हमारे देश में यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना है। इसके साथ दूसरी परीक्षा की तैयारी करना या नौकरी करना बहक मुश्किल भरा होता है। जब तक कैंडिडेट्स की मजबूरी नहीं होती वे सामन्यतः इस परीक्षा के साथ किसी और काम को करना नहीं चुनते। हालांकि कुछ कैंडिडेट्स को ऐसा करना पड़ता है। आईएएस अरुण राज (IAS Arun Raj) उन कैंडिडेट्स में से नहीं थे जिनके पास आईआईटी के साथ ही यूपीएससी की तैयारी करने जैसी कोई मजबूरी या कोई दबाव हो। ये उनकी खुद की च्वॉइस थी। अरुण ने खुद अपने लिए इस कठिन जीवन का चुनाव किया और यह उनका खुद पर विश्वास ही था कि वे पहली बार में ही सफल भी हो गए। यूपीएससी परीक्षा के लिए उन्होंने कभी कोई कोचिंग नहीं ली। इसके साथ ही आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से ग्रेजुएशन भी किया पर अरुण ने कभी हार नहीं मानी और 22 साल की छोटी उम्र में ही दोनों परीक्षाएं एक साथ पास कर लीं।
बचपन से ही थे पढ़ाई में अच्छे
अरुण राज (IAS Arun Raj) बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और वे हर क्लास में ही अच्छे नंबर लाते थे। उनकी पढ़ाई सीबीएसई बोर्ड से हुयी और उन्होंने दसवीं में 94.8 और बारहवीं में 91.6 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने कठिन माने जाने वाले आईआईटी जेईई एग्जाम को भी पास कर लिया। अरुण को आईआईटी कानपुर मिला। यहां से ग्रेजुएशन करते समय ही अरुण तय कर चुके थे कि उन्हें यूपीएससी परीक्षा ही पास करनी है। उन्होंने हमेशा से अपने दिमाग में यह बात रखी और ग्रेजुएशन के आखिरी साल से ही सेल्फ स्टडी के माध्यम से यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी। अरुण ने दिन के घंटे बांटे हुये थे कि उन्हें कब स्नातक की पढ़ाई करनी है और कब यूपीएससी की। करीब डेढ़ साल तक अरुण ने यह बैलेंस मेंटेन किया। शायद यही कारण था कि उनकी दोनों बड़ी परीक्षाएं साथ ही में पास हो गयीं। एक परीक्षा दूसरे की रास्ते का रोड़ा नहीं बनी तथा वे कामयाब हुए।
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भागदौर भरी जिंदगी नहीं चाहते अरुण
एक इंटरव्यू में यूपीएससी चुनने के पीछे का कारण बताते हुए अरुण कहते हैं कि, आजकल की ज्यादातर नौकरियां ऐसी होती हैं जिन्हें पाने के बाद भी आपके जीवन से संघर्ष और कांपटीशन खत्म नहीं होता। इन नौकरियों में सर्वाइव करने के लिए आपको जिंदगी भर रैट-रेस में भागना होता है वरना आप पीछे छूट जाते हैं। अरुण इस दौड़ में उम्रभर के लिए नहीं पड़ना चाहते थे। उन्हें आईएएस तुलनात्मक स्टेबल जॉब लगी, जिसे पाना कठिन है पर एक बार उस मुकाम तक पहुंच जाने के बाद बार-बार खुद को साबित करने और कांपटीशन में बने रहने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके साथ ही वे भारत में रहकर अपनी शर्तों पर काम करना चाहते थे। इन्हीं विचारों ने अरुण को सिविल सर्विसेस का चुनाव करने के लिए प्रेरित किया और उसमें वे कामयाबी भी शामिल है।
दूसरे परीक्षार्थी के लिए अरुण का एडवाइज़
अरुण दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि, जितने भी घंटे पढ़ो, कांसन्ट्रेट होकर पढ़ो और रोज़ पढ़ो। एक विषय को उठाओ तो टारगेट बनाकर उसके जितने टॉपिक्स सोचे, उतने खत्म करके ही उठो। शेड्यूल को लेकर रिजिड रहो पर चूंकि इंसानों को मूड स्विंग होता ही है तो ऐसे मौकों पर अगर दिल न लगे तो पढ़ाई से ब्रेक लो, जबरदस्ती किताबें खोलकर न बैठे रहो। कई बार स्टूडेंट्स एक-दो बार में सेलेक्ट नहीं होते, ऐसे में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। इस समय पर कई बार मेंटल सेचुरेशन आने लगता है पर ऐसी स्थिति से निकलने की कोशिश करिए। ऐसे रिश्तेदारों से और पड़ोसियों से दूर रहिए जो आपको डिमोटिवेट करें कोई कुछ भी कहे पर अपनी निगाहें लक्ष्य पर ही रखिए। सेलेक्टेड स्टडी मैटेरियल चुनिए और अंत तक उसी से स्टिक रहिए। रिवीज़न खूब करिए, मॉक पेपर्स सॉल्व करिए और ऐस्से का जमकर अभ्यास करिए। अगर एक प्रॉपर स्ट्रेटजी के साथ तैयारी करेंगे तो भले देर से सही पर सफलता निश्चित मिलेगी ही मिलेगी।