Wednesday, December 13, 2023

इंसान की पहचान कद से नही बल्कि काबिलियत से होती है , महज 3 फ़ीट हाइट है लेकिन IAS आरती डोगरा के कार्य प्रेरणादायी हैं !

अगर सफलता की ऊंचाई पर चढ़ना है तो इसके लिए हमें अपने हुनर, लगन और हौसले को सीढ़ी बनाना पड़ता है। सफलता.. लिंग, अमीरी-गरीबी और कद-काठी की मोहताज नहीं होती। इसकी जीती जागती मिसाल हैं, आरती डोगरे। यूं तो हमारे समाज में लड़कियों को बोझ समझा जाता है और अगर लड़की विकलांग हुई तो घरवालों को चिंता कुछ ज़्यादा ही बढ़ जाती है। आरती की कद साढ़े 3 फीट है। इतने कम कद की होने के कारण समाज ने इन्हें कभी स्वीकार नहीं किया। लेकिन कहते हैं न, अगर खुद पर विश्वास हो तो किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। इन्होंने समाज़ की बेतुकी बातों को नज़रांदाज कर ख़ुद को इस काबिल बनाया कि आज वह महिला प्रशासनिक वर्ग के लिए मिसाल बन गई हैं।

आरती की जन्मभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है। इनकी स्कूलिंग देहरादून के वेल्हम गर्ल्स में ही पूरी हुई। आरती ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी लेडी श्रीराम कॉलेज से पूरी की। इसके बाद इन्होंने जी तोड़ मेहनत कर IAS ऑफिसर बनने की तैयारी शुरू कर दी। आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि यह सब आरती के लिए कितना मुश्किल रहा होगा। इन्होंने इंटरव्यू और लिखित परीक्षा मे सफलता हासिल कर यह साबित किया कि सपना पूरा करने के लिए कद की जरूरत नहीं बल्कि काबिलियत ज़रूरी है।

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आरती जोधपुर डिस्कॉम प्रबंध निदेशक की पहली आईएएस अधिकारी रही हैं। इन्होंने राजस्थान के बीकानेर जिले मे कलेक्टर का पद भी संभाला हैं। आरती के ‘बंको बिकाणओ’ अधिनियम के तहत लोगों को खुले मे शौंच ना करने के लिए जागरूक किया है। आरती ने गांव-गांव पक्की शौचालय का निर्माण किया है।जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनकी सराहना की है। आरती डोगरा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

माता-पिता ने आरती का हमेशा समर्थन दिया..

आरती की मां प्रिंसिपल और पिता आर्मी में हैं। आरती के जन्म के दौरान डॉक्टर ने बता दिया था कि यह बच्ची सामान्य नहीं है और इसकी पढ़ाई-लिखाई मे काफी परेशानी आयेगी। हमारे इस तथाकथित समाज ने सामान्य की अपनी ही परिभाषा बना रखी है। परिभाषा से थोड़ा भी अलग होने पर यह समाज उसे स्वीकार नहीं करता। आरती के माता-पिता को लोग बोलने लगे कि ऐसी लड़की को मार डालो। यह जिंदा रहकर धरती पर बोझ रहेगी। पर आरती के माता-पिता ने सभी की बातों को अनसुना किया और आरती को हमेशा अपना समर्थन दिया।

जोधपुर डिस्कॉम में EESL द्वारा आरती ने 3 लाख 27 हजार 819 LED Bulb का वितरण करवाया जिससे बिजली के फिजूल खर्चों मे काफी नियंत्रण हुआ है। जहां बिजली नही थी.. वहां इन्होंने बिलजी का प्रबंधन भी करवाया। आरती आईएएस बनने के बाद जिस तरह काम कर रही हैं, वह सराहनीय है। इस कोरोना महामारी मे इन्होंने अनाथ लड़कियों की भी काफी मदद की है। Logically आरती के लगन को नमन करता है।

इस कहानी को ख़ुशबू पांडेय द्वारा लिखा गया है जबकि इसका सम्पादन अर्चना किशोर ने किया है ।