भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 70-80 प्रतिशत जनता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। फिर भी बात जब किसानों की होती है तो लोग सोचते है कि किसान मतलब गाँव में रहने वाला कम पढ़ा लिखा इंसान परंतु यह सत्य नहीं हैं। यह ज़रूरी नहीं हैं कि जो व्यक्ति पढ़े-लिखे नहीं हैं वही कृषि का मार्ग चुनते हैं। आज के बदलते दौर को देखते हुए आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करने वाले हैं जो प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर किसान बने हैं।
गुरूकिरपाल सिंह (Gurukirpal Singh)
गुरूकिरपाल सिंह पंजाब (Punjab) के रहने वाले हैं। 37 वर्षीय गुरुकिरपाल सिंह कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री ले चुके हैं। फिर उन्होंने लेक्चरर की नौकरी भी की परंतु वह उससे संतुष्ट नहीं थे, वह खुद की नौकरी करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर पॉलीहाउस लगाने के बारे में सोचा। शुरुआत में उन्होंने टमाटर लगाया, उनको इस खेती से लगभग 1 लाख 40 हज़ार का मुनाफा हुआ। इस सफ़लता से गुरूकिरपाल का हौसला और भी बढ़ गया। उसके बाद उन्होंने ग्रीनहाउस की शुरुआत की। इसमें इन्होंने बिना मिट्टी यानी ”हाईड्रोपोनिक्स विधि” को अपनाकर खेती की शुरुआत की। इस खेती में गुरुकिरपाल ने फाई पाईप में टमाटर और मिर्च लगाया।
हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से की शुरुआत
उसके बाद गुरुकिरपाल ने कुछ नया करने को सोचा और उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स विधि से ब्राह्मी यानी ब्रेन टोनिक का पौधा लगाया था। ब्राह्मी के पौधों में पत्तियां उगती हैं। उसका प्रयोग हम सलाद बनाने के लिए कर सकते हैं। इसे खाने के बहुत से फायदे भी हैं। इसे खाने से मस्तिष्क तेज होता हैं तथा मानसिक की स्थिति भी ठीक रहती है। गुरुकिरपाल को इस कार्य में बहुत सफ़लता मिली और वह इसी विधि के जरिए ही खेती करने लगें।
गुरुकिरपाल ने लहसुन और प्याज में भी हाथ आजमाया
गुरुकिरपाल ने सफ़लता प्राप्त करने के बाद लहसुन और प्याज लगाने का विचार किया और इसे लगाया ताकि वह देख सकें कि इसका क्या परिणाम निकल रहा है। उनके लिए खुशी की बात यह थी की इस बार भी सफ़लता ही उनके हाथ लगी थी। जब गुरुकिरपाल ने मार्केट में बेचना शुरू किया तो उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। उसके बाद गुरुकिरपाल हाइड्रोपोनिक्स विधि से ही खेती करने लगे।
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हाइड्रोपोनिक्स का अर्थ
जिस तकनीकी से गुरूकिरपाल कृषि करते हैं, वह इजरायल की तकनीक है। हाइड्रो और पोनिक यह दो शब्द को जोड़ कर बना है, हाइड्रोपोनिक्स। हाइड्रो का अर्थ पानी तथा पोनिक का अर्थ श्रम होता है। इजरायल के अधिकतर कृषि हाइड्रोपोनिक्स विधि के माध्यम से ही होती है। गुरुकिरपाल ने इस विधि को पूरी तरीके से अपनाने के बजाय इसमें परिवर्तन किया और उसके बाद इस विधि को अपनाकर खेती की शुरुआत की।
हाइड्रोपोनिक्स के जरिए खेती करने कि विधि
अच्छी फसल उगाने के लिये खेत में बार-बार खाद और पानी देने की जरूरत पड़ती है। इससे अलग हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में एक प्लास्टिक के पाईप के अंदर नेट हाउस से पौधों के जड़ को पानी में रखा जाता है। इसमे टाइमर की भी व्यवस्था की गई है। जिससे पौधों के तापमान का पता चल सके और उसका ख्याल रखा जा सके। जरूरत के अनुसार पौधों में खाद के कुछ तत्व को मिलाया जाता है। जैसे जिंक, मैग्नीशियम, फास्फोरस, नाइट्रोजन, सल्फर, आयरन, पोटाश, कैल्शियम आदि। खाद को पानी में ही मिलाकर पानी को जड़ों तक पहुंचाया जाता है ताकि ये तत्व भी आसानी से उन पौधों को प्राप्त हो जाये।
गुरूकिरपाल को प्रोफेसर की तुलना में खेती से हुआ ज्यादा लाभ
यह सुनकर आश्चर्य होता है कि कोई प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर खेती कर रहा है परंतु ऐसा करने वाले गुरूकिरपाल बताते हैं कि मैं जितना प्रोफेसर बनकर कमाता था उससे लगभग 3 गुणा अधिक मुझे खेती से लाभ होता है। गुरूकिरपाल ने बताया कि इस खेती में ज्यादा खर्च भी नहीं लगता। साथ ही खाद और पानी की भी बचत होती है। एक बार उपयोग में लाये गए पानी को दुबारा उपयोग कर सकते हैं।
हाइड्रोपोनिक्स की सलाह
गुरूकिरपाल दूसरे किसानों को भी इस विधि से खेती की सलाह देते हैं। वह हाइड्रोपोनिक्स की सारी विधियां उनको बताते हैं। गुरूकिरपाल लाभ के बारे में बताते हुए कहते हैं कि अगर हम किसी नौकरी में अपना पूरा समय देते हैं तो खेती में क्यों नहीं दे सकते। उनके कहने के अनुसार नौकरी की तुलना में खेती में ज्यादा लाभ है।
गुरूकिरपाल ने बताया हाइड्रोपोनिक्स विधि से खेती करना ज्यादा बेहतर है। अगर किसी को भी हाइड्रोपोनिक्स से जुड़ी कोई भी जानकारी या मदद चाहिए तो नीचे दिए गए नम्बर पर गुरूकिरपाल सिंह से सम्पर्क कर सकते हैं। मोबाइल नं:- 9855521906
The logically गुरूकिरपाल सिंह के ऐसी अनोखी विचार की बहुत तारीफ करता है।