सास-बहू के रिश्ते को हमेशा से ही एक दिन के दो विपरित किनारों की भांति समझा गया है, जिनके मिलने की संभावना कभी नही होती। अक्सर ही हमारे समाज में ये देखा गया है कि भले ही सास व बहु रहती तो एक ही छत के नीचे हों लेकिन, उनके बीच मनमुटाव हमेशा बरकरार रहता है।
लेकिन, गाजियाबाद की एक अनपढ़ सास मंजू अग्रवाल (Manju Aggrawal)ने ऐसी सभी कहावतों व सामाजिक कुमान्यताओं को बदलते हुए एक अद्भूत मानवीय सोच का परिचय दिया है। भले ही मंजू स्वंय अशिक्षित हैं लेकिन उन्होंने अपनी बहु अदिति(Aditi) को बेटी मानते हुए उसे उच्च शिक्षा दिलाकर आईएएस अफसर (IAS Officer) बनाया है। परिणामस्वरुप, सम्मान के बदले सम्मान प्राप्त करते हुए अदिति की नज़रों में ईश्वर के समान स्थान पाया है।
IAS ऑफिसर अदिति की सास अनपढ़ व ससुर 10वीं पास हैं
गाजियाबाद के कमलानगर स्थित शांतिनगर के एक दंपत्ति जिसमें मंजू अग्रवाल अनपढ़ हैं व उनके पति राजीव अग्रवाल मात्र 10वीं पास हैं, ने कठोर सास-ससुर का रुप न लेकर एक सह्रदय माता-पिता का फर्ज़ निभाते हुए अपनी 12वीं पास बहु अदिति को उच्च शिक्षा दिलाकर IAS आफिसर बनाया है। जो बेशक ही समाज के अन्य सास-ससुर के लिए प्रेरणादायी कदम है।
हर कदम पर सास-ससुर ने मुझे प्रोत्साहित कियाः IAS अदिति
IAS अफसर अदिति कहती हैं –“ इस बात में कोई अतिश्योक्ति नही है कि हमारे समाज में बहुओं के प्रति सास का अलग नज़रिया होता है और उनपर कई प्रतिबंध भी लगाये जाते हैं, लेकिन मेरी सास मंजू अग्रवाल ने हर कदम पर मुझे मोटिवेट किया है, मेरी पूरी सफलता का श्रेय मेरी सास व ससुर को ही जाता है, मेरे पति निशांत अग्रवाल ने भी हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, ये सब हमेशा मेरे मार्ग-दर्शक के तौर पर मेरे साथ रहे, इसके लिए मैं हमेशा इनकी आभारी रहूंगी”
सास के रुप में मां होने का फर्ज़ निभाया है मंजू अग्रवाल ने
मंजू अग्रवाल ने न केवल सास-बहू के खूबसूरत रिश्ते की मिसाल पेश की है बल्कि ये साबित कर दिया है कि एक लड़की को शिक्षित होना बेहद ज़रुरी है चाहे वो किसी घर की बेटी हो अथवा बहु।
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IAS परीक्षा के पहले ही प्रयास में सफल रहीं अदिति
साल 2015 में निशांत अग्रवाल से ब्याही गई अदिति ने एपीजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्ट एंड प्लानिंग ग्रेटर नोएडा(APJ School of Architect and Planning, Greater Noida) से बीआर्क(B. Arch.) किया है। बाद में उन्होंने IAS की प्रीपरेशन शुरु की और पहले ही प्रयास में परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए IAS बन गई हैं। इस तरह उन्होंने अपने व सास-ससुर के सपने को पूरा करने के लिए खूब मेहनत की और पढ़ाई को जारी रखकर मकसद में कामयाब हुई।
गंदे नाले के पास रहने वाले मजबूर लोगों को देख मिली प्रेरणा
अदिति गाजियाबाद स्थित मोदी नगर के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल से 12वीं की शिक्षा ले चुकी हैं। कॉलेज में एडमिशन के बाद जब उन्होंने निकट स्थित गंदे नाले व वहां मजबूरीवश रहने वाले परिवारों को देखा तो उनकी दुविधा को समझते हुए अदिति ने मन बना लिया कि वो आईएसएस बनकर इन लोगों के जीवन सुधार के लिए कुछ करेंगी। बस तभी से वे अपने मकसद को साकार रुप देने में जुट गईँ।
IAS कर रहे युवाओं को अदिति का संदेश
अदिति ने सिविल सर्विस एग्ज़ाम में 282वां रैंक पाया है। वे कहती हैं- “सिविल सर्विस के एग्ज़ाम के लिए आपका बेसिक बेहद स्ट्रांग होना चाहिए, हर समय पढ़ते न रहकर जितना भी वक्त पढ़ाई को दें उस समय सबकुछ भूल कर केवल वहीं कंस्ट्रेट करे, बेशक ही आपको कामयाबी मिलेगी”
वर्तमान में मंजू व राजीव अग्रवाल की समाज बेहद सराहना कर रहा है
कोई संदेह नही कि अपने उद्देश्य में सफलता पाने के लिए अदिति ने बेहद मेहनत की है। लेकिन, इस बात को भी अनदेखा नही किया जा सकता कि यदि मंजू और राजीव अग्रवाल जैसे माता-पिता समान सास-ससुर नही मिलते तो शायद अदिति को ये कामयाबी भी न मिल पाती। उन्होंने न केवल अदिति को बेटी समझा बल्कि खुद कम शिक्षित और अनपढ़ होकर हर पग पर अदिति का साथ दिया। उनका ये कदम इसलिए भी सराहनीय है कि एक उन्होंने समाज की उस कूप-मंढूक सोच को परिवर्तित किया है जिसमें बेटी को शिक्षित न करने या बहु के साथ दुर्व्यव्यवहार करने को भी सही बताया जाता है। मंजू व राजीव जी के इस अद्भूत कदम की सराहना करने में The Logically भी आज पीछे नही रहेगा।
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