कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने परिवार मे मिलने वाली सुविधाओं को पाकर खुश रहते हैं। वे किसी खास उपलब्धि को हासिल नहीं करना चाहते। उन्हें अवसर भी मिलता है पढ़ाई-लिखाई करने का तो पढ़ाई नहीं करते। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो शिक्षा के लिए सभी चीजों से परिपूर्ण नहीं होते फिर भी ऐसी सफलता हासिल करते हैं जिस कारण उनके माता-पिता को उन पर फक्र होता है। वही बच्चे सबके लिए मिसाल भी बनते हैं। आज की कहानी भी एक ऐसी लड़की की है जिन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और आईएएस ऑफिसर बने। उन्होंने अपनी जिंदगी बेहद ही गरीबी में व्यतीत की। उनके पिता रिक्शा चलाकर घर का खर्चा चलाते थे।
अजहरुद्दीन काजी का परिचय
अजहरुद्दीन काजी (Azharuddin Quazi) महाराष्ट्र (Maharastra) के एक गांव यवतमाल से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म आर्थिक स्थिति से कमजोर परिवार में होने के कारण, उन्हें अपनी जिंदगी में बहुत ही संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता टैक्सी चलाकर घर का खर्च देखा करते थे। उनकी मां पढ़ाई में रुचि रखती थीं लेकिन वह एक गृहिणी बनकर घर का कार्य सम्भालने लगी। उनके परिवार में 6 लोग हैं। उनके तीन भाई हैं और जिसमें अजहरूद्दीन सबसे बड़े हैं इसलिए घर का जिम्मा संभालने के लिए यह सबसे पहले व्यक्ति थे। उनकी मां वैसे तो पढ़ना चाहती थी लेकिन कम उम्र में शादी की वजह से उनकी पढ़ाई रुक गई। लेकिन जब अजहरुद्दीन का जन्म हुआ, उस दौरान उन्होंने निश्चय किया कि मैं अपने सपने को इन्हीं बच्चों के माध्यम से पूरी करूंगी और इनकी पढ़ाई का जिम्मा मैं अपने ऊपर लूंगी। इन बच्चों की शिक्षा अपने गांव के सरकारी स्कूल से सम्पन्न हुई।
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मां ने दी शिक्षा
अज़हरुदीन ने एक इंटरव्यू में यह जानकारी दिया कि उनकी मां ने हीं अपने बच्चों को दसवीं कक्षा तक की शिक्षा दी है। क्योंकि उनके पास ट्यूशन के पैसे नहीं थे तो इसलिए मां पढ़ाया करती थीं। आगे उन्होंने 12वीं किया और आगे उन्होंने कॉमर्स से स्नातकोत्तर किया। अब वह एक प्राइवेट नौकरी करने लगे फिर भी उनके घर की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं हुई। अज़हरुदीन वर्ष 2010 में दिल्ली गए और वहां उन्होंने यूपीएससी तैयारी शुरू की। जब वह एक आईपीएस ऑफिसर से मिले तब उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने इसकी तैयारी शुरू की। हालांकि उनके पास दिल्ली आने के लिए पैसों की दिक्कत हुई फिर भी वह किसी भी तरह पैसे इकट्ठे कर दिल्ली आ गये। वहां आकर उन्होंने यूपीएससी एस्पियरेन्ट्स का नि:शुल्क तैयारी कराने वाले कोचिंग का फॉर्म भरा तब जाकर उन्हें UPSC परीक्षा में सफलता मिली।
2 बार हुए हैं असफल
उन्होंने 2010 और 11 में यूपीएससी का एग्जाम दिया लेकिन वह इस दौरान असफल हुए। घर की स्थिति इस कदर खराब थी कि उन्होंने सोचा कि मैं इस क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता तो उसे छोड़ दिया। उनकी नियुक्ति सरकारी बैंक के पीओ के तौर पर हुआ। उन्होंने वहां पूरे 7 वर्षों तक काम किया जिससे उनकी घर की आर्थिक स्थिति भी सुधरी और उनके भाइयों की पढ़ाई भी संपन्न हो गई। वह बैंक की नौकरी तो कर रहे थे लेकिन अपने मन में उनके यूपीएससी की तैयारी का सपना था। उन्होंने मन बनाया कि मैं तैयारी फिर से करूंगा। हालांकि नौकरी करने के दौरान वह इस तैयारी को नहीं कर पा रहे थे। फिर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और ब्रांच मैनेजर के तौर पर दूसरी बार दिल्ली आएं। एक बार फिर वह वहां यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। जब वह कार्य अज़हरुदीन ने शुरू किया तो लोगों ने उन्हें मंदबुद्धि बोला और यह कहा कि आगे तुम बहुत ही पछताओगे।
पूरे 7 साल बाद दी परीक्षा
वैसे तो उन्हें पढ़ाई से नाता तोड़े पूरे 7 साल हो गए थे फिर भी उन्होंने जमकर मेहनत की और अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। 1 वर्ष पूरी तैयारी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2019 में तीसरी बार परीक्षा दिया। उन्होंने किसी भी कोचिंग की मदद नहीं ली थी फिर यह सफल हुए। अजहरुद्दीन वर्ष 2020 बैच के IPS ऑफिसर सिलेक्ट हुए। फिर उन्होंने निश्चय किया कि जिस तरह मुझे अपनी पढ़ाई में तकलीफ हुई है वैसे किसी को नहीं होगी और मैं हमेशा ही उन लोगों की मदद करूंगा जो हमारे जैसे हैं।
दिल्ली नॉलेज ट्रैक के दिये हुए इंटरव्यू को आप यहां देख सकतें हैं।
अजहरूद्दीन अन्य विद्यार्थियों को यह सलाह देते हैं कि अगर आप जमकर मेहनत करते हैं तो यह मायने नहीं रखता कि आपकी आर्थिक स्थिति कैसी है या फिर आपका बैकग्राउंड कैसा है। अगर आप कड़ी मेहनत करें तो सफलता आपको जरूर मिलेगी।
घर की पूरी जिम्मेदारी संभालने के साथ अजहरुद्दीन ने जिस तरह अपनी IAS की तैयारी की वह सराहनीय है। The Logically अजहरुदीन जी के प्रयासों की खूब सराहना करता है।