हर इंसान के ज़िंदगी में एक ऐसा वक़्त आता है जब उसे अपनी ज़िंदगी में सफल व्यक्ति बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आखिरकार वह एक दिन अपने जीत का परचम पूरी दुनिया में लहराता है। अगर आपको किसी चीज़ में बदलाव लाना है तो पहले आप अपने नजरिये को बदलिये फिर देखिये आप को उसमें बदलाव ज़रूर दिखेगा। हम जिस कचरे को फेंक देते हैं, उसी से हृदेश लोहिया ने अपना कारोबार फैला रखा है, जो सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।
आज हम बात करेंगे एक ऐसे इंसान की जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर उन चीजों से तय किया जिसका इस्तेमाल कर हम बाहर फेंक देते है, जो हमारे और आपके लिए किसी काम का नही! जी हाँ! हम बात कर रहे हैं कूड़े-कचरे के व्यव्साय के बारे में। जिसे एक अलग रूप देकर उसे नया बनाकर व्यवसाय करने वाले उधमी की। इन कबाड़ो से अपना जीवन बेहतर करने वाले “हृतेष लोहिया” जो पश्चिमी राजस्थान के रहने वाले हैं। इन्होंने अपने वव्यापार को 40 देशों में फैला रखा है।
हृतेष लोहिया का परिचय
39 बर्षीय हृतेष लोहिया (Hritesh Lohiya) ने 2009 मे अपनी पत्नी के सहयोग से छोटा सा “प्रोडक्शन यूनिट” के जरिये व्यापार शुरू किया। जिसमें कबाड़ से कुर्सी, मेज, सोफा अलमारी, स्टूल आदि के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया। शुरुआती दौर में उनका कारोबार लगभग 16 करोड़ का हुआ था। लेकिन उन्होंने अपने कारोबार को वर्तमान में 40 देशों में फैला रखा है जिससे उन्हें लगभग 45 करोड़ का टर्नओवर होता है। ये अपना व्यवसाय ऑस्ट्रेलिया, चाइना, अमेरिका और जापान जैसे अन्य देशों में कर रहें हैं।
जोधपुर में इस व्यापार को सभी गरीब परिवार ने अपनाया है
हृतेष ( Hritesh) के इस कार्य को जोधपुर में हर व्यक्ति ने बहुत पसंद किया है और इस कार्य को अपनाया भी है। वहां के लगभग 2000 गरीब परिवार कूड़े-कचरे के व्यापार से अपना घर, अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। युवा वर्ग के लगभग 6 से अधिक व्यापारी भी इस कार्य से जुड़कर अपना भविष्य सफल बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस व्यापार में उन्होंने ग़रीब और अनपढ़ व्यक्तियों को काम दिया है।
पहले भी व्यापार किया लेकिन उसमे असफलता हासिल हुई
हृतेष ने आर्थिक स्थिति को मद्दे नज़र रखते हुए 2005 में हैंडीक्राफ्ट और इंटरनेशनल फर्निचर का कारोबार शुरू किया था लेकिन उन्हें इस कारोबर में हानि हुआ। फिर इन्होंने स्टोन कटिंग, वाशिग पाउडर, और कैमिकल फैक्ट्री जैसे कारोबार स्थापित किया लेकिन उसमे भी उन्हें निराशा ही हासिल हुई। आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हृतेष को एक ग्राहक ने सलाह दिया कि वह कबाड़ से उत्पादों का निर्माण कर उनका निर्यात करें इसमे आपको बहुत लाभ होगा और उन्होंने वैसा ही किया। यह अपना उत्पाद हाथ से बनाया करते हैं। इसलिए उनका करोबार ज़्यादा चलने लगा ।
हृतेष घरेलू उत्पाद का निर्माण करते हैं और वर्तमान में उनका “प्रीति इंटरनेशनल” के नाम से 3 बड़ी प्रोडक्शन यूनिट भी हैं। हृतेष ने जो कारोबार अपनाया है, वह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है । इनके कार्य के लिए The Logically उनकी तारीफ करता है।