें ताकि मिट्टी सुख जाए और आप इसे आसानी से बाहर निकाल सकें। रूट का ट्रीटमेंट आपको फरवरी से अप्रैल माह तक करना है भूलकर भी गर्मियों में आप इस कार्य को ना करें।

ऐसे करें हेल्दी फीडर रूट की पहचान

जब आप इसे रूट बॉल के साथ बाहर निकाल लें तो इसके जड़ो में देखें कि कहां-कहां फंगस लगे हुए हैं। अब आप इसमे से हल्की मिट्टी को हटा दें। फिर सावधानीपूर्वक इस पौधे के जड़ से तमाम मिट्टी को हटा दें। इसके लिए आप इसे पानी में डालकर छोड़ दें ताकि यह पूरी तरह साफ हो जाए। अब आप इसमे सफेद रंग का जड़ देखेंगे जो हेल्दी फीडर रूट है और इसी के मदद से आपके पौधे फिर से तैयार होंगे।

वीडियो यहाँ देखें:-👇👇

तीसरे स्टेप में आप जड़ो की बीमारियों को पहचानकर उन्हें अब शार्प कटर की मदद से काटकर बाहर निकाल दें। जो भी हेल्दी रूट्स है उसे आप रहने दें। लेकिन अगर आपने इसे ऐसे ही लगा दिया तो ये फिर से खराब हो सकता है। इसलिए आप इसे एंटी फंगल ट्रीटमेंट करिए ताकि इसमें लगे कीटाणु पूरी तरह नष्ट हो जाएं। इसके लिए आप हाइड्रोजन पेरॉक्साइड 3% तथा 1 चम्मच साफ फंजिसाइड पाउडर को पानी में मिलाकर जड़ों को इसमें डूबा दें और कुछ देर के लिए छोड़ दें। अगर आपने गमले में किसी पौधे को ना लगाकर मिट्टी में लगाया है तो उसके लिए भी आप ये ट्रिक अपना सकते हैं। आप इसके मिश्रण को तैयार कर जड़ों के नीचे डाल दें।

पौधे को करें रिपॉट

चौथे स्टेप में आपको अपने पौधे रिपॉटिंग करना है। इसके लिए आप गमले को अच्छी तरह साफ कर लें। आप चाहें तो नए गमलें का भी चयन कर सकते हैं। अब आप मिट्टी का निर्माण करें जिसके लिए 50% मिट्टी तथा 50% नदी की बालू को अच्छी तरह मिश्रित कर लें। आप गमलें मे ड्रेनेज होल अवश्य बनाए ताकि पौधा पानी के वजह से सड़ जाए। अब आप इसे गमलें में भर लें और पौधे को लगा दें। आप जड़ों के आस पास फंजिसाइड पाउडर को मिला लें ताकि यहां कोई कीड़े ना लगे।

यह भी पढ़ें:-बचपन में ही छूटा पिता का साथ, माँ ने पाल-पोष कर बड़ा किया, अब 19 वर्ष की उम्र में खेलो इंडिया में जीता गोल्ड मेडल

पर्याप्त मात्रा में दें धूप

अब आप इसकी सिंचाई कर लें और छायादार जगह में रख दें। लेकिन ध्यान रहे आपको इस पौधे को सुबह के 3-4 घण्टे की धूप में रखना है। अब जब इसकी मिट्टी सुख जाए तो आप इसकी सिंचाई करें। 48 दिनों के उपरांत आप इसमे परिवर्तन देख सकते हैं। वही 9 माह के बाद आप ये देखेंगे कि इसमे किस तरह फूल आने लगे हैं लेकिन ये जल्द ही गिर जाएगा क्योंकि इसमें बहुत सारे तने हैं। अब आप पतले और अधिक तनों को काटकर बाहर निकाल लें। फिर आप 10 माह के बाद ये देखेंगे कि पौधा काफी घना और फूलदार हो चुका है।

लगभग 2 वर्ष में होगा पौधा जीवित

अब आप इसका ध्यान रखते रहें तो यह मात्र कुछ ही माह में फल देने लगेगा। 17 माह के बाद ये पूरी तरह फल से लदा और पका हुआ दिखेगा। अब आप इसकी हार्वेस्टिंग कर सकते हैं। ये ही प्रक्रिया आप किसी भी पौधों के साथ कर सकते हैं और उन्हें फिर से हरा-भरा बना सकते हैं। अगर आप पौधों को नर्सरी से खरीदकर लाते हैं और इसकी रिपॉटिंग करना है तो इससे पौधे शॉक में चले जाते हैं और ये सुख जाता है। इसलिए आप पौधों की रिपॉटिंग उसके अनुकूल ही करें ताकि ये हरा भरा रहे और आपको की खुशी मिले।

जब पौधों में वायरस अटैक होता है तब ही पौधे मर जाते हैं। पौधों को वायरस से अटैक हुए इस पौधे को आप बचा नहीं सकते इसलिए आप इसके पास के पौधों को वहां से हटाकर या फिर इसे वहां से उखाड़कर बचा सकते हैं। कभी-कभी अधिक खाद देने के वजह से भी पौधे सूखने लगते हैं या फिर पत्तियों में होने वाली बीमारियों से भी ये पौधे सुख जाते हैं। अगर पौधों की जड़ें गमलें के आकर से अधिक होने लगे तो भी पौधे सूखने लगते है इसलिए आप इसे उखाड़कर कहीं और ट्रांसप्लांट कर लें तो ये ठीक हो जाएगा।

हमें उम्मीद है कि हमारे लेख द्वारा दी गई जानकारी हमारे पाठकों को पसन्द आएगा और वे भी इस प्रक्रिया को अपनाकर मृत पौधों को जीवित करने में कामयाब होंगे। साथ ही वह इस जानकारी को अन्य लोगों के साथ साझा भी करेंगे।